भारत और मॉरीशस सरकार की द्विपक्षीय संस्था     A Bilateral Organization of the Government of India and the Government of Mauritius
World Hindi Secretariat


 
आइसीटी कार्यशालाएँ 2013
 

 

हिंदी शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए तथा हिंदी और आई.सी.टी के क्षेत्र में नवीनतम उपलब्धियों और प्रौद्योगिकी के बारे में शिक्षकों व छात्रों को परिचित कराने के उद्देश्य से विश्व हिंदी सचिवालय ने इस वर्ष हिंदी तथा सूचना-संचार प्रौद्योगिकी पर 6 कार्यशालाओं का सफ़ल आयोजन किया। 2 कार्यशालाएँ मॉरीशस में हुईं तथा 4 कार्यशालाएँ दक्षिण अफ़्रीका में हिंदी शिक्षा संघ के सहयोग से हुई।

कार्यशालाओं की विशेष उपलब्धि यह रही कि हिंदी के क्षेत्र और स्तर का विस्तार हो पाया तथा शिक्षण प्रणाली में नवीन उपकरणों के आविर्भाव के साथ हिंदी शिक्षण को अत्यधिक रोचक और सुगम बनने की दिशाएँ विस्तृत हुईं। लगभग 600 हिंदी शिक्षकों, छात्रों, अधिकारियों, हिंदी प्रेमियों को हिंदी तथा सूचना प्रौद्योगिकी कार्यशाला के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया, यही कार्यशाला की सफ़लता का सबसे बड़ा प्रतीक है।

कार्यशाला के संचालन के लिए भारत से सुप्रसिद्ध तकनीकविद् श्री बालेन्दु शर्मा दाधीच को आमंत्रित किया गया। श्री बालेन्दु ने विशेष रूप से मॉरीशस एवं दक्षिण अफ़्रीका में होने वाली कार्यशालाओं  के लिए एक वर्चुअल हिंदी टाइपराइटर का निर्माण किया जिसे प्रतिभागियों के साथ साझा किया गया।

सरकारी माध्यमिक हिंदी शिक्षकों के लिए कार्यशाला, मॉरीशस

सोमवार 22 से गुरुवार 25 जुलाई, 2013 तक मॉरीशस के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों के लगभग 100 से भी अधिक हिंदी शिक्षकों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। मॉरीशस शिक्षा संस्थान (एम.जी.आई.) और आर्य सभा, मॉरीशस के सहयोग से आयोजित यह कार्यशाला पाई स्थित डी.ए.वी.. डिग्री कॉलेज में लगी। यह कार्यशाला भारत से आए तकनीकविद् श्री बालतेन्दु शर्मा दाधीच, महात्मा गांधी संस्थान के भाषा संसाधन केंद्र के अध्यक्ष श्री कुमारदत्त गुदारी, सेंटर फ़ॉर ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग के श्री अविनाश उजोरा और विश्व हिंदी सचिवालय के कार्यवाहक महासचिव श्री गुलशन सुखलाल द्वारा चलाई गई।

चार दिवसीय इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को युनीकोड, हिंदी टंकण, इंस्क्रिप्ट, टैक्नो पेडागोजी, इंटरैक्टीव डिजिटल बॉर्ड, शिक्षण सामग्री निर्माण तथा पावरपोंइट, मूवी मेकर, साउंद एडिटर आदि के प्रयोग का प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही प्रतिभागियों को उनके लैपटॉप पर सोफ्टवेयर, टंकण सामग्री तथा अन्य फ़्रीवेयर उपलब्ध कराए गए।

सोमवार 22 जुलाई 2013 को उद्घाटन समारोह के अवसर पर मॉरीशस के शिक्षा एवं मानव संसाधन मंत्रालय के वरिष्ठ मुख्य अधिकारी श्री रामप्रकाश रामलगन, भारतीय उप उच्चायुक्त श्री अशोक कुमार, डी.ए.वी. डिग्री कॉलेज के डीन डॉ. उदय नारायण गंगू सहित श्री अविनाश उजोरा तथा अन्य महानुभाव उपस्थित थे।

श्री बालेन्दु शर्मा दाधीच ने हिंदी व सूचना-संचार प्रौद्योगिकी की नवीनतम प्रवृतियों पर एक प्रस्तुति की। श्री अविनाश उजोरा ने अपने संदेश में प्रौद्योगिकी की आवश्यकता पर बात की और कहा कि उनकी संस्था इस आयोजन में अपना पूरा सहयोग देगी। भारतीय उप उच्चायुक्त श्री अशोक कुमार ने सचिवालय को इस आयोजन के लिए बधाई दी और कहा कि भारत सरकार इसी तरह नियमित रूप से अपना सहयोग प्रदान करती रहेगी। मॉरीशस के शिक्षा एवं मानव संसाधन मंत्रालय के वरिष्ठ मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री रामप्रकाश रामलगन ने भी सचिवालय सहित सभी प्रतिभागियों के प्रति शुभकामनाएँ व्यक्त की और बताया कि हिंदी भाषा को प्रौद्योगिकी से जोड़ना हिंदी सीखने वालों के लिए और स्वयं हिंदी के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। हिंदी शिक्षण को बेहतर बनाने में यह कार्यशाला अत्यंत आवश्यक है। उसके पश्चात श्री रामलगन ने कार्यशाला का औपचारिक उद्घाटन किया। सचिवालय के कार्यवाहक महासचिव श्री गुलशन सुखलाल ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ आशा व्यक्त की कि इस कार्यशाला से शिक्षक गण अवश्य लाभांवित होंगे। महात्मा गांधी संस्थान के भाषा संसाधन केंद्र के अध्यक्ष श्री कुमारदत्त गुदारी ने मंच-संचालन किया।

चार दिनों तक चलने वाली कार्यशाला के अंतर्गत 'हिंदी तथा सूचना-संचार प्रौद्योगिकी: संभावनाएँ', 'टैक्नो-पेडागोजी: कक्षाओं में प्रौद्योगिकी कार्यांवयन', 'हिंदी आपके कंप्यूटर पर', 'युनिकोड : इतिहास एवं प्रयोग', 'हिंदी शिक्षण के उन्नयन हेतु उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग', 'आई.सी.टी आधारित शिक्षण सहायक सामग्री', 'शैक्षणिक हिंदी वेबसाइट/ब्लॉग निर्माण व प्रबंध', 'सामाजिक नेटवर्किंग साइट तथा हिंदी इ-पत्रिकाओं का संपादन व प्रबंध' सत्रों का आयोजन किया गया।

इन सत्रों के माध्यन से माध्यमिक स्तर पर पढ़ाने वाले अध्यापकों  को प्रौद्योगिकी के विभिन्न पहलुओं पर अधिक जानकारी मिली। विविध हिंदी प्रोग्राम, सॉफ्टवेयर, फ्रीवेयर फ़ॉट, ऐनिमेशन, आदि कई औज़ारों की ओर शिक्षकों का ध्यान आकृष्ट किया गया। हिंदी टंकण में युनिकोड के महत्व को उजागर किया गया तथा प्रौद्योगिकी के माध्यम से हिंदी शिक्षण को सृजनात्मक रूप से विद्यार्थियों के लिए रुचिकर व रोचक बनाने के माध्यम से अवगत कराया गया। हिंदी ब्लॉग निर्माण पर भी शिक्षकों को अधिक जानकारी दी गई। शिक्षकों को एक ही मंच पर जोड़ने वाले हिंदी ब्लॉग का विचार भी सामने आया। सामाजिक नेटवर्किंग साइट तथा हिंदी इ-पत्रिकाओं के संपादन व प्रबंध की प्रक्रिया व नियम भी सिखाए गए। ऑडियो-विडियो रिकॉर्डिंग एवं संपादन, डबिंग, उपशीर्षक लगाना जैसे विषयों पर प्रस्तुति हुई। प्रशिक्षण को अधिक प्रभावोत्पादक बनाने के लिए शिक्षकों के लिए अभ्यास सत्र भी चलाए गए।

कार्यशाला के दौरान शिक्षकों को मॉरीशस के शिक्षा व मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा चलाई जाने वाली साँकोरे परियोजना से परिचित कराया गया। साँकोरे परियोजना का उद्देश्य मॉरीशस की शिक्षा प्रणाली में सूचना-संचार प्रौद्योगिकी को स्थापित करना है। इस परियोजना के तहत पाठशालाओं में इंटरैक्टीव बोर्ड इत्यादि नवीनतम उपकरणों की व्यवस्था की गई है। एम.आई.ई के सौजन्य में, श्री अविनाश उजोरा एवं उनके सहयोगियों के निर्देशन में कक्षा प्रौद्योगिकी एवं इ-प्लैटफ़ॉम से परिचय कराने हेतु कक्षाओं में उपलब्ध इंटरैक्टीव बोर्ड पर कार्यशाला के प्रतिभागियों का हैंड्स-ऑन प्रशिक्षण भी हुआ। विशेष बात यह रही कि कार्यशाला के ये प्रतिभागी शिक्षक इंटरैक्टीव बोर्ड के प्रयोग का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले मॉरीशस के प्रथम माध्यमिक शिक्षक बने।

कार्यशाला के समापन समारोह में डी.ए.वी. डिग्री कॉलेज के डीन डॉ. उदय नारायण गंगू भी उपस्थित थे। सचिवालय के कार्यवाहक महासचिव श्री सुखलाल ने विशेषज्ञ श्री बालेन्दु को धन्यवाद दिया जिन्होंने इस कार्यशाला की सफ़लता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई साथ ही श्री अविनाश उजोरा व श्री कुमारदत्त गुदारी के लिए आभार प्रकट किया। सभी प्रतिभागियों को उनकी भागिदारी के लिए धन्यवाद समर्पित करते हुए कार्यशाला से उपलब्ध ज्ञान को शिक्षक प्रणाली में लागू करने की प्रेरणा भी दी गई। प्रमाण पत्र वितरण के साथ ही कार्यशाला संपन्न हुई।

हिंदी प्रचारिणी सभा के छात्रों व अधिकारियों के लिए कार्यशाला

विश्व हिंदी सचिवालय ने मंगलवार 06 अगस्त, 2013 को मॉरीशस में लोंग माऊँटेन स्थित हिंदी प्रचारिणी सभा के हिंदी छात्रों व अधिकारियों के लिए हिंदी तथा सूचना-संचार प्रौद्योगिकी कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का आयोजन भी सचिवालय द्वारा भारत से आमंत्रित तकनीकविद् श्री बालेन्दु शर्मा दाधीच ने किया।

कार्यक्रम का श्री गणेश करते हुए सभा के सचिव श्री धनराज शंभु ने स्वागत भाषण दिया। इसके पश्चात सभा के प्रधान श्री यंतुदेव बुधू ने हिंदी प्रचारिणी सभा की स्थापना के इतिहास पर नज़र दौड़ाते हुए उनके विभिन्न गतिविधियों के बारे में अवगत कराया। इसलिए साथ ही उन्होंने वर्तमान समय में इंटरनेट के महत्व तथा इसके माध्यम से शिक्षण व भाषा के प्रचार-प्रसार पर बल दिया। सचिवालय के कार्यवाहक महासचिव ने सभी का स्वागत करते हुए इस कार्यशाला की पृष्ठभूमि बाँधी और नई पीढ़ी को अपनी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने छात्रों को विश्व हिंदी सचिवालय के बारे में, उसके उद्देश्यों तथा कार्यों पर जानकारी देते हुए श्री बालेन्दु का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया।

श्री बालेन्दु ने पावरपॉइंट प्रस्तुति के माध्यम से कार्यशाला की शुरूआत की। उन्होंने सर्वप्रथम छात्रों को यह बताया कि उनके ही कंप्यूटर और मोबाइल में पहले से ही हिंदी भाषा उपस्थित है। इसका प्रयोग अवश्य करना चाहिए। फिर उन्होंने उनके सॉफ्टवेयर पर जानकारी दी जिनसे कंप्यूटर में हिंदी के माध्यम से अनेक कार्य आसानी से किए जा सकते हैं। इनमें मंत्रा, गूगल ट्रैन्स्लेट, गिरगिट, अनुसारक, हिंदी ओ.सी.आर., श्रुतलेखन, वाचांतर, आदि शामिल थे। श्री बालेन्दु ने उदाहरण सहित इन ऐप्लिकेशनों के बारे में जानकारी दी जिससे विषय और भी रोचक बना।

कार्यशाला के अंतर्गत सभी प्रतिभागियों को अपने-अपने लैपटॉप पर उपलब्ध हिंदी भाषा को एक्टीवेट करने की विधि तथा हिंदी इंस्क्रिप्ट टंकण सिखाया गया। सचिवालय की कार्यशालाओं के लिए श्री बालेन्दु द्वारा विशेष रूप से निर्मित वर्चुअल हिंदी टाइपराइटर पर सभी प्रतिभागियों ने हिंदी टंकण सीखा। अक्षर से शब्द, शब्द से वाक्य और वाक्य से अनुच्छेद हिंदी में टंकित हुए। सभा के छात्रों के साथ-साथ हिंदी प्रचारिणी सभा के प्रधान श्री यंतुदेव बुधू, सचिव श्री धनराज शम्भु, वरिष्ठ अध्यापक गण, अधिकारियों व सदस्यों ने उत्साह के साथ इस कार्यशाला में भाग लिया।

अंत में श्री शम्भु ने श्री बालेन्दु शर्मा दाधीच तथा मुख्य रूप से विश्व हिंदी सचिवालय को धन्यवाद समर्पित किया जिनके सहयोग से यह कार्यशाला संपन्न हुई।

दक्षिण अफ़्रीका में हिंदी तथा सूचना-संचार प्रौद्योगिकी कार्यशाला

दक्षिण अफ़्रीका में आयोजित 9वें विश्व हिंदी सम्मेलन में हिंदी के प्रचार-प्रसार में सूचना संचार प्रौद्योगिकी के महत्व को उजागर किया गया। इसी बात से प्रेरित होकर हिंदी शिक्षा संघ ने विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस के तत्वावधान में दक्षिण अफ़्रीका के हिंदी प्रेमियों के लिए आई.सी.टी. कार्यशाला का आयोजन किया। 4 कार्यशालाओं का आयोजन डर्बन, प्रिटोरिया एवं जोहानस्बर्ग में 27 जुलाई से 3 अगस्त, 2013 तक हुईं जिनमें 200 से भी अधिक हिंदी शिक्षकों, हिंदी छात्रों, हिंदी अधिकारियों, हिंदी प्रेमियों, भारतीय मूल के नागरिकों, विदेशियों व स्थानीय नागरिकों ने भाग लिया। कार्यशाला के संचालन के लिए विश्व हिंदी सचिवालय के कार्यवाहक महासचिव श्री गुलशन सुखलाल तथा भारत से प्रसिद्ध तकनीकविद् श्री बालेन्दु शर्मा दाधिच ने दक्षिण अफ़्रीका की यात्रा की।

27 से 28 जुलाई तक डर्बन स्थित हिंदी शिक्षा संघ के कार्यालय में आयोजित कार्यशाला में प्रतिभागियों को युनीकोड, हिंदी टंकन, इंस्क्रिप्ट, शिक्षण सामग्री निर्माण तथा पावरपोइंट, ब्लॉग निर्माण, सोशल नेटवर्किंग आदि के प्रयोग का प्रशिक्षण दिया गया। हिंदी शिक्षा संघ के अतिरिक्त संघ की इमारत में स्थित हिंदी रेडियो चैनल हिंदवाणी के अधिकारियों को भी कार्यशाला में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ। एक 14 वर्षीय विद्यार्थी ने कार्यशाला में भाग लेने के पश्चात खुद का अपना एक हिंदी ब्लॉग भी निर्मित किया।  

डर्बन के बाद हिंदी और सूचना प्रौद्योगिकी का अभियान गौटेंग प्रदेश में पहुँचा जहाँ प्रिटोरिया हिंदू स्कूल में छात्रों और उसके बाद लेनेशिया में श्री भारत शारदा मंदिर के छात्रों को हिंदी और उनके कंप्यूटर के बीच संबंध से अवगत कराया गया तथा सरल रूप से उनको हिंदी टंकन का पहला अनुभव कराया गया। पहली बार देवनागरी में स्वयं अपना नाम टंकित करते हुए उन बच्चों के मुख पर जो चमक आई वह अभियान के सबसे सुंदर अनुभवों में गिना जा सकता है।

अंतिम कार्यशाला जोहानस्बर्ग में 3 अगस्त को भारतीय दूतावास के कार्यालय में लगी। इस कार्यशाला में दक्षिण अफ़्रीका के हिंदी-भाषी, प्रवासी भारतीय तथा दक्षिण अफ़्रीकी लोग अलग-अलग इलाकों से भाग लेने के लिए आए हुए थे। इस कार्यशाला में तीन सत्र रखे गए थे - कंप्यूटर पर हिंदी फोंट्स, चिट्ठा तथा सोशल मीडिया। संघ के सदस्यों ने हिंदी शिक्षा संघ को फ़ेसबुक तथा चिट्ठा में प्रवेश कराने का निर्णय लिया। इसके साथ ही सामूहिक रूप से प्रतिभागियों ने शिक्षण सामग्री, एडिटिंग तकनीक तथा प्रस्तुतीकरण आदि पर गंभीरतापूर्वक काम किया।

इस कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को विश्व हिंदी सचिवालय की ओर से प्रमाण पत्र तथा हिंदी फ़ोंट एवं अन्य हिंदी सोफ्टवेयर की सीडी प्रदान किए गए ताकि भविष्य में वे हिंदी टंकण कर सकें। हिंदी शिक्षा संघ के सदस्यों तथा सभी प्रतिभागियों ने श्री बालेन्दु शर्मा दाधीच एवं श्री गुलशन सुखलाल को हृदय की गहराई से धन्यवाद समर्पित किया जिन्होंने हिंदी भाषा के दूत बनकर दक्षिण अफ़्रीका में आकर प्रौद्योगिकी द्वारा हिंदी के प्रचार-प्रसार में ऐतिहासिक योगदान दिया। सभी ने यह प्रस्ताव रखा कि अगली बार फिर से ऐसी कार्यशालाएँ दक्षिण अफ़्रीका में आयोजित हों ताकि अधिक हिंदी-प्रेमी इनसे लाभ उठा सकें तथा हिंदी के क्षेत्र का विकास हो पाए।

 
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