विश्व हिंदी दिवस 2022

10 जनवरी, 2022 को विश्व हिंदी सचिवालय ने शिक्षा, तृतीयक शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा भारतीय उच्चायोग, मॉरीशस के संयुक्त तत्वावधान में विश्व हिंदी सचिवालय के सभागार, फ़ेनिक्स में विश्व हिंदी दिवस समारोह का भव्य आयोजन किया। समारोह का आरम्भ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।

समारोह की मुख्य अतिथि मॉरीशस की उप प्रधान मंत्री, शिक्षा, तृतीयक शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, माननीया श्रीमती लीला देवी दुकन-लछुमन रहीं। इस अवसर पर भारतीय उच्चायुक्त, महामहिम श्रीमती के. नंदिई सिंग्ला तथा विदेश, क्षेत्रीय एकीकरण एवं अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री, माननीय श्री आलान गानू ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

श्रीमती लीला देवी दुकन-लछुमन एवं श्रीमती के. नंदिनी सिंग्ला

मुख्य अतिथि माननीया श्रीमती लीला देवी दुकन-लछुमन ने सभी को विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए विश्व हिंदी सचिवालय की गतिविधियों की सराहना की। उन्होंने कहा “हिंदी की प्रकृति और विशेषता एकदम निराली है। वह फ़िल्मों द्वारा मनोरंजन तो करती ही है तो दूसरी ओर धर्म, संस्कृति, दर्शन, परम्परा आदि की वाहिका भी है। जब से हमारे पूर्वजों के कदम यहाँ पड़े, तब से हिंदी का भी आगमन हुआ। उस समय से आज तक हिंदी आगे बढ़ती गई। बैठका से निकलकर विश्वविद्यालय तक उसकी यात्रा विचित्र है। मॉरीशस में हिंदी हर प्रकार की बाधाओं से मुक्त है। अनेक देशों के शिक्षा क्रम में हिंदी के आ जाने से आज उसका सफल भविष्य निश्चित है। हमें इस बात को मानना होगा कि हिंदी को गति देने के लिए हमें अपना योगदान देना होगा। युवक हिंदी सिखाने के नए तरीकों से आकर्षित होंगे और हिंदी का विकास होगा।” उन्होंने बताया प्रौद्योगिकी को शिक्षा का एक महत्वपूर्ण अंग बताया तथा कहा कि उसकी सहायता से हिंदी को और गति मिलेगी।

श्रीमती मीनाक्षी लेखी का वीडियो संबोधन

इस अवसर पर भारत की विदेश राज्य मंत्री, माननीया श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने वीडियो रिकॉर्डिंग द्वारा सभी को विश्व हिंदी दिवस की शुभाकामनाएँ देते हुए हिंदी के प्रति समर्पित सभी लेखकों, साहित्यकारों आदि के प्रति आभार प्रकट किया, जिनके सहयोग से हिंदी को विश्व स्तर पर स्थापित किया जा सका है और भारतीय संस्कृति और सभ्यता को देखते ही विदेशियों को हिंदी सीखने हेतु आकर्षित करती है।

समारोह के दौरान ‘विश्व में हिंदी की संकल्पना’ पर एक वीडियो रिकॉर्डिंग चलाई गई, जिसमें विश्व के कोने-कोने से हिंदी प्रेमियों ने हिंदी के प्रति अपनी रुचि व प्रेम का प्रदर्शन किया, जिनमें श्री लंका, चीन, न्यू ज़ीलैंड, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ़िजी, कनाडा, अमेरिका, दक्षिण अफ़्रीका, तनज़ानिया, यूनाइटड किंग्डम, पुर्तगाल, जर्मनी, नीदरलैंड, उज़्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, कतर, दुबई, सूरीनाम आदि शामिल हैं। महामहिम श्रीमती के. नंदिनी सिंग्ला ने इस अवसर पर भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री, महामहिम श्री नरेंद्र मोदी का संदेश पढ़कर सुनाया। अपने उद्बोधन में महामहिम ने सभी को विश्व हिंदी दिवस 2022 की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा “भारत के बाहर मॉरीशस ही एक मात्र ऐसा देश है, जिसने विश्वव्यापी स्तर पर हिंदी के प्रचार-प्रसार की ज़िम्मेदारी ली है। विश्व हिंदी सचिवालय भारत और मॉरीशस के इस अनोखी साझेदारी का प्रतीक है। यदि लोग हँसत -गाते हिंदी सीखने लगे, तो हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनने में कोई देरी नहीं होगी।” उन्होंने विश्व हिंदी सचिवालय को हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु कई सुझाव भी दिए।

