मॉरीशस सरकार व भारत सरकार द्वारा विश्व हिंदी सचिवालय तथा देश की हिंदी शैक्षणिक व
प्रचारक संस्थाओं, हिंदी स्पीकिंग यूनियन, महात्मा गांधी संस्थान, आर्य सभा मॉरीशस,
ऋषि दयानन्द इंस्टिट्यूट, हिंदी प्रचारिणी सभा तथा सरकारी हिंदी शिक्षक संघ के
सहयोग से 29 अक्टूबर से 1 नवम्बर, 2014 तक मॉरीशस में अंतरराष्ट्रीय (क्षेत्रीय)
हिंदी सम्मेलन का सफ़ल आयोजन किया गया।
2014, मॉरीशस में गिरमिटिया मज़दूरों के आगमन की वर्षगांठ का वर्ष है। इसी ऐतिहासिक
घटना को केंद्र में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय (क्षेत्रीय) हिंदी सम्मेलन का मुख्य
विषय ‘‘प्रवासी देशों में हिंदी शिक्षण व प्रचार-प्रसार : अंतरराष्ट्रीय सहयोग व
संभावनाएं’’ रखा गया। सम्मेलन का आयोजन जोहान्सबर्ग में लगे 9वें विश्व हिंदी
सम्मेलन के मंतव्य 4viii के कार्यान्वयन स्वरूप किया गया जिससे कि विश्व के विभिन्न
क्षेत्रों में हिंदी शिक्षण और हिंदी के प्रसार में आने वाली कठिनाइयों का समाधान
खोजा जा सके।
सम्मेलन का लक्ष्य प्रवासी देशों में हिंदी की समग्र स्थिति व संयुक्त कार्रवाई की
संभावनाओं के आकलन के माध्यम से इन देशों में हिंदी शिक्षण व प्रचार में संलग्न
संस्थाओं के बीच बेहतर समन्वय व सहयोग स्थापित करना रहा। सम्मेलन में फ़िजी,
सिंगापुर, दक्षिण अफ़ीका, गयाना, न्यू ज़ीलैंड, सूरीनाम, अमेरिका, भारत, यू.के.,
नीदरलैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों के लगभग 30 हिंदी सेवी, अध्यापक, भाषाविद,
लेखक-साहित्यकार आदि उपस्थित रहे तथा मॉरीशस से लगभग 100 से अधिक लोगों ने भाग
लिया।
उद्घाटन समारोह (29 अक्टूबर, 2014)
29 अक्टूबर को सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र
में हुआ। अवसर पर मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपति, महामहिम श्री राजकेश्वर प्रयाग,
जी.सी.एस.के., जी.ओ.एस.के. मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। माननीय डॉ. श्री
वसंत कुमार बनवारी, शिक्षा व मानव संसाधन मंत्री, भारतीय उच्चायुक्त, महामहिम श्री
अनूप कुमार मुद्गल व माननीय श्री मुखेश्वर चूनी, जी.ओ.एस.के., पूर्व कला व संस्कृति
मंत्री ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
महामहिम श्री राजकेश्वर प्रयाग ने अपने वक्तव्य में कहा ‘‘डायास्पोरा देशों में
हिंदी शिक्षण और प्रचार के लिए आपसी सहयोग का एक पुल स्थापित करने के मक्सद से
आयोजित इस सम्मेलन के बारे में जब मुझे पता चला तो मेरा माथा गर्व से ऊँचा हो गया।
मुझे लगा हम लोग न केवल मॉरीशस की भूमि पर बल्कि सभी आप्रवासी देशों में कठिन समय
में अपनी निष्ठा के बल पर अपनी भाषा और संस्कृति को जीवित रखने वाले अपने पूर्वजों
को इससे बेहतर कोई श्रद्धांजलि नहीं दे सकते थे।’’
माननीय डॉ. श्री वसंत कुमार बनवारी ने अपने वक्तव्य में कहा ‘‘हिंदी भाषा और हिंदी
शिक्षण इस देश में विशेष महत्व रखते हैं। इस देश के इतिहास के हर पन्ने पर हिंदी
