कार्यारंभ दिवस 2019

11 फ़रवरी, 2019 को विश्व हिंदी सचिवालय ने शिक्षा व मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय तथा भारतीय उच्चायोग, मॉरीशस के संयुक्त तत्वावधान में सचिवालय के सभागार, फ़ेनिक्स में अपना 11वाँ आधिकारिक कार्यारंभ दिवस मनाया। प्रथम सत्र में कार्यारंभ दिवस समारोह मनाया गया तथा द्वितीय सत्र में 'हिंदी अधिगम द्वारा ज्ञानात्मक एवं व्यक्तिगत विकास' विषय पर कार्यशाला आयोजित हुई। यह कार्यशाला चार दिवसीय रही।

आधिकारिक कार्यारंभ दिवस समारोह

प्रथम सत्र का शुभारंभ दीप-प्रज्वलन से हुआ। कार्यक्रम में भारतीय उच्चायुक्त, महामहिम श्री तन्मय लाल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस वर्ष उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थान, भोपाल, भारत से हिंदी प्रोफ़ेसर, डॉ. आनन्द कुमार सिंह को बीज वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया।

महामहिम श्री तन्मय लाल ने इस अवसर पर सभागार को संबोधित करते हुए सचिवालय के 11वें आधिकारिक कार्यारंभ दिवस की बधाई दी। महामहिम ने अपने वक्तव्य में हिंदी भाषा की वैश्विकता पर बात की और कहा कि हिंदी केवल भारत और मॉरीशस में ही नहीं पूरे विश्व में बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है और हिंदी-शिक्षण के क्षेत्र में भी इसका काफ़ी विस्तार हुआ है।

डॉ. आनन्द कुमार सिंह ने 'हिंदी अधिगम : अवसर एवं संभावनाएँ' विषय पर बीज वक्तव्य प्रस्तुत किया। डॉ. सिंह ने अपना वक्तव्य देते हुए विश्व भाषा हिंदी की महत्ता की चर्चा की और कहा कि हिंदी केवल भारतवर्ष की नहीं पूरे विश्व की भाषा है। उन्होंने ज्ञानात्मक एवं व्यक्तिगत विकास के लिए भाषा के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने विस्तार से भाषा का अर्थ और उसका महत्त्व समझाया। साथ ही भाषा और व्यक्तित्व के अंतर्संबंध तथा हिंदी का सम्यक ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के आरंभ में सचिवालय के महासचिव, प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने उपस्थित महानुभावों, गण्यमान्य अतिथियों, हिंदी प्रेमियों, शिक्षकों व छात्रों का स्वागत किया। इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के कलाकारों द्वारा 'हिंदी भाषा, राष्ट्र की भाषा, प्रजातंत्र के शास्त्र की भाषा' गान का रमणीय प्रस्तुतीकरण भी हुआ।

समारोह के दौरान प्रसिद्ध मॉरीशसीय हिंदी लेखक श्री हीरालाल लीलाधर कृत 'बाल स्यन्तक' पुस्तक का विशिष्ट अतिथि के हाथों लोकार्पण किया गया। लोकार्पण से पूर्व शिक्षा व मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय में ज़ोन 1 के प्रशासक, श्री निरंजन बिगन ने सुन्दर और रोचक ढंग से पुस्तक का परिचय प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर सचिवालय की शासी परिषद् के सदस्य डॉ. उदय नारायण गंगू, महात्मा गांधी संस्थान परिषद् के अध्यक्ष डॉ. जयनारायण मीतू, संस्थान की एसोसिएट प्रोफ़ेसर एवं भाषा अध्ययन संकाय की अध्यक्षा डॉ. राजरानी गोबिन, इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की निदेशिका आचार्य प्रतिष्ठा, हिंदी प्रचारिणी सभा के प्रधान श्री यंतुदेव बुधु, हिंदी लेखक संघ के प्रधान डॉ. लालदेव अंचराज एवं मानद प्रधान श्री इन्द्रदेव भोला तथा मॉरीशस के प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकारों, शिक्षकों, प्राध्यापकों, विद्यार्थियों व अन्य गण्यमान्य अतिथियों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप-प्रज्वलन से हुआ।

कार्यक्रम का संचालन सचिवालय की उपमहासचिव डॉ. माधुरी रामधारी ने किया।

चार दिवसीय कार्यशाला

11 फ़रवरी 2019 से 14 फ़रवरी 2019 तक सचिवालय ने अपने 11वें आधिकारिक कार्यारंभ दिवस के उपलक्ष्य में माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक स्तर के हिंदी छात्रों के लिए चार दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का मुख्य विषय 'हिंदी अधिगम : अवसर एवं संभावनाएँ' रहा। कार्यारंभ दिवस समारोह के बीज वक्ता डॉ. आनन्द कुमार सिंह ने कार्यशाला का संचालन किया। प्रत्येक दिवस की कार्यशाला के अंतर्गत 2 सत्र आयोजित हुए, जिनके विषय - 'हिंदी अधिगम द्वारा ज्ञानात्मक एवं व्यक्तिगत विकास' तथा 'हिंदी अधिगम द्वारा नए क्षितिजों का विस्तार' थे।

कार्यशाला का लक्ष्य हिंदी अधिगम द्वारा हिंदी शिक्षार्थियों को विश्व में अपने लिए नए द्वार खोलने के तौर-तरीकों से अवगत कराना रहा। कार्यशाला का उद्देश्य था - हिंदी अधिगम की प्रक्रियाओं से होनेवाले ज्ञानात्मक तथा व्यक्तिगत विकास पर प्रकाश डालना, हिंदी अधिगम द्वारा नए क्षितिजों का विस्तार करने के तरीकों से युवा शिक्षार्थियों को परिचित कराना और युवकों को व्यवसाय के क्षेत्र में हिंदी के महत्त्व से अवगत कराना। प्रथम दिवस - 11.02.2019

प्रतिभागी : ज़ोन 4 के माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक एवं विद्यार्थी (बेल रोज़ एस.एस.एस., डॉ. मोरिस कूरे स्टेट कॉलिज, डॉ. रेज़ी शापेरों एस.एस.एस., गाएताँ रेनाल स्टेट कॉलिज, कात्र बोर्न एस.एस.एस. और सोडनाक एस.एस.एस.)

द्वितीय दिवस - 12.02.2019

प्रतिभागी : ज़ोन 3 के माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक एवं विद्यार्थी (धनपत लाला एस.एस.एस., फ़्लोरेआल एस.एस.एस., क्यूर्पिप कॉलिज, हामिल्टन कॉलिज, रेनेसाँस कॉलिज, फ़ॉरेस्ट साइड एस.एस.एस. (बॉय्ज़), हिन्दू गर्ल्स कॉलिज और फ़ॉरेस्ट साइड एस.एस.एस. (गर्ल्स>

तृतीय दिवस - 13.02.2019

प्रतिभागी : ज़ोन 2 के माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक एवं विद्यार्थी (मणिलाल डॉक्टर एस.एस.एस., मॉडर्न कॉलिज, मेफ़्लावर कॉलिज, एबेन (गर्ल्स), एबेन एस.एस.एस. (बॉय्ज़), बो बासें एस.एस.एस., कार्चिये मिलिटेर एस.एस.एस., श्रीमती इंदिरा गांधी एस.एस.एस., सेंट एंड्रूज़ कॉलिज, सनातन कॉलिज, प्रो. वासुदेव विष्णुदयाल कॉलिज, सेंट मेरीज़ कॉलिज और महात्मा गांधी संस्थान)

चतुर्थ दिवस - 14.02.2019

प्रतिभागी : ज़ोन 1 के माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक एवं विद्यार्थी (तेर रुज़ एस.एस.एस., आदोल्फ़ दे प्लेवित्स एस.एस.एस., शर्मा जगदम्बी एस.एस.एस., प्रो. हसन रफ़ा एस.एस.एस., कोस्मोपोलिटन कॉलिज, युनिवर्सल कॉलिज, रामसुन्दर प्रयाग एस.एस.एस., सें बार्तोलोमी कॉलिज, पितों स्टेट कॉलिज, द्रुपनाथ रामफल स्टेट कॉलिज, इंटरनेशनल कॉलिज, सिमाद्री विरास्वामी एस.एस.एस., अब्दुल हमिद गोलाम मोहम्मद इसाक एस.एस.एस., आर. सिनिवासन एस.एस.एस., ज़ाँ मारी फ़्राँ रिशार्ड एस.एस.एस., जी.एम.डी. अच्या स्टेट कॉलिज और पाय एस.एस.एस.) प्रथम सत्र - 'हिंदी अधिगम द्वारा ज्ञानात्मक एवं व्यक्तिगत विकास'

विवेचित बिन्दु : • हिंदी भाषा की वैश्विकता • हिंदी भाषा और व्यक्तित्व का अंतर्संबंध • हिंदी अधिगम द्वारा ज्ञानात्मक एवं व्यक्तिगत विकास • श्रवण कौशल का विकास (प्रवाह के साथ बोली गई हिंदी को अर्थ ग्रहण करते हुए समझना, अनुतान समझना, सुनकर याद रखना, वर्णमाला एवं संयुक्त अक्षरों का सही ज्ञान एवं लिपि का ज्ञान प्राप्त करना, श्रुतलेख करना आदि) • भाषण कौशल का विकास (विविध विषयों पर बातचीत करना या भाषण देना, परिचर्चा या हिंदी अभिनय या वाद-विवाद में भाग लेना और दैनिक कार्यों को करते समय हिंदी का प्रयोग करना) • वाचन कौशल का विकास (हिंदी की साहित्यिक विधाओं को पढ़ना और पठित वस्तु को बताने या उसपर विचार व्यक्त करने की क्षमता का विकास करना, ज्ञान और मनोरंजन के लिए पत्र-पत्रिकाओं का पठन करना, पठन के चार सोपान - पहचान, अर्थ-ग्रहण, मूल्यांकन, अनुप्रयोग) • लेखन कौशल का विकास (हिंदी शब्दों की शुद्ध वर्तनी का ज्ञान, विराम चिह्नों का उचित प्रयोग, वाक्य, परिच्छेद, निबंध, पत्र, प्रतिवेदन एवं सार लिखना, हिंदी से मातृभाषा में और मातृभाषा से हिंदी में अनुवाद करना) • भाषा सीखने के दो तरीके - व्याकरण सीखना एवं साहित्य पढ़ना। • भाषा को लेकर सावधान रहना आवश्यक है, नहीं तो भाषा लुप्त हो जाएगी और उसके साथ संस्कृति भी • भाषा का आधार - वाक् (बोलने पर ध्वनियों की श्रृंखला निकलती है और दिमाग से टकराती है और उन ध्वनियों से जुड़े तत्व जाग जाते हैं, उच्चारण के साथ ही बोली हुई बात दिमाग में प्रकट होती है) • भाषा का कार्य (ले चलना, मानसिक रूप से अज्ञानता से ज्ञान तक ले चलना) • भाषा अचेतन मन से सीखी जाती है, चेतन मन से केवल व्याकरण सीखी जा सकती है। • भाषा का एक ढाँचा हर बच्चे में होता है, जिससे उसको कोई भी भाषा सिखाई जा सकती है। जबकि बड़े लोगों के ढाँचे पर एक भाषा पहले से होती है, इसलिए दूसरी भाषा सीखने में कठिनाई होती है। • भाषा इसलिए महत्त्वपूर्ण नहीं कि वह हमें नौकरी देती है, अपितु इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि वह हमें व्यक्तित्व देती है। • भारत में हिंदी-शिक्षण में जस्ट ए मिनट (JAM - Just A Minute) प्रोग्राम होता है, जिसमें पर्चियों पर एक विषय लिखा जाता है और छात्रों को उनमें से एक चयन करके, एक मिनट के लिए उस विषय पर चिंतन करके उसपर 2-3 मिनट बोलना होता है।

