कार्यारंभ दिवस 2011

विश्व हिंदी सचिवालय ने 11 फरवरी, 2011 को सुब्रमण्यम् भारती सभागार, महात्मा गांधी संस्थान, मोका में अपने आधिकारिक कार्यारंभ की तृतीय वर्षगांठ मनाई । इस अवसर पर “अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में हिंदी” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया । इस संगोष्ठी में बीज-वक्तव्य देने के लिए विख्यात भाषाविद् और भारत के सुप्रसिद्ध हिंदी विद्वान प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी जी को आमंत्रित किया गया था ।

विश्व हिंदी सचिवालय के उपमहासचिव श्री गंगाधरसिंह सुखलाल जी ने इस वर्षगांठ में उपस्थित समस्त हिंदी विद्वानों, हिंदी प्रेमियों तथा हिंदी छात्रों का हार्दिक स्वागत किया तथा प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी जी के प्रति आभार भी प्रकट किया कि उन्होंने विश्व हिंदी सचिवालय के आधिकारिक कार्यारंभ की तृतीय वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता बनने की स्वीकृति दी ।

इस अवसर पर सचिवालय की शासी परिषद के सदस्य श्री अजामिल माताबदल जी ने संगोष्ठी के अध्यक्ष के रूप में सभी अतिथियों का स्वागत किया और अपना हर्ष भी प्रकट किया कि नौकरी की व्यस्तता होते हुए भी हिंदी प्रेमी बड़ी संख्या में इस संगोष्ठी में भाग लेने आए । साथ ही महात्मा गांधी संस्थान के विद्यार्थियों को विशेष रूप से धन्यवाद दिया कि उन्होंने इस संगोष्ठी में अपनी रुचि दिखाई ।

भारतीय उच्चायोग के द्वितीय सचिव (शिक्षा व भाषा), श्री मिमांसक जी ने सचिवालय की ओर से इस संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी का स्वागत करते हुए उनके प्रति आभार प्रकट किया कि वे “अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में हिंदी” जैसे गंभीर विषय पर व्याख्यान देने के लिए भारत से मॉरीशस आए । श्री मिमांसक जी के वक्त्व्य के उपरांत महात्मा गांधी संस्थान की एक छात्रा द्वारा प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी जी का पुष्प गुच्छ से सम्मान किया गया।

“अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में हिंदी” विषय पर बीज वक्तव्य देते हुए विख्यात भाषाविद् प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी ने अत्यंत वैज्ञानिक रूप से हिंदी के अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप को उभारा । उन्होंने अपने व्याख्यान में ‘विदेशों में हिंदी की स्थिति’, ‘विदेशों में हिंदी के विभिन्न संदर्भ’ तथा ‘विदेशों में हिंदी शिक्षण की स्थिति’ जैसे महत्वपूर्ण समकालीन विषयों पर चर्चा की । प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी के अनुसार वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिंदी की पहचान बढ़ गई है । "हिंदी मात्र साहित्य की भाषा ही नहीं वरन संचार माध्यम, संप्रेषण, मीडिया और इंटरनेट की भाषा बन चुकी है । इसलिए हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करने के लिए इसे संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाने की प्रक्रिया जारी है।"

संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए श्री अजामिल माताबदल जी ने विश्व हिंदी सचिवालय को बधाई दी और यह इच्छा भी व्यक्त की कि आगे चलकर सचिवालय और अधिक संगोष्ठियों का आयोजन करे जिससे मॉरीशस के हिंदी प्रेमी और हिंदी विद्यार्थी लाभान्वित होते रहें ।

इस अवसर पर प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी ने प्रगत संगणन विकास केंद्र (CDAC) की ओर से महात्मा गांधी संस्थान के हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ. राजरानी गोबिन को ‘हिंदी भाषा की तैयारी’ विषयक सीडी भेंट की । महात्मा गांधी संस्थान के सृजनात्मक लेखन विभाग के अध्यक्ष तथा मॉरीशस के सुप्रसिद्ध कवि डॉ. हेमराज सुन्दर ने प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी को संस्था की साहित्यिक पत्रिका ‘वसंत’ के तीन अंक प्रस्तुत किए ।

संगोष्ठी के उपरांत एक काव्य गोष्ठी का भी आयोजन हुआ जिसमें स्थानीय साहित्यकार डॉ. हेमराज सुन्दर, श्री राज हीरामन, श्री सूर्यदेव सिबोरत, डॉ. लालदेव अंचराज़, श्री धनराज शंभु, श्रीमती अलका धनपत, सुश्री भानुमती नागदान तथा श्री अजामिल माताबदल जी ने सुरुचिपूर्ण अपनी कविताओं का सस्वर पाठ किया ।

महात्मा गांधी संस्थान के सभागार में आयोजित इस संगोष्ठी में महात्मा गांधी संस्थान के हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ. राजरानी गोबिन तथा प्राध्यापक सुश्री अंजलि चिंतामणी, श्रीमती माधुरी रामधारी, डॉ. जयचंद लालबिहारी, श्री कृष्ण कुमार झा, हिंदी संगठन के अध्यक्ष एवं सदस्य श्री राजनारायण गति, आर्य सभा मॉरीशस के उपाध्यक्ष श्री सत्यदेव पीरतम, हिंदी प्रचारिणी सभा के सचिव श्री धनराज शंभु, डी.ए.वी. डिग्री कॉलेज के निदेशक डॉ. उदय नारायण गंगू, हिंदी लेखक संघ के सचिव डॉ. लालदेव अंचराज़, एम.बी.सी (MBC) की ओर से श्री दीपक नोबिन तथा स्थानीय साहित्यकार श्री रामदेव धुरंधर, श्रीमती सीता रामयाद, श्री सुरेश रामबर्ण, श्री लक्ष्मीप्रसाद मंगरू, श्री परमेश्वर बिहारी, श्री ज्ञान धनुकचंद सहित अनेक विद्वान और महात्मा गांधी संस्थान की ओर से बी.ए के प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के विद्यार्थी भी अपस्थित थे ।

कार्यक्रम का अंत सचिवालय के उपमहासचिव श्री गंगाधरसिंह सुखलाल तथा संगोष्ठी के अध्यक्ष श्री अजामिल माताबदल जी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ ।

- विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट