10वाँ विश्व हिंदी सम्मेलन, भोपाल, 2015

10-12 सितंबर, 2015 तक विदेश मंत्रालय, भारत सरकार 'द्वारा मध्य प्रदेश राज्य सरकार के सहयोग से भोपाल, भारत में 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। तीन दशक बाद भारत में लौटे हिंदी के महाकुंभ के आयोजन ने हिंदी की ऊर्जा का अभूतपूर्व प्रदर्शन किया।

10वाँ सम्मेलन भारत में आयोजित करने का निर्णय सितंबर 2012 में जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में आयोजित 9वें विश्व हिंदी सम्मेलन के मंतव्यों में लिया गया था। उद्घाटन समारोह से लेकर विचार सत्र, सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शनियाँ सभी हिंदी के वैश्विक महत्व को उभारने में अति सफल रहे ।

उद्घाटन समारोह

सम्मेलन के लिए भोपाल के लाल परेड मैदान में विशेष रूप से 'माखनलाल चतुर्वेदी नगर' का निर्माण किया गया था। इस विशालकाय पंडाल के रामधारी सिंह दिनकर सभागार में ही 10 सितंबर की प्रातः देश-विदेश से आए लगभग पाँच हज़ार प्रतिभागियों और अतिथियों की उपस्थिति में मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री द्वारा स्वागत तथा विदेश मंत्री द्वारा सम्मेलन की प्रस्तावना के उपरांत भारत के प्रधान मंत्री द्वारा विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर विशेष रूप से भारत की विदेश मंत्री, माननीया श्रीमती सुषमा स्वराज, मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री, माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान, अनेक राज्यों के राज्यपाल, केंद्रीय मंत्रियों, राज्य मंत्रियों तथा मॉरीशस की शिक्षा व मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा व वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री माननीया श्रीमती लीला देवी दुकन- लछुमन के साथ अनेक गणमान्य लोग मंचासीन थे।

श्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा, 'दुनिया में हिंदी के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है। हिंदी की समृद्धि के लिए इसे अन्य भाषाओं के साथ न केवल जोड़ने की प्रक्रिया चलनी चाहिए बल्कि इसे निरंतर जारी भी रखना चाहिए। हिंदी और अन्य भाषाओं के सम्मेलन करने पर भाषा शास्त्री विचार करें।' श्री मोदी ने विश्व के 39 देशों से आए प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए हिंदी को चैतन्य भाषा बनाए रखने का आह्वान किया। उन्होंने विदेशों में हिंदी प्रचार-प्रसार के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और मॉरीशस की सरकार, जनता और साहित्यकारों के योगदान को विशेष रूप से रेखांकित किया। इस अवसर पर उन्होंने समारोह के शुभंकर पर विशेष डाक टिकट के साथ विश्व हिंदी सम्मेलन की स्मारिका, 'गगनांचल' पत्रिका के विशेषांक और 'प्रवासी साहित्य जोहान्सबर्ग से आगे' का लोकार्पण भी किया।

उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में विदेश मंत्री माननीया श्रीमती सुषमा स्वराज ने कहा, "10वाँ विश्व हिंदी सम्मेलन ऐतिहासिक साबित होगा। अभी तक जितने भी विश्व हिंदी सम्मेलन हुए हैं वे साहित्य पर केंद्रित थे। यह पहला ऐसा सम्मेलन है जो भाषा को समर्पित है।" उन्होंने बताया, “पिछले नौ हिंदी सम्मेलन साहित्य को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किए गए जबकि यह सम्मेलन हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया है ।" उनके शब्दों में, "यह सम्मेलन परिणाममूलक रहेगा और इसी उद्देश्य से सम्मेलन में ऐसे विषयों का चयन किया गया है जिसमें वर्तमान समय में हिंदी भाषा के विस्तार की संभावनाएँ हैं । संचार एवं सूचना, प्रशासन, सूचना प्रौद्योगिकी, विज्ञान और विदेश नीति ऐसे ही कुछ विषय हैं।"

इससे पूर्व अपने स्वागत वक्तव्य में मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधान मंत्री और अतिथियों का स्वागत करते हुए श्री मोदी का सम्मेलन के आयोजन की सहमति देने के लिए धन्यवाद दिया।

सम्मेलन में पारित प्रमुख मंतव्य

1. विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान देश-विदेश से आए अनेक विद्वानों, हिंदी मनीषियों एवं अन्य प्रतिभाशाली विशेषज्ञों ने 12 चयनित विषयों पर समानांतर सत्रों में गहन चर्चा के पश्चात जो अनुशंसाएँ की हैं, विदेश मंत्रालय एक विशेष समीक्षा समिति गठित कर उन अनुशंसाओं को यथोचित कार्यवाही हेतु विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों को अग्रेषित करे ।

2. 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन सन् 2018 में मॉरीशस में किया जाए जिस दौरान वहाँ स्थित विश्व हिंदी सचिवालय के नए भवन का औपचारिक उद्घाटन भी किया जाए।

समापन समारोह

विश्व हिंदी सम्मेलन का औपचारिक समापन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में भारत के केंद्रीय गृह मंत्री माननीय श्री राजनाथ सिंह उपस्थित हुए। इस अवसर पर माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान, भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, माननीय श्री केसरी नाथ त्रिपाठी, माननीया श्रीमती मृदुला सिन्हा, छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री माननीय डॉ. रमण सिंह, हरियाणा के मुख्य मंत्री माननीय श्री मनोहर लाल खट्टर, मॉरीशस की शिक्षा व मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा व वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री माननीया श्रीमती लीला देवी दुखन- लछुमन, विदेश राज्य मंत्री माननीय जनरल डॉ. वी. के. सिंह, राज्य सभा सांसद माननीय श्री अनिल माधव दवे तथा विदेश मंत्रालय में सचिव श्री अनिल वाधवा ने अपनी उपस्थिति से मंच की शोभा बढ़ाई।

मुख्य अतिथि माननीय श्री राजनाथ सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा, "हिंदी संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में शामिल होनी चाहिए और इसके लिए भारत सरकार अपनी ओर से पूरा प्रयास करेगी।" उन्होंने कहा, "यदि हम योग को 177 देशों के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र में स्थान दिला सकते हैं तो मात्र 127 देशों के समर्थन से हिंदी को संयुक्त राष्ट्र में शामिल करने की क्षमता भी रखते हैं।" आगे उन्होंने यह भी कहा, "गिरमिटिया मज़दूरों ने हिंदी को सबसे बड़ा योगदान दिया है और विदेशों में इस भाषा को मरने नहीं दिया । "

अपने स्वागत भाषण में मुख्य मंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "हिंदी का भविष्य उज्ज्वल है। हिंदी अत्यंत प्राचीन, उन्नत और श्रेष्ठ भाषा है और इसमें कोई कमी नहीं है। हमें हिंदी को मान-सम्मान दिलाने के लिए अपनी मानसिकता को बदलना होगा। मध्य प्रदेश में सारा कामकाज हिंदी में करने के लिए सरकार कृत संकल्प है।