द्वितीय सत्र - 'हिंदी अधिगम द्वारा नए क्षितिजों का विस्तार'

विवेचित बिन्दु : • रेडियो, टीवी, फ़िल्म, विज्ञापन, मोबाइल, इंटरनेट, वेब, ब्लॉग, व्हाट्सएप, फ़ेसबुक, ट्विटर, चैनल, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, कम्प्यूटर से संबंधित हिंदी भाषा की नई संभावनाएँ • पटकथा लेखक, फ़ीचर लेखक, संवाददाता, अनुवादक, दुभाषिया, डिस्कवरी चैनल में कॉपी राइटर, लिप मूवमेंट के संवाद लेखक, हिंदी गेम डेवलपर, मीडिया क्रिटीक, खेल विश्लेषक, वाइस एक्टर आदि रोज़गार के नए विकल्प • पारंपरिक विकल्पों में शिक्षक अथवा लेखक बनना • पूरी दुनिया में आज हिंदी बहती चली जा रही है। हिंदी का क्षेत्र बढ़ा है और विद्यार्थी आगे चलकर उसमें अपनी जगह बना सकते हैं। • भूमंडलीकरण के कारण बाहर की बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ भारत पहुँची हैं, उत्पादन के साधन बढ़ गए हैं, प्रौद्योगिकी का विस्तार हुआ है, मीडिया की भूमिका चुनौतीपूर्ण हो गई है। अर्थशास्त्र, विज्ञान, वाणिज्य, विधि, न्याय, मनोरंजन, विज्ञापन, कम्प्यूटर, इंटरनेट और सूचना उद्योग आदि क्षेत्रों में हिंदी के आयाम बढ़ गए हैं। आज हिंदी सहस्रमुखी हो गई है। रोज़गार की संभावनाएँ बहुत ज़्यादा बढ़ गई है। • विज्ञापन के क्षेत्र में कॉपिराइटरों की बाढ़ आई हुई है। पटकथाएँ लिखी जा रही है। धारावाहिक बन रहे हैं। डॉक्यूमेंटेरी फ़िल्में बन रही हैं। बड़ी-बड़ी संस्थाएँ हिंदी में चैनल चला रही हैं। डिस्कवरी चैनल भी अपने उत्पादों को हिंदी में डब करके प्रस्तुत करते हैं। लिप मुवमेंट अभिनय करने वालों की ज़रूरत बढ़ गई है। • आनेवाला भविष्य हिंदी का भविष्य है। आनेवाला संसार हिंदी का संसार है।

गतिविधियाँ :

• प्रतिभागियों को एक विषय दिया गया, जिसपर उन्हें लिखित कार्य कराया गया और उनसे मौखिक प्रस्तुति भी करवाई गई। • छात्रों से पत्र-लेखन करवाया गया और लिखने के बाद मंच पर उसकी प्रस्तुति भी करवाई गई। • सत्र के अंतर्गत छात्रों के साथ जस्ट ए मिनट प्रोग्राम किया गया। सभी कॉलिजों से छात्रों को मंच पर बुलाया गया और उन्हें पर्चियों में से चयनित विषय पर एक मिनट का चिंतन करके बोलने के लिए अवसर दिया गया। • छात्रों को 'हिंदी सिनेमा में आज की फ़िल्में क्या सिखाती हैं?" विषय दिया गया, जिसपर उन्होंने अपने विचार लिखकर प्रस्तुत किए। • इस कार्य के अंतर्गत छात्रों के लिखने, बोलने, उच्चारण करने और प्रस्तुति करने के कौशलों को परखा गया।

- विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट