मॉरीशस में हिंदी शिक्षण तथा सूचना-संचार प्रौद्योगिकी
संगोष्ठी-कार्यशाला
27-29 जुलाई, 2015 को शिक्षा व मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा व वैज्ञानिक
अनुसंधान मंत्रालय तथा भारतीय उच्चायोग, मॉरीशस के तत्वावधान में विश्व
हिंदी सचिवालय ने देश की गैर-सरकारी माध्यमिक पाठशालाओं के हिंदी शिक्षकों
के लिए ‘‘हिंदी शिक्षण तथा सूचना-संचार प्रौद्योगिकी संगोष्ठी-कार्यशाला’’
का आयोजन किया।
देश के हिंदी शिक्षकों को आई.सी.टी. के नवीनतम संसाधनों के प्रयोग से
अवगत कराने के वृहद अभियान के तहत सचिवालय द्वारा 4 वर्ष पूर्व आरंभ हिंदी
आई.सी.टी. संगोष्ठी-कार्यशालाओं की कड़ी में यह चौथा संस्करण महात्मा गांधी
संस्थान एवं प्राइवेट सेकंडरी स्कूल ऑथोरिटी के सौजन्य से आयोजित हुआ
जिसमें 100 से अधिक शिक्षकों को युनिकोड, हिंदी टंकन, इंस्क्रिप्ट, ऑडेसिटी
सॉफ़्टवेयर के प्रयोग आदि का प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण के बाद
माध्यमिक पाठशाला के ये शिक्षक अपने कार्य में हिंदी और आई.सी.टी. के
क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से हिंदी सीखने में
छात्रों की रुचि को प्रोत्साहित करने में सक्षम हो पाए।
संगोष्ठी-कार्यशाला
का संचालन मुख्य रूप से भारतीय तकनीकविद् व आई.सी.टी. विशेषज्ञ श्री
बालेन्दु शर्मा दाधीच, विश्व हिंदी सचिवालय के कार्यवाहक महासचिव श्री
सुखलाल, तथा महात्मा गांधी संस्थान, प्राइवेट सेकंडरी स्कूल ऑथोरिटी के
विशेषज्ञों द्वारा किया गया।
उद्घाटन समारोह
सोमवार 27 जुलाई, 2015 को महात्मा गांधी संस्थान, मोका के सभागार में
संगोष्ठी-कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर माननीया श्रीमती लीला देवी
दुखन-लछुमन, शिक्षा व मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा व वैज्ञानिक अनुसंधान
मंत्री मुख्य अतिथि के रूप में तथा भारतीय उच्चायुक्त, महामहिम श्री अनूप
कुमार मुद्गल, शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ मुख्य कार्यकारी अधिकारी, श्री
रामप्रकाश रामलगन विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
माननीया श्रीमती लीला देवी दुखन-लछुमन ने अपने वक्तव्य में कार्यशाला की
उपयोगिता तथा आवश्यकता पर बात की। माननीया मंत्री जी के अनुसार हिंदी के
क्षेत्र में आई.सी.टी. का प्रयोग हिंदी शिक्षण तथा भाषा के प्रचार-प्रसार
में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने सचिवालय को बधाई दी कि उसके इस
अभियान के चलते मॉरीशस हिंदी जगत का वह पहला देश बन गया जहाँ प्राथमिक से
तृतीय स्तर तक हिंदी पढ़ाने वाला प्रत्येक शिक्षक आई.सी.टी. में इस प्रकार
का प्रशिक्षण पा चुका है।
हिंदी
व अन्य भारतीय भाषाओं के शिक्षण के आधुनिकीकरण के अपने विज़न को साझा करते
हुए उन्होंने कहा कि विश्व हिंदी सचिवालय और मॉरीशस का सपना है कि भारतीय
डायस्पोरा के हर हिंदी शिक्षक, हर हिंदी प्रेमी तक यह प्रशिक्षण पहुँचाया
जाए। महामहिम श्री अनूप कुमार मुद्गल ने सचिवालय को कार्यशाला के आयोजन के
