कार्यारंभ दिवस 2013

विश्व हिंदी सचिवालय ने अपने आधिकारिक कार्यारंभ की पाँचवीं वर्षगांठ 11 फ़रवरी, 2013 को डी.ए.वी. डिग्री कॉलेज, पाय के सभागार में मनाई। इस अवसर पर विशेष कार्यक्रम के रूप में भारत से आमंत्रित प्रख्यात हिंदी विद्वान व भाषावैज्ञानिक प्रो. वी.आर. जगन्नाथन तथा मॉरीशस के दो हिंदी विद्वानों डॉ. उदय नारायण गंगू व श्री रामदेव धुरंधर के वक्तव्य हुए।

इस अवसर पर विशेष रूप से भारतीय उच्चायुक्त महामहिम श्री टी.पी सीताराम ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। साथ ही शिक्षा व मानव संसाधन मंत्रालय के प्रधान सहायक सचिव, श्री मेधा गणपत, आर्य सभा मॉरीशस के प्रधान, श्री हरिदेव रामधनी तथा डॉ. हंसा गणेसी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

उपमहासचिव श्री गंगाधरसिंह सुखलाल ने सभागार में उपस्थित गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया। विशेष अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ समारोह का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर श्रीमती ललिता गोपी ने सरस्वती वंदना गायन किया। उनकी प्रस्तुति ने सभागार को मंत्रमुग्ध कर दिया।

महासचिव श्रीमती पूनम जुनेजा ने सभागार में उपस्थित सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि "मॉरीशस में विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना वैश्विक स्तर पर हिंदी का प्रचार-प्रसार करने के लक्ष्य से हुई है। भारत और मॉरीशस सरकार के संयुक्त तत्वावधान में स्थापित सचिवालय ने अपना औपचारिक कार्य 11 फ़रवरी, 2008 को आरंभ किया था और तब से लेकर अब तक अपने विज़न और मिशन तथा उद्देश्यों के अनुरूप सचिवालय कई कार्यक्रम, संगोष्ठियाँ, सम्मेलन तथा हिंदी के उन्नयन से संबंधित गतिविधियाँ आयोजित कर चुकी हैं।"

समारोह में भारतीय उच्चायोग के द्वितीय सचिव श्री मीमांसक, इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की निदेशिका सुश्री अमिता शॉ; आर्य सभा के मंत्री श्री सत्यदेव प्रीतम; हिंदी संगठन के प्रधान श्री राजनारायण गति; महात्मा गांधी संस्थान के प्राध्यापक गण; वासुदेव विष्णुदयाल कॉलेज से श्री रामनाथ जीता; स्थानीय हिंदी साहित्यकार आदि उपस्थित थे।

इस वर्ष भी सचिवालय का आधिकारिक कार्यारंभ दिवस वक्ताओं की विद्वता तथा वक्तव्य के विषयों की विविधता व मौलिकता के कारण विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। कई हिंदी विद्वानों, हिंदी छात्रों तथा हिंदी प्रेमियों ने वक्तव्य को सुनने में अपनी रुचि दिखाई। डी.ए.वी. डिग्री कॉलेज के छात्रों व प्रध्यापकों के साथ-साथ महात्मा गांधी संस्थान के हिंदी विभाग के छात्र व प्रध्यापक भी समारोह में उपस्थित हुए थे।

प्रो. वी. आर. जगन्नाथन का वक्तव्य

समारोह के अतिथि वक्ता प्रो. वी. आर. जगन्नाथन ने 'वैश्विक संदर्भ में हिंदी' विषय पर व्याख्यान देते हुए हिंदी भाषा के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उभारा। प्रो. जगन्नाथन ने बताया कि राष्ट्रभाषा और विश्व भाषा कोई पदवी नहीं है। यह तो भाषा के लिए एक ऐसी भूमिका है, जो भावना तथा अस्मिता पर आधारित है। उन्होंने भाषा को सामासिक संस्कृति (Composite Culture) का माध्यम बनाने की बात की। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सामासिक संस्कृति की अभिव्यक्ति की क्षमता के आधार पर अंग्रेज़ी भाषा ने विपुल सामग्री इकट्ठा करके विश्व भाषा का दर्जा हासिल किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जो कार्य अंग्रेज़ी या अन्य भाषाओं में हो सकते हैं, यदि वे हिंदी में भी किए जाएँ तो हिंदी से जुड़ाव अधिक होगा तथा यह विज्ञान, अर्थ, सामाजिक विज्ञान आदि क्षेत्रों में संबल बनेगी।

उन्होंने किसी भी क्षेत्र में रचे जा रहे साहित्य को बढ़ावा देने के लिए पेपर तैयार करने पर बल दिया गया ताकि उन प्रांत का साहित्य अधिक हिंदी-प्रेमियों तक पहुँच पाए और वे उस देश-विशेष के साथ-साथ उसकी संस्कृति को अपनी भाषा में समझ सकें। प्रो. जगन्नाथन ने हिंदी के ऐसे पाठ्यक्रम तैयार करने पर भी बल दिया जो अन्य देशों में भी भेजे जा सकें। उनके अनुसार इस कार्य में विभिन्न देशों में उपस्थित भारतीय उच्चायोग सांस्कृतिक दूत का कार्य कर सकते हैं।

डॉ. उदय नारायण गंगू व श्री रामदेव धुरंधर के वक्तव्य

समारोह के दो अन्य विशिष्ट वक्ताओं ने भी अत्यंत ज्ञानवर्धक वक्तव्य दिए। मॉरीशस के सुप्रसिद्ध लेखक श्री रामदेव धुरन्धर ने मॉरीशस में हिंदी साहित्य पर बात की। उन्होंने बहुत ही सारगर्भित रूप में हिंदी साहित्य के बीजारोपण, उसके प्रभाव, विकास, विभिन्न विधाओं में लेखकों का झुकाव, विषय वस्तु का चयन, उद्देश्य तथा अन्य मुख्य बिंदुओं पर बात की जिससे उपस्थित हिंदी विद्यार्थी लाभान्वित हुए। उन्होंने नई पीढ़ी को साहित्य से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

उनके पश्चात डी.ए.वी. डिग्री कॉलेज के शैक्षिक अध्यक्ष डॉ. उदय नारायण गंगू ने मॉरीशस में हिंदी शिक्षण के इतिहास से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर बात की। बैठकाओं में हिंदी से होते हुए प्राथमिक, माध्यमिक, सरकारी, गैर-सरकारी संस्थाओं एवं स्वयं-सेवियों की हिंदी शिक्षा संबंधी सेवाओं पर उन्होंने विस्तार से अपने अमूल्य विचार सभी के साथ साझा किए।

महात्मा गांधी संस्थान में व्याख्यान तथा मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपति से भेंट

प्रो. वी.आर जगन्नाथन की मॉरीशस यात्रा का पूरा लाभ उठाते हुए सचिवालय ने 12 फ़रवरी को महात्मा गांधी संस्थान के भाषा संसाधन केंद्र के सौजन्य से संस्थान के सभी भारतीय भाषाओं के प्राध्यापकों के लिए ‘भारतीय भाषा शिक्षण नई प्रणालियाँ’ विषय पर व्याख्यान करवाया। इसके अतिरिक्त 15 फ़रवरी को हिंदी, तमिल विभाग तथा भाषा संसाधन केंद्र के सौजन्य से साहित्य के छात्रों के मध्य प्रो. जगन्नाथन के शोध विषय अर्थात तमिल कवि पेरियालवार और हिंदी कवि सूरदास के साहित्य के तुलनात्मक अध्ययन पर अत्यंत रोचक व्याख्यान का आयोजन किया। प्रो. जगन्नाथन ने अपनी यात्रा के अंतर्गत मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम कैलाश प्रयाग तथा शिक्षा एवं मानव संसाधन मंत्री माननीय वसंत कुमार बनवारी के साथ भी भेंट की जिनके अंतर्गत हिंदी भाषा, संस्कृति और शिक्षण से संबंधित कई विषयों पर गंभीर चर्चा हुई।

विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट