चौथा विश्व हिंदी सम्मेलन, मॉरीशस, 1993

चौथे विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन दो से चार दिसंबर १९९३ तक मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में आयोजित किया गया। सत्रह वर्ष बाद मॉरीशस में एक बार फिर विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा था।

इस बार विश्व हिंदी सम्मेलन के आयोजन का उत्तरदायित्व मॉरीशस के कला, संस्कृति, अवकाश एवं सुधार संस्थान मंत्री श्री मुक्तेश्वर चुनी ने संभाला था, जिन्हें राष्ट्रीय आयोजन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

इसमें भारत से गए प्रतिनिधिमंडल के नेता श्री मधुकर राव चौधरी और उपनेता थे तत्कालीन गृह उपमंत्री श्री रामलाल राही। सम्मेलन में मॉरीशस के अतिरिक्त लगभग २०० अन्य विदेशी प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

पारित मंतव्य:

1. चतुर्थ विश्व हिंदी सम्मेलन की आयोजक समिति को यह अधिकार दिया जाता है कि वह भारत और मॉरिशस के प्रधान मंत्रियों से परामर्श करके तीन माह के अंदर एक स्थायी समिति एवं सचिवालय गठित करे जिसका लक्ष्य भविष्य में विश्व हिंदी सम्मेलनों का आयोजन करना तथा अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी का विकास और उत्थान करना होगा।

2. यह सम्मेलन पिछले तीनों विश्व हिंदी सम्मेलनों में पारित संकल्पों की संपुष्टि करते हुए 'विश्व हिंदी विद्यापीठ' की शीघ्रातिशीघ्र स्थापना की मांग करता है। साथ ही मॉरिशस में विश्व हिंदी केंद्र की स्थापना की मांग को दोहराता है।

3. सम्मेलन इस तथ्य पर संतोष व्यक्त करता है कि विश्व के अनेक विश्व विद्यालयों में हिंदी का अध्ययन और अध्यापन उत्तरोतर बढ़ता जा रहा है। यह सम्मेलन विभिन्न राष्ट्र सरकारों और विश्व विद्यालयों से अनुरोध करता है कि वे हिंदी पीठों की स्थापना उत्साहपूर्वक करें।

4. इस सम्मेलन का यह मंतव्य है कि विश्व के सभी देशों, विशेषकर भारत तथा भारतीय मूल की जनसंख्या वाले देशों के बीच सर्वविद संचार व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जाए। हिंदी को प्राथमिकता देते हुए इन देशों के साथ आकाशवाणी, दूरदर्शन और समाचार समितियों के प्रगाढ़ संबंध स्थापित किए जाएं। इस संदर्भ में भारत और मॉरिशस के बीच हिंदी की समाचार समिति 'भाषा' की सेवा शुरु होने पर सम्मेलन प्रसन्नता व्यक्त करता है और इस ऐतिहासिक कदम के लिए मॉरीशस और भारत के प्रधान मंत्रियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता है। सम्मेलन भारत से अनुरोध करता है कि हिंदी के दैनिक समाचार पत्र, पत्रिकाएं और पुस्तकें प्रकाशित करने में सक्रिय सहायता करे।

5. चतुर्थ विश्व हिंदी सम्मेलन की मान्यता है कि राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी का प्रयोग और प्रभाव बढ़ा है लेकिन इसके बावजूद हिंदी को उसका उचित स्थान प्राप्त नहीं हो सका है। अतः यह सम्मेलन महसूस करता है कि हिंदी को उसका उचित स्थान दिलाने के लिए शासन और जन समुदाय विशेष प्रयत्न करे।

6. यह सम्मेलन विश्व के समस्त हिंदी प्रेमियों से अनुरोध करता है कि वे अपने निजी एवं सार्वजनिक कार्यों में हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग करें और यह संकल्प लें कि वे कम से कम अपने हस्ताक्षरों, निमंत्रण पत्रों, निजी पत्रों और नामपट्टों में हिंदी का प्रयोग करेंगे।

7. इस सम्मेलन में आए विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने-अपने देशों के शासन को सम्मेलन की इस मांग से अवगत करायेंगे कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए वे सघन प्रयास करें ।