लिए शुभकामनाएँ देते हुए भारतीय उच्चायोग के अडिग सहयोग का विश्वास दिलाया।
श्री अनूप कुमार मुद्गल के अनुसार भाषा और प्रौद्योगिकी के संगम से
सम्भावनाओं का नया क्षितिज खुलता है और उन संभावनाओं का लाभ उठा पाने के
लिए किसी भी भाषा-भाषी के लिए भाषा के अंदर निहित शक्तियों को एक
उदारतावादी मानसिकता के साथ देखना चाहिए। कार्यक्रम के आरंभ में विश्व
हिंदी सचिवालय के कार्यवाहक महासचिव, श्री गंगाधरसिंह सुखलाल ने अतिथियों
का स्वागत किया तथा सचिवालय के कार्यों, गतिविधियों व उपलब्धियों का ब्यौरा
प्रस्तुत किया।
उद्घाटन समारोह में अन्य अनेक गणमान्य अतिथियों के मध्य सचिवालय की शासी
परिषद के सदस्य, श्री अजामिल माताबदल; डॉ. नूतन पांडे, द्वितीय सचिव,
भारतीय उच्चायोग; महात्मा गांधी संस्थान की महानिदेशिका, श्रीमती
सूर्यकांति गयान, प्राइवेट सेकंडरी स्कूल ऑथोरिटी के निदेशक श्री
महेश्वरनाथ लछुमन,; आर्य सभा, हिंदी प्रचारिणी सभा व मॉरीशस के अन्य
शैक्षिक व भाषा प्रचारक संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं सदस्य उपस्थित थे।
पूर्ण
सत्र
हिंदी शिक्षण के क्षेत्र में आई.सी.टी. के प्रयोग का अधिक से अधिक
प्रचार करने के लिए तथा मॉरीशस में हिंदी शिक्षण के क्षेत्र में कार्यरत
सभी संस्थाओं को इस परियोजना के साथ जोड़ने के उद्देश्य से उद्घाटन समारोह
से पूर्व "शिक्षा में आई.सी.टी. : नीति व शिक्षण प्रविधि’’ विषय पर एक
पूर्ण सत्र (Plenary Session) का भी आयोजन किया गया जिसमें देश के हिंदी
शैक्षणिक तथा प्रचारक संस्थाओं यथा ऋषि दयानंद संस्थान, आर्य सभा मॉरीशस,
हिंदी संगठन, हिंदी प्रचारिणी सभा सहित अन्य संस्थाओं, भारतीय उच्चायोग व
माध्यमिक पाठशालाओं के प्रतिनिधि तथा देश के कई हिंदी प्रेमी सक्रिय रूप से
सम्मिलित हुए। अवसर पर श्री रिको ओक्बर, अध्यक्ष व प्रमुख वक्ता तथा श्री
अविनाश उजोरा व डॉ. कुमारदत्त गुदारी वक्ता के रूप में मंचासीन थे। श्री
ओक्बर, श्री उजोरा और डॉ. गुदारी ने शिक्षा में आई.सी.टी. : नीति व शिक्षण
प्रविधि विषय पर प्रस्तुतियाँ कीं।
संगोष्ठी-कार्यशाला
पूर्ण सत्र की वैचारिक पृष्ठभूमि तथा उद्घाटन समारोह में महानुभावों के
प्रोत्साहन व मार्गदर्शन के साथ सभी प्रतिभागी हिंदी और आई.सी.टी. संबंधी
ज्ञान की व्यावहारिक शिक्षा-प्राप्ति के लिए तैयार हुए और ‘‘हिंदी तथा
सूचना-संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र की उपलब्धियाँ व संभावनाएँ’’,
‘‘युनिकोड के इतिहास व प्रयोग’’ तथा ‘‘अपने कंप्यूटर पर हिंदी संबंधी
प्रोग्राम’’, ‘‘सॉफ़्टवेयर’’, ‘‘फ़्रीवेयर’’, ‘‘फ़ोंट’’ आदि की जानकारी,
स्थापना और उनके प्रयोग पर आधारित सत्रों के साथ कार्यशाला आरंभ हुई।
प्रथम
दिवस के दो सत्रों के अतिरिक्त 28 और 29 जुलाई को कार्यशाला के अन्य सत्र
लगे। इन सत्रों के दौरान हिंदी और आई.सी.टी. के उपलब्ध उपकरणों, मंचों,
प्रोग्राम, सॉफ़्टवेयर, आदि का शिक्षण में प्रयोग की विधियाँ सिखाई गईं तथा
उनका व्यावहारिक प्रयोग करने की विधियाँ बताई गईं। ये सत्र आई.सी.टी.
आधारित शिक्षण सहायक सामग्री की स्वयं तैयारी की प्रविधियाँ, स्थानीय रूप
से तथा ऑनलाइन उपलब्ध संसाधनों पर विचारपूर्वक जानकारी, इनस्क्रिप्ट तकनीक
के माध्यम से युनिकोड में हिंदी टंकन का अभ्यास, शैक्षणिक हिंदी वेबसाइट
यथा ब्लॉग, सामाजिक नेटवर्किंग साइट तथा हिंदी पत्र व इ-पत्रिकाओं के
निर्माण व प्रबंधन के अनुकूल दिशानिर्देश, नीति, नियम व संभावनाओं पर
चर्चा, एनीमेशन, ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग और संपादन आदि के लिए उपलब्ध
उपकरण व सुलभ सॉफ़्टवेयर के प्रयोग आदि विषयों पर केंद्रित रहे।
मॉरीशस की शिक्षा प्रणाली की एक और विशेषता यह है कि यहाँ देश के
अधिकांश प्राथमिक शिक्षालयों में इन्टरैक्टीव प्रोजेक्टर लगे हुए हैं।
शिक्षण के वातावरण को प्रौद्योगिकी के प्रयोग से रोचक बनाने वाला यह उपकरण
फ़्रांस सरकार के सौजन्य से अफ़्रीकी क्षेत्र में शिक्षा के विकास के लिए
चलाई जा रही साँकोरे नामक परियोजना के तहत विकसित किया गया है। विश्व हिंदी
सचिवालय की कार्यशालाओं में महात्मा गांधी संस्थान के भाषा संसाधन केंद्र
के सहयोग से सभी शिक्षकों को कक्षा में इंटरैक्टीव इंटरफ़ेस व अन्य
प्रौद्योगिकी प्रयोग के सिद्धांतों पर जानकारी दी जाती रही है। इस
कार्यशाला में भी शिक्षकों को तकनीक की जानकारी दी गई तथा उपकरण प्रयोग का
अभ्यास भी कराया गया। इन सत्रों का संचालन डॉ. कुमारदत्त गुदारी, सुश्री
अंजलि चिंतामणि, श्रीमती संध्या देवी अंचराज़-नवसाह तथा श्री विवेक बिंदा
ने किया।
अभ्यासोन्मुख प्रवृत्ति की इस कार्यशाला में सत्रों के अंतर्गत चर्चित
विषयों पर अभ्यास का पूरा अवसर दिया गया। इस तरह शिक्षकों ने अति रुचि के
साथ दो दिवसीय संगोष्ठी-कार्यशाला में प्राप्त ज्ञान को परियोजनाओं का रूप
देते हुए प्रस्तुत किया। उनकी सराहनीय प्रस्तुतियों से कार्यशाला की सफ़लता
व गुणवत्ता भी उजागर हुई।
इस पूरे आयोजन का समापन एक अनौपचारिक समारोह के साथ हुआ जिसके अंतर्गत
विशेषज्ञ प्रशिक्षकों के प्रति प्रतिभागियों का आभार ज्ञापित किया गया तथा
प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए।
अन्य गतिविधियाँ
हिंदी
और आई.सी.टी. कार्यशाला के संचालन के लिए पधारे श्री दाधीच और उसी समय
मॉरीशस में तोक्यो युनिवर्सिटी ऑव फ़ॉरेन स्टडीज़ जापान के प्रसिद्ध हिंदी
भाषाविद प्रो. काज़ुइको माचीदा की मॉरीशस में उपस्थिति का लाभ उठाते हुए
सचिवालय ने 1 अगस्त, 2015 को ऋषि दयानंद संस्थान, पाय के छात्रों तथा देश
के अन्य हिंदी सेवियों के ज्ञानलाभ के उद्देश्य से संस्था के सौजन्य से एक
वक्तव्य व अभिनंदन समारोह का भव्य आयोजन किया। ऋषि दयानंद संस्थान बोर्ड के
अध्यक्ष प्रो. सुदर्शन जगेसर ने उपस्थित गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया
तथा श्री गंगाधरसिंह सुखलाल ने प्रो. काज़ुइको माचीदा, हिंदी भाषाविद, तथा
श्री बालेंदु शर्मा दाधीच का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया। प्रो. माचीदा
ने अपने संदेश में अपने कार्य व अनुभवों का उल्लेख किया।
वर्तमान में माइक्रोसॉफ्ट के निदेशक (स्थानीयकरण) के रूप में कार्यरत
श्री बालेंदु शर्मा दाधीच ने अपने वक्तव्य में छात्रों को हिंदी व
आई.सी.टी. के संबंध में अत्यन्त महत्वपूर्ण जानकारी दी । अवसर पर संस्थान
के बी.ए. तथा एम.ए. के उत्तीर्ण छात्रों को विशिष्ट अतिथियों द्वारा
प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। डॉ. उदय नारायण गंगू, डीन, ऋषि दयानंद संस्थान
के धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही समारोह संपन्न हुआ।
विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट
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