डॉ. माधुरी रामधारी द्वारा स्वागत

समारोह के आरम्भ में सचिवाल्य की उपमहासचिव, डॉ. माधुरी रामधारी ने उपस्थित महानुभावों व सभी अतिथियों का स्वागत किया और सभी को विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए विश्व हिंदी दिवस के इतिहास कर प्रकाश डाला। तत्पश्चात् उन्होंने आयोजित अंतरराष्ट्रीय संस्मरण-लेखन प्रतियोगिता के परिणामों के घोषणा की।

पुस्तकों का लोकार्पण

समारोह के दौरान डॉ. इंद्रदेव भोला इंद्रनाथ की पुस्तक ‘विकसित हिंदी कहानियाँ’ (25 लेखकों की कहाँइयों का संकलन) तथा डॉ. बीरसेन जागासिंह की पुस्तक ‘हार्दिक प्रतिध्वनियाँ’ (150 कविताओं का संकलन) का लोकार्पण संपन्न हुआ।

विश्व हिंदी पत्रिका के 13वें अंक का विमोचन

इस वर्ष सचिवालय ने अपने वार्षिक प्रकाशन ‘विश्व हिंदी पत्रिका’ के 13वें अंक (मुद्रित व वेब प्ररूपों) का लोकार्पण किया। इस अंक में विश्व के विभिन्न प्रदेशों के हिंदी विद्वानों एवं लेखकों द्वारा प्रणीत 37 ज्ञानवर्धक आलेख सम्मिलित किए गए हैं, जो हिंदी के उद्भव एवं विकास, लिपि, साहित्य और संस्कृति, हिंदी का ई-संसार और जन-माध्यम, हिंदी-शिक्षण, हिंदी के विविध आयाम, हिंदी के क्षेत्र में आज के प्रश्न, हिंदी किए पथप्रदर्शक तथा दिवंगत हिंदी साहित्यकारों के प्रति श्रद्धांजलि से संबंधित हैं। यह अंक सचिवालय के वेबसाइट www.vishwahindi.com पर उपलब्ध है।

पत्रिका के अंक का विमोचन

अंतरराष्ट्रीय संस्मरण लेखन प्रतियोगिता

विश्व हिंदी दिवस 2022 के उपलक्ष्य में सचिवालय ने वर्ष 2021 में ‘अंतरराष्ट्रीय कहानी लेखन प्रतियोगिता’ का आयोजन किया था। नियमानुसार प्रतियोगिता को 5 भौगोलोक क्षेत्रों में बाँटा गया था – 1. अफ़्रीका व मध्य पूर्व, 2. अमेरिका, 3. एशिया व ऑस्ट्रेलिया (भारत के अतिरिक्त), 4. यूरोप, 5. भारत। सभी क्षेत्रों से कुल 59 प्रतिभागियों ने भाग लिया। समारोह में मॉरीशस के तीन विजेताओं (प्रथम पुरस्कार- श्रीमती सविता तिवारी, द्वितीय पुरस्कार - श्रीमती सुनीता आर्यानायक तथा तृतीय पुरस्कार – श्री आकाश आर्यानायक) को पुरस्कार एवं प्रमाण-पत्र भेंट किए गए प्रतियोगिता के परिणाम सचिवालय के वेबसाइट www.vishwahindi.com पर उपलब्ध हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम

इस वर्ष महात्मा गांधी संस्थान के कलाकारों द्वारा कथक तथा प्लेट नृत्य विश्व हिंदी दिवस के मंच पर प्रस्तुत किया गया। नृत्य ‘ध्वनि: सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ पर आधारित रहा। डॉ. शैलाना देवी रामदू, श्रीमती मनीषा द्वारका और श्रीमती मीता बिहारी ने इस नृत्य में भाग लिया।

इसके अतिरिक्त लेखक, संगीतकार तथा शिक्षक श्री मोहरलाल चमन और टोली द्वारा गीत-प्रस्तुति की गई। श्री संदीप गूलोब तथा श्री यश्पाल दीक्षित जोगेश्वर ने सितार और तब्ले पर श्री चमन का साथ दिया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम

साथ-साथ ‘हिंदी के लिए उठाएँगे नया कदम’ शीर्षक पर नाटक प्रस्तुति की गई, जिसमें श्रीमती शर्मिला गणपत, श्रीमती आरती हेमराज़-परमेसर, श्री प्रकाश हरनोम, श्री प्रीतम बंग्शी, श्री माधव गणेश, सुश्री दीपशिखा ओचम्बित तथा सुश्री केशना रामरीचिया ने भाग लिया।

इस अवसर पर अनेक मंत्त्रालयों के अधिकारी गण, शैक्षित, प्रचारक व धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि व सदस्य गण और मॉरीशसीय हिंदी साहित्यकारों, लेखकों, आदि ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। मंच-संचालन डॉ. माधुरी रामधारी ने किया।

अन्य गतिविधियाँ – लेखक सम्मेलन

समारोह के द्वितीय सत्र में लेखक सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें कला एवं सांस्कृतिक धरोहर मंत्रालय की कार्यवाहक उपनिदेशक (संस्कृति) श्रीमती अनुपमा चमन चोमू ने स्वागत वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि “हमारे कवि और लेखक हमारे समाज का प्रतिबिम्ब होते हैं। मॉरीशस और भारत को उनके कवियों व लेखकों द्वारा जाना जाता है।” सम्मेलन के दौरान श्री निरंजन बिगन ने डॉ. इंद्रदेव भोला इंद्रनाथ द्वारा संपादित ‘विकसित हिंदी कहानियाँ’ पुस्तक का सामूहिक रूप से समीक्षा करते हुए कहा कि “इस कहानी-संग्रह का मूल विषय पारिवारिक संबंध है। इस संग्रह ने न केवल कल्पना लोक का विचरण कराया है अपितु जीवन की वास्तविकता की बखूबी चर्चा की है।”

श्री कविराज बाबू ने ‘अध: पतन’ कहानी पर विचार व्यक्त करते हुए कहा “यह कहानी धर्म-परिवर्तन जैसे ज्वलंत विषय पर आधारित है, कहानी का शीर्षक गाँव वालों के संवाद से ही उजागर होता है।” डॉ. इंद्रदेव भोला इंद्रनाथ द्वारा ‘अध: पतन’ कहानी पर विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने कहा “कहानी में धर्म-परिवर्तन की समस्या को रेखांकित किया गया तथा उस समस्या का परिणाम भी बताया गया है।”

महात्मा गांधी संस्थान के वरिष्ठ व्याख्याता, डॉ. कृष्ण कुमार झा ने ‘धरती माँ की मुस्कान’ पर विचार व्यक्त करते हुए कहा “कहानी में दहेज और वैवाहिक संबंधों को लेकर कई प्रकार की स्थिति, परिस्थिति तथा परिणामों का उल्लेख हुआ है।” डॉ. लालदेव अंचरज ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहानी के कथानक को सब के समक्ष प्रस्तुत किया। श्री राजेंद्र सदासिंह द्वारा ‘शिकायत’ कहानी के कथानक को प्रस्तुत किया। डॉ. हेमराज सुंदर ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “इस कहानी में पात्र भले ही युवा है परंतु उसका मन बाल्यावस्था में जूझकर कहानी को आगे ले जाती है।”

साहित्य संवाद की समंवयक एवं हिंदी लेखिका, श्रीमती अंजू घरभरन द्वारा ‘परोपकार’ कहानी पर विचार व्यक्त करते हुए कहा “परिवारों में बहुत समस्याएँ थीं तथा उन समस्याओं से जूझते हुए यह कहानी लिखी गई है।” हिंदी लेखक श्री मोहनलाल जागेसर ने अपनी कहानी ‘परोपकार’ पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि “इस कहानी से हमें परिश्रम और परोपकार करने का ज्ञान मिलता है जो मानव के कर्तव्य होते हैं।”

विश्व हिंदी सचिवालय की शासी परिषद् के सदस्य, डॉ. उदय नारायण गंगू द्वारा डॉ. बीरसेन जागासिंह कृत ‘हार्दिक प्रतिध्वनियाँ’ पुस्तक की समीक्षा करते हुए कहा कि “इस पुस्तक के माध्यम से कवि का बहूआयामी स्वरूप सामने आता है। लेखक ने हिंदी को प्रेम की भाषा बताया तथा इस पुस्तक में हिंदी के प्रति उनका लगाव दिखता है।” डॉ. इश शर्मा, आयुष चेयर के अपनी बात रखते हुए बताया कि “कवि डॉ. जगासिंह का व्यक्तित्व पित्र प्रधान जान पड़ता है। उन्होंने अपना प्रतिरोध दर्शाया है। हिंदी भाषा के प्रति लेखक का प्रेम जगह-जगह झलकता है।” महात्मा गांधी संस्थान की हिंदी विभागाध्यक्षा, डॉ. अंजलि चिंतामणि द्वारा ‘भारत माता/ न्यारा देश हमारा’ पर विचाराभिव्यक्ति करते हुए कहा “कविता न्यारा देश हमारा एक आदर्श्वादी कविता है। यदि हम कविता की गहराई में जाएँगे तो अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने समस्याओं को उभारा है। भारत माता कविता माँ की भाँति संरक्ष्ण प्रदान करता है। माता हमेशा सुमाता बनकर रहती है।”

डॉ. सोमदत्त काशीनाथ ने ‘एक और निराला / प्यार पुराना अपना’ कविता पर विचार देते हुए कहा “कवि ने अपने एक साहित्यकार मित्र के संघर्षों की तुलना सुप्रसिद्ध छायावादी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के जीवन के कटू अनुभवों से की है। दोनों कविताओं में सरल भाषा में उत्तम विचारों की अभिव्यक्ति हुई है।” हिंदी शिक्षिका एवं लेखिका, श्रीमती तीना जग्गू-मोहेश द्वारा ‘कोरोना / रोना व्यर्थ है’ कविताओं पर बात करते हुए कहा “दोनों कविताओं को पढ़ते ही मुझे आभास हो जाता है कि लेखक किस तरह वास्तविकता के धरातल पर टिके हुए हैं। कवि की रचना में यथार्थ उपस्थित है।”

महात्मा गांधी संस्थान की हिंदी व्याख्याता, डॉ. लक्ष्मी झमन ने ‘पूज्य वासुदेव विष्णुदयाल / श्री मोहनलाल मोहित’ पर विचार साझा करते हुए कहा कि “दोनों कविताएँ देश के महापुरुषों पर आधारित हैं। कविताएँ सोयी हुई आकांक्षाओं को जगाने वाली एवं लोगों के मन में सोए हुए साहस औ र्त्याग के गुणों को जगाने वाली कविताएँ हैं। साथ ही, वे जातीय गौरवशाली इतिहास से हिंदी प्रेमियों को जोड़ने वाली कविताएँ हैं।” डॉ. बीरसेन जागासिंह ने अपने विचार व्यक्त की और कहा कि “मेरी रचनाएँ मेरे जीवन से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हुई है। लेखक की सफ़लता उसी में है जब पढ़ने वाला अपने आप को उस रचना में पाता है।”

इसके अतिरिक्त श्री राजेश्वर सितोहल, श्री मृणाल घुराऊ एवं सुश्री विदुषी बातू द्वारा ‘वह आप्रवासी ‘राम’’ शीर्षक नाटक तथा श्री विशाल मंगरू द्वारा गीत-प्रस्तुति की गई।

- विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट