कार्यारंभ दिवस 2020

11 फ़रवरी, 2020 को विश्व हिंदी सचिवालय ने शिक्षा, तृतीयक शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा भारतीय उच्चायोग, मॉरीशस के संयुक्त तत्वावधान में सचिवालय के सभागार में अपना 12वाँ आधिकारिक कार्यारंभ दिवस मनाया। प्रथम सत्र में कार्यारंभ दिवस समारोह मनाया गया तथा द्वितीय सत्र में 'हिंदी कहानी का अध्ययन एवं विश्लेषण' विषय पर कार्यशाला आयोजित हुई। यह कार्यशाला दो दिवसीय रही।

आधिकारिक कार्यारंभ दिवस समारोह

प्रथम सत्र का शुभारंभ दीप-प्रज्वलन से हुआ। कार्यक्रम में भारतीय उपउच्चायुक्त श्री जनेश केन विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे तथा शिक्षा, तृतीयक शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रतिनिधि के रूप में स्थायी उपसचिव श्री युधिष्ठिर मनबोध तथा कला एवं सांस्कृतिक धरोहर मंत्रालय की प्रतिनिधि के रूप में प्रमुख संस्कृति अधिकारी श्रीमती अनुपमा चमन उपस्थित थीं। इस वर्ष भोपाल से प्रसिद्ध हिंदी लेखक डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी (पद्मश्री सम्मानित) को बीज वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया।

श्री जनेश केन ने इस अवसर पर सचिवालय के आधिकारिक कार्यारंभ दिवस की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा "भाषा और संस्कृति का बहुत गहरा संबंध है। भाषा तो सभ्यता की आत्मा है। और हिंदी भारत की सभ्यता से जुड़ी हुई है। हिंदी तो भारत की अस्मिता है।" उन्होंने अपने जीवन की घटना सुनाते हुए कहा कि साहित्य जीवन सिखाता है। उन्होंने आगे कहा "आज दुनिया की 20 प्रतिशत आबादी हिंदी बोलती या समझती है। यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि इस भाषा का उपयोग करें, इसका संरक्षण करें और जितना ज़्यादा हो सके प्रचार करें व उसमें बात करें। हिंदी बहुत ही सुन्दर भाषा है। इसमें बहुत अच्छा साहित्य लिखा गया है। इसके प्रचार में विश्व हिंदी सचिवालय सराहनीय कार्य कर रहा है।"

डॉ. ज्ञान चातुर्वेदी ने 'हिंदी की कथा-यात्रा' विषय पर बीज-वक्तव्य प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नई रचना के साथ एक नया लेखक पैदा होता है। "मैं लेखन को जीता रहा हूँ। मुझे एक कविता याद आती है, जिसमें यह भाव है कि पुल पर खड़े होकर आप नदी पर कविता नहीं लिख सकते, उसके लिए आपको नदी में उतरना पड़ता है। जब हम एक कहानी, कविता या साहित्य को देखते हैं, तो एक पुल से उसको देखते हैं, लेकिन उस नदी में उतरकर ही अनुभव हो सकता है, कितना ही खूबसूरत चित्र हो, कहानी हो, कविता हो, पुल पर खड़े होकर कहानी अलग ही होगी, पर नदी में उतरकर महसूस करेंगे, तो कहानी अलग होगी और मैं नदी में उतरने वाला व्यक्ति हूँ। मैं पुल पर खड़े रहकर नदी कैसी है, उसपर बात नहीं कर सकता। और यह एक सृजनात्मक नज़र से देखने के लिए आपको प्रोत्साहित करेगा।"

श्री युधिष्ठिर मनबोध ने उपप्रधान मंत्री एवं शिक्षा मंत्री का संदेश सुनाया। उन्होंने कहा "यह सर्वमान्य है कि हिंदी का प्रचार-प्रसार साहित्य द्वारा सम्भव है। यह सच है कि साहित्य समाज का दर्पण है। अगर हम साहित्य का अध्ययन करेंगे तो आसानी से समाज को समझ पाएँगे। कहानी साहित्य की सबसे प्रबल विधा है। इस दिशा में कलम चलाकर प्रेमचंद, गुलेरी, अभिमन्यु अनत जैसे रचनाकार आज अमर हो गए हैं।" उन्होंने यह भी कहा "हिंदी कहानी के अध्ययन एवं विश्लेषण पर आधारित कार्यशाला का आयोजन हो रहा है। एस.सी., एच.एस.सी. तथा तृतीयक स्तर पर हिंदी कहानियाँ निर्धारित हैं। मेरा पूरा विश्वास है कि इस कार्यशाला से कहानियों के अध्ययन एवं विश्लेषण में प्रखरता आएगी। एस.सी., एच.एस.सी. के पाठ्यक्रम में भारतीय कहानियों के साथ-साथ मॉरीशसीय कहानियाँ भी निर्धारित हैं। मेरा आह्वान है कि भारतीय कहानियों के अध्ययन के साथ-साथ स्थानीय कहानियों को भी मान्यता दी जाए।"

श्रीमती अनुपमा चमन ने कला एवं सांस्कृतिक धरोहर मंत्री माननीय श्री अविनाश तिलक का संदेश सुनाया। उन्होंने कहा कि "विश्व हिंदी सचिवालय वास्तव में एक मंच के रूप में कार्यरत है, जो हिंदी के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ उन गतिविधियों का आयोजन करता है जो हिंदी की प्रगति में योगदान देते हैं। 1975 में प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन में विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना के प्रस्ताव से लेकर 11 फ़रवरी 2008 को उसके आधिकारिक कार्यारंभ तक और उसके बाद 2015 में आधिकारिक निर्माण कार्यारंभ तथा 2018 में नए भवन के उद्घाटन तक सचिवालय कई उतार-चढ़ाव से गुज़रा है, लेकिन अपने लक्ष्य और उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु आगे बढ़ता रहा। अपने इन 12 वर्षों के दौरान विश्व हिंदी सचिवालय ने अनेक देशों की हिंदी संस्थाओं के साथ जुड़कर हिंदी को वैश्विक पहचान दिलाने में सराहनीय प्रयास किए हैं। इसके लिए सचिवालय को मैं बधाई देना चाहूँगी।"

कार्यक्रम के आरंभ में सचिवालय की कार्यवाहक महासचिव, डॉ. माधुरी रामधारी ने उपस्थित महानुभावों, गण्यमान्य अतिथियों, हिंदी प्रेमियों, शिक्षकों व छात्रों का स्वागत किया तथा सचिवालय की 12 वर्ष की उपलब्धियों का उल्लेख भी किया।

इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के कलाकारों द्वारा 'हिंदी जन की बोली है' गान का रमणीय प्रस्तुतीकरण भी हुआ।

गण्यमान्य अतिथियों के वक्तव्य के बाद डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी को प्रतीक चिह्न भेंट किया गया। तत्पश्चात् विश्व हिंदी सचिवालय की वार्षिक साहित्यिक हिंदी पत्रिका 'विश्व हिंदी साहित्य' के द्वितीय संस्करण तथा प्रसिद्ध मॉरीशसीय हिंदी लेखक श्री धनराज शम्भु कृत 'जहाज़ का पंछी' पुस्तक का गण्यमान्य अतिथियों के हाथों लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की निदेशिका आचार्य प्रतिष्ठा, महात्मा गांधी संस्थान की एसोसिएट प्रोफ़ेसर एवं भाषा अध्ययन संकाय की अध्यक्षा डॉ. राजरानी गोबिन, हिंदी प्रचारिणी सभा के प्रधान श्री धनराज शम्भु, हिंदी लेखक संघ के प्रधान डॉ. लालदेव अंचराज तथा मॉरीशस के प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार, प्राध्यापक, शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

कार्यक्रम का संचालन सचिवालय की कार्यवाहक महासचिव डॉ. माधुरी रामधारी ने किया।

दो दिवसीय कार्यशाला

विश्व हिंदी सचिवालय ने अपने 12वें आधिकारिक कार्यारंभ दिवस के उपलक्ष्य में 11-12 फ़रवरी, 2020 को मॉरीशस के एच.एस.सी. एवं स्नातक स्तर के हिंदी छात्रों के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का मुख्य विषय 'हिंदी कहानी का अध्ययन एवं विश्लेषण' रहा। कार्यशाला का उद्देश्य था - हिंदी कहानी-पठन संबंधी दृष्टिकोणों की समझ में वृद्धि करना, हिंदी कहानियों का समीक्षात्मक अध्ययन करने के लिए छात्रों को सक्षम बनाना तथा कहानी के विश्लेषण-कौशल को विकसित करना।

कार्यारंभ दिवस समारोह के बीज वक्ता डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने कार्यशाला का संचालन किया। प्रथम दिवस की कार्यशाला के अंतर्गत 2 सत्र तथा द्वितीय दिवस के अंतर्गत 3 सत्र आयोजित हुए। कार्यशाला में कहानी के तत्वों पर विस्तार से चर्चा हुई। इसके लिए पाठ्यक्रम में निर्धारित 5 कहानियों - प्रेमचंद लिखित 'नमक का दरोगा', जयशंकर प्रसाद रचित 'पुरस्कार', राजेन्द्र यादव कृत 'कलाकार', मन्नु भण्डारी लिखित 'रानी माँ का चबूतरा' और निर्मल वर्मा रचित 'सुबह की सैर' का सूक्ष्म विश्लेषण किया गया। इस अवसर पर महात्मा गांधी संस्थान में आई.सी.सी.आर. हिंदी पीठ डॉ. वेद रमण पांडेय ने निर्मल वर्मा कृत 'सुबह की सैर' की विस्तृत समीक्षा की।

कार्यशाला को पाँच सत्रों में विभाजित किया गया। प्रथम दिवस के द्वितीय सत्र में 'हिंदी कहानी में कथावस्तु एवं संवाद का अध्ययन तथा विश्लेषण' तथा तृतीय सत्र में 'हिंदी कहानी में पात्र चरित्र-चित्रण का अध्ययन तथा विश्लेषण' विषय पर कार्यशाला हुई। द्वितीय दिवस का प्रथम सत्र में 'हिंदी कहानी में देशकाल एवं वातावरण का अध्ययन तथा विश्लेषण', द्वितीय सत्र में'हिंदी कहानी में भाषा-शैली का अध्ययन तथा विश्लेषण' तथा तृतीय सत्र में'हिंदी कहानी में शीर्षक एवं उद्देश्य का अध्ययन तथा विश्लेषण' विषयों पर कार्यशाला हुई।

गतिविधियाँ :

• प्रतिभागियों को उद्देश्य एवं शीर्षक से संबंधित प्रश्न लिखने के लिए कहा गया। विषय-विशेषज्ञ ने प्रश्नों को सुलझाने का प्रयास किया। • परिचर्चा-सत्र के अंतर्गत छात्रों ने चयनित कहानियों के पात्रों के चरित्र- चित्रण पर प्रस्तुति की। • कार्य-सत्र में छात्रों को समीक्षात्मक दृष्टि से कहानियों को परखने और कहानी के विभिन्न भागों को गहराई से समझने में सहायता प्राप्त हुई।

लेखक सम्मेलन

13 फ़रवरी 2020 को विश्व हिंदी सचिवालय के सम्मेलन कक्ष में डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी के सान्निध्य में एक लेखक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में मॉरीशस के लगभग 15 वरिष्ठ एवं नवोदित लेखकों ने भाग लिया। सम्मेलन में डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने व्यंग्य विधा पर चर्चा की। तत्पश्चात् उपस्थित लेखकों डॉ. राजरानी गोबिन, श्रीमती कल्पना लालजी, श्रीमती अंजु घरभरन, डॉ. सुरीति रघुनन्दन, श्री हीरालाल लीलाधर, डॉ. सोमदत्त काशीनाथ, श्रीमती सुनीता आर्यनायक, सुश्री चम्पावती बम्मा, श्री धर्मेन्द्र कुमार सिंह, श्री कविराज बाबू, श्रीमती निष्ठा पुणिया-जोयसुरी, सुश्री लक्ष्मी जयपोल तथा श्रीमती अंजलि हजगैबी-बिहारी ने अपनी रचनाओं का वाचन किया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने भी अपनी व्यंग्य रचना सुनाई।

- विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट