कार्यारंभ दिवस 2009

विश्व हिंदी सचिवालय ने 11 फरवरी, 2009 को अपने आधिकारिक कार्यारंभ की प्रथम वर्षगांठ इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, फेनिक्स में मनाई । सचिवालय की शासी परिषद के निर्णय के अनुसार सचिवालय ने पिछले साल इसी तिथि से आधिकारिक रूप से कार्य करना प्रारंभ किया था । इस अवसर पर 'विश्व भाषा हिंदी: संभावनाएँ और दायित्व' विषय पर व्याख्यान देने के लिए प्रोफेसर चमन लाल को आमंत्रित किया गया था ।

सचिवालय की महासचिव डॉ. श्रीमती विनोद बाला अरुण ने अपने स्वागत भाषण में इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता भारतीय भाषा केंद्र, जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रो. चमन लाल के प्रति आभार प्रकट किया कि उन्होंने सचिवालय का निमंत्रण स्वीकार करके 'विश्व भाषा हिंदी: संभावनाएँ और दायित्व' जैसे गंभीर विषय पर व्याख्यान देने की स्वीकृति दी । हिंदी को विश्वभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए जो लोग कार्यरत हैं, उनके लिए यह विषय बहुत महत्वपूर्ण है । हमें हिंदी को विश्व भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करना है । इसके लिए संभावनाओं को तलाशना है और इस दिशा में कार्यरत होने के लिए अपने उत्तरदायित्व को समझकर आगे बढ़ना है ।

प्रोफेसर चमन लाल ने विश्व हिंदी सचिवालय को प्रथम वर्षगांठ पर बधाई दी । उन्होंने आँकड़ों के साथ बताया कि हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है । हिंदी भारत के अतिरिक्त मॉरीशस, फीजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद एंड टोबेगो में प्रमुख स्थान रखती है । इन देशों की आधी आबादी हिंदी भाषी क्षेत्रों से आकर बसी है और आज भी हिंदी या भोजपुरी से अपना जीवंत संपर्क रखे हुए है । इन छह देशों के अतिरिक्त 70 से ज़्यादा देशों में हिंदी का अध्ययन-अध्यापन होता है और हिंदी फिल्मों व गीतों की पहुँच 100 से ज़्यादा देशों में है । प्रो. चमन लाल ने हिंदी को विश्वभाषा बनाने के लिए हिंदी में ज्ञान-विज्ञान की शब्दावली बढ़ाने व मूल हिंदी में समाज ज्ञान-विज्ञान की उच्च-स्तरीय पुस्तकों की रचना पर बल दिया ।

इस आयोजन में भारतीय उच्चायोग के द्वितीय सचिव डॉ. जय प्रकाश कर्दम ने विश्व हिंदी सचिवालय को प्रथम वर्षगांठ पर बधाई दी । उन्होंने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाने के लिए एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया ।

विश्व हिंदी सचिवालय की शासी परिषद के माननीय सदस्य एवं हिंदी संगठन, मॉरीशस के अध्यक्ष श्री अजामिल माताबदल ने भी अपने विचार रखे।

- विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट