विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस के आधिकारिक कार्यारंभ की 9वीं वर्षगाँठ
11 फ़रवरी, 2017 को विश्व हिंदी सचिवालय ने मॉरीशस के शिक्षा व मानव संसाधन,
तृतीयक शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय तथा भारतीय उच्चायोग के सौजन्य
से महात्मा गांधी संस्थान के सुब्रमण्यम् भारती सभागार, मोका में, अपने
कार्यारंभ दिवस की 9वीं वर्षगाँठ मनाई। इस अवसर पर शिक्षा व मानव संसाधन,
तृतीयक शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री, माननीया श्रीमती लीला देवी
दुकन-लछुमन, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। इस वर्ष सचिवालय ने भारत के
प्रसिद्ध शिक्षाविद्, श्री अतुल कोठारी को अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित
किया था। कार्यवाहक भारतीय उच्चायुक्त, महामहिम श्री अशोक कुमार, महात्मा गांधी
संस्थान की निदेशिका, डॉ. विद्योत्मा कुंजल, संस्थान के परिषद् के अध्यक्ष,
श्री जयनारायण मीतू व अन्य गण्यमान्य अतिथियों ने भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
सचिवालय के महासचिव, प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने उपस्थित महानुभावों,
गण्यमान्य अतिथियों, हिंदी प्रेमियों, शिक्षकों व छात्रों का स्वागत किया।
इस अवसर पर माननीया श्रीमती लीला देवी दुकन-लछुमन ने उपस्थित अतिथियों को
संबोधित करते हुए सचिवालय के आधिकारिक कार्यारंभ दिवस की 9वीं वर्षगाँठ की बधाई
के साथ उसकी उपलब्धियों व चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ‘‘सचिवालय
की हर वर्षगाँठ पूरी दुनिया के हिंदी प्रेमियों के लिए मील का पत्थर जैसा होता
है। इस संस्था के लिए चाहे कितने साल भी बीत जाएँ, उसके सामने हमेशा उपलब्धियों
से ज़्यादा चुनौतियाँ रहेंगीं।’’ साथ-साथ, उन्होंने सचिवालय के नए भवन
निर्माण-कार्य पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की। इसके अतिरिक्त उन्होंने 2018 में
होनेवाले अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन को लेकर कहा कि वह चुनौती केवल सचिवालय
के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे मॉरीशस के लिए है। उन्होंने भारत तथा मॉरीशस के
शैक्षिक सुधारों की समानताओं पर चर्चा की तथा यह भी बताया कि मॉरीशस में हिंदी
की जितनी पढ़ाई होती है तथा यहाँ पर जितने विद्वान पाए जाते हैं, इससे हिंदी को
वैश्विक भाषा बनाने में बहुत सहायता मिल सकती है।
कार्यवाहक भारतीय उच्चायुक्त, महामहिम श्री अशोक कुमार ने सचिवालय की
स्थापना करने में दोनों देशों की सरकारों तथा जनता के योगदान का उल्लेख किया,
जो हिंदी को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने में उनकी इच्छा-शक्ति प्रदर्शित
करती है। साथ-साथ, उन्होंने विश्व हिंदी सचिवालय की उपलब्धियों को साझा करते
हुए कहा कि ‘‘सचिवालय के प्रयत्नों से विश्व भर के हिंदी प्रेमियों में न केवल
साहित्यिक सृजन की ओर झुकाव बढ़ रहा है, बल्कि आज हिंदी ज्ञान-विज्ञान और
टेक्नोलॉजी की भाषा के रूप में भी विश्व की अनेक भाषाओं के साथ कदम से कदम
मिलाकर बढ़ रही है।’’
श्री अतुल कोठारी ने ‘वैश्विक हिंदी : चुनौतियाँ एवं समाधान’ विषय पर
वक्तव्य प्रस्तुत किया। इससे पूर्व भारतीय उच्चयोग की द्वितीय सचिव (शिक्षा व
भाषा), डॉ. श्रीमती नूतन पाण्डेय ने श्री कोठारी का परिचय दिया। श्री कोठारी ने
हिंदी को वैज्ञानिक भाषा बताया तथा इसमें कई चुनौतियों की उपस्थिति पर अपने
विचार व्यक्त किए। उन्होंने समाधान का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘‘अपनी भाषा का
स्वाभिमान आवश्यक है। हिंदी के उत्थान के लिए पहली शुरूआत ‘स्व’ से करनी
चाहिए।"
इस अवसर पर श्री मोहनलाल बृजमोहन कृत ‘ख़्वाबों की वह ख़ूबसूरत दुनिया’ तथा
‘वह भूला बिसरा तट’ पुस्तकों का लोकार्पण माननीया मंत्री जी द्वारा किया गया।
डॉ. अलका धनपत ने लोकार्पण से पूर्व पुस्तकों का संक्षिप्त परिचय दिया।
इस अवसर पर कई हिंदी प्रेमी, हिंदी प्राध्यापक, शिक्षक, छात्र तथा अकादमिक
उपस्थित थे। मंच-संचालन सुश्री अंजलि चिंतामणि ने किया।
सचिवालय ने अपनी वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में 10 फ़रवरी, 2017 को डी. ए. वी.
कॉलिज के विद्यार्थियों के लिए एक वक्तव्य का आयोजन किया। आमंत्रित वक्ता श्री
अतुल कोठारी जी थे।
- विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट
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