10 जनवरी, 2015 को विश्व हिंदी सचिवालय ने शिक्षा व मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा व
वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय तथा भारतीय उच्चायोग के सौजन्य से फ़ेनिक्स स्थित
इंदिरा गांघी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र में विश्व हिंदी दिवस समारोह का भव्य आयोजन
किया। समारोह के मुख्य अतिथि, मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपति, महामहिम श्री
राजकेश्वर प्रयाग, जी.सी.एस.के, जी.ओ.एस.के. रहे। शिक्षा व मानव संसाधन, तृतीयक
शिक्षा व वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री माननीय श्रीमती लीला देवी दुखन-लछुमन तथा
भारतीय उच्चायुक्त महामहिम श्री अनूप कुमार मुद्गल तथा कला व संस्कृति मंत्री
माननीय श्री सांताराम बाबू ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। सचिवालय
ने इस वर्ष विश्व हिंदी दिवस के अवसर मॉरीशस के हिंदी समुदाय के समक्ष मास्को
विश्वविद्यालय, रूस से आई हिंदी विद्वान एसोसिएट ल्युदमिला ख़ख़लोवा को प्रस्तुत किया
जिन्होंने 'रूस में हिंदी' पर वक्तव्य दिया।
महामहिम श्री राजकेश्वर प्रयाग, जी.सी.एस.के, जी.ओ.एस.के. ने सचिवालय को बधाई देते
हुए उसकी उपलब्धियों की चर्चा की। साथ ही हिंदी भाषा के महत्व का उल्लेख करते हुए
उन्होंने युवा पीढ़ी को हिंदी भाषा की ओर अग्रसर होने के लिए प्रोत्साहित किया। अपने
वक्तव्य में अत्यन्त प्रभावशाली स्वर में उन्होंने कहा हमारे इतिहास में, आज तक एक
भी ऐसा पड़ाव नहीं आया है जहाँ हिंदी ने ढाल बनकर हमारी रक्षा नहीं की है... जहाँ
हिंदी ने बेड़ियाँ तोड़ने में हमारी सहायता नहीं की है... प्रगति और खुशहाली में
हमारा सहारा बनकर हमारे साथ नहीं चली है।
माननीय श्रीमती लीला देवी दुखन-लछुमन, शिक्षा व संसाधन, तृतीयक शिक्षा व वैज्ञानिक
अनुसंधान मंत्री ने सचिवालय के कार्यों की प्रशंसा करते हुए उसकी भावी योजनाओं में
मंत्रालय के सहयोग का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने मॉरीशस की शिक्षा मंत्री होने
के नाते देश के विकास में हिंदी के अध्ययन-अध्यापन पर ज़ोर दिया। उन्होंने यह भी कहा
कि मॉरीशस में हिंदी भाषा का लम्बा इतिहास होना, दुनिया भर में जाने-माने लेखक
होना, यहाँ की हिंदी शिक्षा का दुनिया भर में अच्छा नाम होना, यहाँ पर हिंदी के लिए
तन-मन से काम करने वाले नेताओं और संस्थाओं का होना... इन सभी की बदौलत ही आज
दुनिया भर में भारत के बाद मॉरीशस को ही हिंदी के लिए मिसाल माना जाता है।
महामहिम श्री अनूप कुमार मुद्गल, भारतीय उच्चायुक्त ने अवसर पर भारत गणराज्य के
प्रधान मंत्री, महामहिम श्री नरेंद्र मोदी का संदेश पढ़कर सुनाया।
अपने वक्तव्य में महामहिम श्री मुद्गल ने अत्यन्त हर्ष के साथ कहा कि मैं जब भी
किसी सम्मेलन में जाता हूँ 'मॉरीशस में' तो वहाँ जाकर एक बहुत ही खास, दिल को छू
जाने वाली स्थिति, हमेशा पैदा हो जाती है। उन्होंने विभिन्न देशों में अपने
कार्यानुभवों का उल्लेख करते हुए मॉरीशस में अपने सुखद अनुभव के बारे में भी बताया
- जब मैं मॉरीशस आया, जगह-जगह हिंदी जानने वालों को, हिंदी को प्यार करने वालों को
देखा लेकिन मॉरीशस की तो कुछ बात ही अलग है। यहाँ हिंदी ने अलग से अपनी एक पहचान
बनाई है। मॉरीशस के लिए हिंदी कोई बाहर की भाषा नहीं है। मॉरीशस में हिंदी मॉरीशस
की अपनी भाषा है। और इस वजह से जो मॉरीशस में भारतीयता, भारतीय संस्कृति और भारतीय
भाषाओं की जो पहचान है, वो मॉरीशस की अपनी पहचान है। उन्होंने विश्व हिंदी सचिवालय
के कार्यों की सराहना की तथा भावी योजनाओं के लिए शुभकामनाएँ दीं।
समारोह के आरंभ में सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए सचिवालय के कार्यवाहक महासचिव,
श्री गंगाधरसिंह सुखलाल ने विशेष रूप से एक पावर पोंइट प्रस्तुति से सचिवालय द्वारा
आयोजित 2014 की सभी गतिविधियों का सुंदर प्रदर्शन किया तथा भावी योजनाओं का भी
संक्षिप्त परिचय दिया। श्री सुखलाल ने सचिवालय के सफ़ल आयोजनों में सभी सहयोगी
संस्थाओं के प्रति आभार व्यक्त किया। अवसर पर उन्होंने विश्व हिंदी दिवस के
उपलक्ष्य में आयोजित अंतरराष्ट्रीय लघु-कथा प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा भी
की।
मंच संचालन श्री विनय गुदारी तथा सुश्री अंजलि चिंतामणी ने किया।
अंतरराष्ट्रीय हिंदी लघुकथा प्रतियोगिता
विश्व हिंदी दिवस 2015 के उपलक्ष्य में सचिवालय ने वर्ष 2014 में एक अंतरराष्ट्रीय
हिंदी लघुकथा प्रतियोगिता का आयोजन किया था। इस प्रतियोगिता को पांच भौगोलिक
क्षेत्रों में बांटा गया था 1. अफ़्रीका व मध्य पूर्व, 2. अमेरिका, 3. एशिया व
ऑस्ट्रेलिया (भारत के अतिरिक्त), 4. युरोप, 5. भारत । प्रत्येक क्षेत्र से बड़ी
संख्या में लोगों ने प्रतियोगिता में भाग लिया। समारोह में मॉरीशस के पांच विजेताओं
(प्रथम- श्री राज हीरमन व श्री विनय गुदारी; द्वितीय- डॉ. श्रीमती अलका धनपत, श्री
वशिष्ठ कुमार झमन व श्री अरविंदसिंह नेकितसिंह) को पुरस्कार राशि तथा प्रमाण पत्र
भेंट किया गया।
लोकार्पण: विश्व हिंदी पत्रिका का 6ठा अंक
इस वर्ष सचिवालय ने अपने वार्षिक प्रकाशन विश्व हिंदी पत्रिका के 6ठे अंक (मुद्रित
व वेब प्रारूप) का लोकार्पण किया। लोकार्पण महामहिम श्री राजकेश्वर प्रयाग के हाथों
हुआ। इस अंक में विभिन्न देशों से प्राप्त 35 लेख प्रस्तुत किए गए हैं। पत्रिका में
विविध विषयों पर आधारित शोध लेख प्रकाशित हुए हैं जैसे हिंदी क अंतरराष्ट्रीय
स्वरूप, क्षेत्र व आयाम, हिंदी के पथप्रदर्शक, प्रवासी देशों में हिंदी साहित्य
इत्यादि। यह अंक सचिवालय के वेबसाइट www.vishwahindi.com पर भी उपलब्ध है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
इस वर्ष सचिवालय ने हिंदी प्रेमियों के समक्ष इंदिरा गांधी भारतीय सांकृतिक केंद्र
के कलाकारों द्वारा जयशंकर प्रसाद की कविता 'बीती विभावरी जाग री!' पर आधारित संगीत
व नृत्य तथा मॉरीशस के प्रसिद्ध किया। 'बीती विभावरी जाग री!' स्वतंत्रता-पूर्व
छायावादी युग के महाकवि जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कविता है जिसमें परतंत्रता की
बेड़ियों में जकड़ी भारतीय जनता के सामने प्रकृति का सहारा लेते हुए जागरण का बिगुल
बजाया गया है। यह कविता मॉरीशस के हिंदी प्रेमियों के बीच अत्यन्त प्रसिद्ध है।
'एक कुत्ते की मौत' एक हिंदी-भोजपुरी नाटक है। मार्क हेडन के उपन्यास The curious
Incident of the Dog in the Night Time से प्रेरित यह नाटक एक कुत्ते की मौत के
रहस्य की जांच के बहाने वर्तमान समाज में मनुष्य की अनैतिकता के कारण पारिवारिक
मूल्यों, संबंधों, विश्वास और बच्चों के भविष्य की हत्या का रहस्य खोलता है।
अन्य गतिविधियाँ
9 जनवरी, 2015 को महात्मा गांधी संस्थान के सुब्रमण्यं भारती सभागार में संस्था के
शिक्षकों, छात्रों व प्राध्यापकों के लिए प्रो. ख़ख़लोवा के साथ एक शैक्षणिक सत्र का
आयोजन किया गया। 12 जनवरी, 2015 को प्रो. ख़ख़लोवा ने मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपति,
महामहिम श्री राजकेश्वर प्रयाग, शिक्षा व मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा व वैज्ञानिक
अनुसंधान मंत्री, माननीय श्रीमती लीला देवी दुखन-लछुमन तथा भारतीय उच्चायुक्त,
महामहिम श्री अनूप कुमार मुद्गल के साथ औपचारिक भेंट की।
शिक्षा व मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा व वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री के साथ भेंट के
दौरान मॉरीशस और रूस के बीच शिक्षण के क्षेत्र में संबंधों को और भी गहरा करने की
संभावनाओं पर भी चर्चा हुई।
- विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट
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