भाषा और उसके सेवकों के योगदान की कहानी लिखी हुई है। और केवल इतिहास ही नहीं हिंदी
इस देश के वर्तमान और भविष्य की अहम भाषा है।’’
महामहिम श्री अनूप कुमार मुद्गल तथा माननीय श्री मुखेश्वर चूनी ने अपने वक्तव्यों
में सचिवालय के कार्यों की सराहना करते हुए सम्मेलन के लिए शुभकामनाएँ व्यक्त कीं।
कार्यक्रम का शुभारंभ विश्व हिंदी सचिवालय के कार्यवाहक महासचिव श्री गंगाधरसिंह
सुखलाल के स्वागत भाषण तथा इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के कलाकारों
द्वारा गणेश वंदना प्रस्तुति से हुआ। समारोह के दौरान महात्मा गांधी संस्थान के
कलाकारों द्वारा ‘कमर में धोतिया’ और ‘धरती अम्बर’ गीत प्रस्तुति हुई। अवसर
पर महात्मा गांधी संस्थान द्वारा निर्मित ‘गिरमिटिया’ गीत संकलन का लोकार्पण भी
हुआ।
कार्यक्रम का समापन विदेशी प्रतिभागियों को स्मृतिचिह्न भेंटकर तथा ‘वंदे मातरम’
नृत्य प्रदर्शिनी से हुआ। बीज वक्तव्य प्रतिभागी के साथ-साथ मॉरीशस के सैंकड़ों
हिंदी प्रेमी ने उत्साहपूर्वक समारोह में भाग लिया।
दो दिवसीय सम्मेलन (30-31 अक्टूबर, 2014)
सम्मेलन को चार सत्रों में बाँटा गया। 30 अक्टूबर को भारतीय उच्चायुक्त, महामहिम
श्री अनूप कुमार मुद्गल के बीज वक्तव्य के साथ ही सत्रों का श्रीगणेश हुआ। मॉरीशस
विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति व परिषद अध्यक्ष, प्रो. सुदर्शन जगेसर अध्यक्ष के
रूप में उपस्थित रहे।
प्रथम सत्र मॉरीशस में प्राथमिक स्तर पर हिंदी शिक्षण विषय पर आधारित रहा।
अध्यक्षता यॉर्क विश्वविद्यालय के भाषा एवं भाषा विज्ञान विभाग के मानद निदेशक,
प्रो. महेंद्र किशोर वर्मा ने की। श्री सत्यदेव टेंगर ने मॉरीशस में प्राथमिक स्तर
पर हिंदी शिक्षण तथा श्री लक्ष्मी ठाकुरी ने मॉरीशस में माध्यमिक स्तर पर हिंदी
शिक्षण पर आधारित लेख प्रस्तुत किए व प्रश्नोत्तर के साथ ही प्रथम सत्र का समापन
हुआ।
द्वितीय सत्र का विषय पूर्वी एशिया व प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में हिंदी रहा
जिसमें श्रीमती मनीषा रामरखा (फ़िजी), सुश्री उदीची पाण्डेय (सिंगापुर) तथा श्रीमती
सुनीता नारायण (न्यू ज़ीलैंड) ने भाग लेते हुए अपने-अपने देश में हिंदी की स्थिति पर
वक्तव्य प्रस्तुत किया। साथ ही श्रीमती माला मेहता ने ऑस्ट्रेलिया से वीडियो
कॉन्फ़रेंसिंग द्वारा सत्र में भाग लेते हुए ऑस्ट्रेलिया में हिंदी पर अपने विचार
प्रस्तुत किए। विश्व हिंदी सचिवालय की शासी परिषद के सदस्य, श्री सत्यदेव टेंगर ने
सत्र की अध्यक्षता की।
तृतीय सत्र अफ़्रीका तथा हिंद महासागरीय क्षेत्र में हिंदी विषय पर आधारित था। श्री
संत कुमार राय (उपाध्यक्ष, हिंदी सोसायटी सिंगापुर) ने सत्र की अध्यक्षता की।
श्रीमती मालती रामबली व श्री हीरालाल शिवनाथ, श्री रमणीक चीतू, डॉ. राजरानी गोबिन
तथा डॉ. संयुक्ता भुवन रामसारा ने अपने लेख प्रस्तुत किए।
चतुर्थ सत्र दक्षिण अमेरिका क्षेत्र में हिंदी विषय पर आधारित था। अध्यक्षता प्रो.
रेशमी रामधोनी ने की। इस सत्र में श्री वीरजानंद अवतार, सुश्री वर्षणी उधो सिंह,
डॉ. राकेश रंजन व श्रीमती संध्या अंचराज़-नवसाह ने अपने-अपने लेख प्रस्तुत किए।
31 अक्टूबर, 2014 को सम्मेलन के द्वितीय दिवस का प्रथम सत्र मॉरीशस में तृतीयक स्तर
पर हिंदी शिक्षण एवं शोध व प्रकाशन पर आधारित रहा जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी
अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति, श्री चित्तरंजन मिश्र ने की।
महात्मा गांधी संस्थान (मॉरीशस) के प्राध्यापकगण, डॉ. अल्का धनपत, डॉ. माधुरी
रामधारी व श्री राज हीरामन द्वारा प्रस्तुतियाँ हईं। अंत में श्री कुमारदत्त गुदारी
(मॉरीशस) ने प्राथमिक, माध्यमिक व स्नातक स्तर पर हिंदी शिक्षण में आई.सी.टी. और
आधुनिक शैक्षणिक प्रविधियों के समावेश विषय पर लेख प्रस्तुत किए।
द्वितीय सत्र का मूल विषय ग़ैर-सरकारी, अर्ध-सरकारी व स्वयं सेवी संस्थानों द्वारा
हिंदी शिक्षण व प्रचार-प्रसार रहा। सत्र में श्री यंतुदेव बुधु, डॉ. उदय नारायण
गंगू, श्री देवभरत सीरतन तथा श्री राजनारायण गति ने भाग लिया। सत्र की अध्यक्षा
श्रीमती सुनीता नारायण, समन्वयक, वेलिंग्टन हिंदी पाठशाला, न्यू ज़ीलैंड रहीं।
तृतीय सत्र डॉ. विनोद बाला अरुण की अध्यक्षता में यूरोप एवं अमेरिका में हिंदी विषय
पर चला जिसमें प्रो. महेन्द्र किशोर वर्मा (यू.के.) व श्री अशोक ओझा (अमेरिका) ने
भाग लिया। इस सत्र में श्री रत्नाकर नराले ने कनाडा से तथा श्री नारायण मथुरा
ने नीडरलैंड से वीडियो कॉन्फ़ेरेंसिंग द्वारा भाग लिया।
चतुर्थ सत्र का मूल विषय विश्व में हिंदी शिक्षण व प्रचार-प्रसार : भारतीय संस्थाओं
की भूमिका व योगदान रहा जिसकी अध्यक्षता सचिवालय की शासी परिषद के सदस्य श्री
अजामिल माताबदल ने की। प्रो. चित्तरंजन मिश्र, प्रतिकुलपति महात्मा गांधी
अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय (वर्धा), श्रीमती सुनीति शर्मा, उप सचिव (हिंदी)
विदेश मंत्रालय, भारत सरकार तथा डॉ. संजीव कुमार शर्मा, आचार्य, राजनीति विज्ञान
विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय एवं प्रमुख सलाहकार, गुजरात विश्वविद्यालय ने
प्रस्तुति दी।
गोलमेज़ बैठक (1 नवंबर, 2014)
शनिवार, 1 नवंबर को गोलमेज़ बैठक लगी। कार्यक्रम का आरंभ श्री केसन बधु, मुख्य
प्रतिवेदक की दो दिवसीय सम्मेलन की रिपोर्ट से हुई। दो बैठकों में गिरमिटिया
प्रवासी देशों के विशेष संदर्भ में हिंदी शिक्षण व प्रचार कार्यों का पुनःस्थापन
तथा सुदृढ़ीकरण पर प्रस्तुतियाँ हुईं। सम्मेलन में विशेष रूप से मुख्य प्रतिवेदक
श्री केसन बधु के साथ 14 अन्य प्रतिवेदकों ने पूरे सम्मेलन का ब्योरा तैयार किया।
समापन सत्र
गोलमेज़ बैठक के समापन के साथ ही सम्मेलन का समापन समारोह रखा गया। समापन सत्र के
विशेष अतिथि भारतीय उच्चायुक्त महामहिम श्री अनूप कुमार मुद्गल, महात्मा गांधी
संस्थान के पूर्व महानिदेशक श्री बिजय मधु, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के
महानिदेशक श्री सतीश मेहता तथा ऋषि दयानंद संस्थान के डीन डॉ. उदय नारायण गंगू रहे।
समापन सत्र की अध्यक्षता महामहिम भारतीय उच्चायुक्त ने किया। इस सत्र में दो
गोलमेज़ सत्रों का प्रतिवेदन श्री केसन बधु द्वारा प्रस्तुत किया गया तथा डॉ. उदय
नारायण गंगू द्वारा सम्मेलन के मंतव्य पढ़े गए। विश्व हिंदी सचिवालय के कार्यवाहक
महासचिव श्री गंगाधरसिंह सुखलाल द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही सम्मेलन संपन्न
हुआ।
अन्य गतिविधियाँ
अंतरराष्ट्रीय (क्षेत्रीय) हिंदी सम्मेलन के आयोजन के अंतराल में ही मॉरीशस के कला
एवं संस्कृति मंत्रालय के सौजन्य से भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन द्वारा एक
अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया था। विश्व हिंदी
सचिवालय तथा हिंदी सम्मेलन के प्रतिभागियों ने 30 अक्तूबर को आयोजित भोजपुरी
सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में अपनी प्रतिभागिता दी। 31 अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय
हिंदी सम्मेलन तथा भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के आयोजकों द्वारा संयुक्त रूप से
प्रवासी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें दोनों सम्मेलनों के प्रतिभागियों के
साथ-साथ मॉरीशस के कई हिंदी व भोजपुरी विद्वान व कवियों ने भाग लिया। 2 नवंबर को
गिरमिटिया मज़दूरों के आगमन की 180वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आप्रवासी घाट में एक
भव्य स्मरणोत्सव का आयोजन किया गया जिसके मुख्य अतिथि, भारत गणराज्य की विदेश
मंत्री, माननीया श्रीमती सुषमा स्वराज रहीं। सम्मेलन के प्रतिभागियों ने इस
कार्यक्रम में रुचि के साथ भाग लिया।
- विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट
देखें: अंतरराष्ट्रीय (क्षेत्रीय) हिंदी सम्मेलन, मॉरीशस की
तसवीरें
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