दस जनवरी, 2011 को फ़ेनिक्स स्थित इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र
के सभागार में विश्व हिंदी दिवस का भव्य रूप से आयोजन किया गया। यह समारोह विश्व
हिंदी सचिवालय, भारतीय उच्चायोग, मॉरीशस के शिक्षा एवं मानव संसाधन मंत्रालय, कला
एवं संस्कृति मंत्रालय तथा इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के संयुक्त
तत्वावधान में आयोजित किया गया था।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम सर अनिरुद्ध
जगन्नाथ एवं गणराज्य की प्रथम महिला श्रीमती सरोजनी जगन्नाथ के साथ ही शिक्षा एवं
मानव संसाधन मंत्री माननीय डॉ. वसंत कुमार बनवारी, कला एवं संस्कृति मंत्री माननीय
श्री मुकेश्वर चुनी एवं भारतीय उच्चायुक्त महामहिम श्री मधुसूदन गणपति जी ने अपनी
उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। सचिवालय के निमंत्रण पर दक्षिण कोरिया के
हाँकुक विश्वविद्यालय से प्रो.(सुश्री) किम ऊ जो इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में
उपस्थित हुईं । विश्व हिंदी दिवस : 2011 के संदर्भ में सचिवालय द्वारा आयोजित दो
दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लेने हेतु पधारे भारतीय विद्वान भी
कार्यक्रम में उपस्थित थे।
जन-भाषा हिंदी के इस गौरव-दिवस पर इस की महिमा का गान करने के लिए मॉरीशस के
कोने-कोने से भारी संख्या में हिंदी प्रेमियों ने समारोह में भाग लिया और विश्व
हिंदी सचिवालय के महासचिव डॉ. राजेंद्र प्रसाद मिश्र ने अपने स्वागत-भाषण में सभी
अतिथियों को प्रणाम किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम सर अनिरुद्ध
जगन्नाथ ने अपने वक्तव्य के प्रारंभ में ही हिंदी के प्रति अपने प्रेम की
अभिव्यक्ति की और आयोजकों को बधाई देते हुए मॉरीशस के लिए हिंदी के सांस्कृतिक एवं
ऐतिहासिक महत्व पर बल दिया । गणराज्य के राष्ट्रपति के शब्दों में "हिंदी भाषा
हमारी संस्कृति और इतिहास का महत्वपूर्ण अंग है। मॉरीशस को इस बात पर हमेशा गर्व
रहा है कि यहाँ के लोग अनेकों भाषाएँ बोलते और समझते हैं। इनमें हिंदी एक प्रमुख
भाषा है।"
इसके साथ ही सर अनिरुद्ध जगन्नाथ ने देश की प्रगति-यात्रा में, मॉरीशस को शिक्षा के
क्षेत्र में एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की सरकार की योजना में
हिंदी के अमूल्य योगदान को भी उभारा। राष्ट्रपति ने विश्व स्तर पर हिंदी के प्रचार
की दिशा में कार्यों के लिए सचिवालय, शिक्षा मंत्रालय और विशेषरूपेण भारत सरकार और
मॉरीशस में भारतीय उच्चायुक्त महामहिम श्री मधुसूदन गणपति जी की भूरि-भूरि प्रशंसा
की ।
शिक्षा एवं मानव संसाधन मंत्री माननीय डॉ. वसंत कुमार बनवारी ने भी हिंदी के प्रति
अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करते हुए अपने संदेश में भारत से बाहर हिंदी शिक्षण, शोध
और प्रचार में मॉरीशस को सबसे बड़ा केंद्र बताया। उनके संदेश में विशेष रूप से इस
बात पर बल दिया गया कि शिक्षण-प्रणाली की नई परिभाषाओं की खोज में हिंदी की आधारभूत
भूमिका हो सकती है : "मुझे पूरा विश्वास है कि हिंदी भाषा में जिस तरह की संस्कृति
समाई हुई है उससे हमारे बच्चे बेहतर नागरिक बन पाएँगे। मैं आप सब से अनुरोध करूँगा
कि अपने बच्चों को हिंदी भाषा सिखाएँ।"
शिक्षा मंत्री ने आशा व्यक्त की कि सचिवालय इसी तरह अपना काम करता रहे ताकि भारत और
मॉरीशस की सरकारों ने हिंदी को विश्व भाषा बनाने का जो सपना देखा है, वह जल्द से
जल्द साकार हो।
कला एवं संस्कृति मंत्री माननीय मुकेश्वर चुनी ने हिंदी की विश्वव्यापि उपस्थिति
तथा उस में मॉरीशस की भूमिका तथा मॉरीशस राष्ट्र और यहाँ के नागरिकों के चरित्र
निर्माण में हिंदी के योगदान पर अपना संदेश केंद्रित किया। "हमारे देश के विकास में
हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हमारे देश की आज़ादी और हमारे राष्ट्र के
निर्माण में हिंदी का बहुत बड़ा योगदान है। इसीलिए हमारे देश में हिंदी का प्रचार
बहुत ज़रूरी है। भारत और मॉरीशस सरकार हिंदी की प्रगति के लिए कटिबद्ध हैं।"
मॉरीशस में भारत के उच्चायुक्त महामहिम श्री मधुसूदन गणपति ने अपने संदेश में कहा
कि यह सर्वदा उचित है कि विश्व हिंदी दिवस समारोह का आयोजन उस जगह हो रहा है जहाँ
विश्व हिंदी सचिवालय स्थित है और जहाँ भारत से बाहर लोग सबसे ज़्यादा भारी संख्या
में हिंदी से प्यार करते हैं। महामहिम गणपति जी के लिए हिंदी विश्व-बंधुत्व की
संकल्पना को साकार करने वाली भाषा हैः
"आज जब हम उपनिषद में कहे गए गौरवशाली वाक्य `वसुधैवकुटुंबकम्' को याद करते हुए
हिंदी पर दृष्टिपात करते हैं तो वह विश्व के प्रत्येक कोनों में लोगों को आपस में
जोड़ने वाली भाषा बनती दिखती है। हिंदी आज औपचारिक और अनौपचारिक, दोनों तरीकों से
दुनिया के 90 से अधिक देशों में पढ़ाई जा रही है।"
उन्होंने मित्र देश दक्षिण कोरिया से विदूषी व समर्पित हिंदी प्रेमी प्रो. किम ऊ जो
की उपस्थिति को इसका श्रेष्ठ उदाहरण बताया । हिंदी के गुणों का बखान करते हुए
उन्होंने विश्वास जताया कि "भारत और मॉरीशस सरकार, विश्व हिंदी सचिवालय एवं दुनिया
के अन्य देशों के सहयोग एवं प्रयास से हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की सातवी भाषा
के रूप में उचित स्थान प्राप्त होगा। यही हमारा सपना है। यही हमारा लक्ष्य है। यही
हमारा कर्तव्य है।"
विश्व हिंदी दिवस समारोह की अतिथि वक्ता प्रो.(सुश्री) किम ऊ जो की मंच पर उपस्थिति
ही सभी के लिए सुखद आश्चर्य था और जब उनके मुख से हिंदी के शब्द प्रवाहित हुए तब
हिंदी प्रेमियों की आँखों की चमक देखते ही बनी। प्रो. ऊ जो ने कोरिया में हिंदी
शिक्षण के इतिहास से अपनी बात आरंभ करते हुए भाषा के अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
को भी उजागर किया।
"‘हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाने में आप लोगों के राष्ट्रपिता सर शिव सागर
रामगुलाम जी का नाम हमेशा के लिए स्मरणीय रहेगा। हम भूमंडलीकृत विश्व में जी रहे
हैं। इस प्रक्रिया में भारत एक महान आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है। भारत को
यू.एन. की सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने का प्रयत्न भी हो रहा है। और
कोरियाई सरकार इसके समर्थन में है। भारत के बाहर जो विदेशी हिंदी भाषा-भाषी हैं, वे
लोग हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाते हैं। प्रवासी भारतीयों की सामुहिक शक्ति,
प्रयत्न और प्रतिभा महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में मुझे यह मानने में कोई संकोच नहीं
है कि मॉरीशस देश अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी की स्थापना के लिए तीर्थ
स्थान है।"
प्रो. ऊ जो के शब्द हिंदी प्रेमियों के मन में उत्साह व प्रेरणा के ऐा÷ दीपक जला गए
कि देश भर में कई सप्ताह तक उनकी चर्चा होती रही ।
लोकार्पण
विश्व हिंदी दिवस समारोह के ही अवसर पर गणराज्य के राष्ट्रपति द्वारा विश्व हिंदी
सचिवालय की वार्षिक ‘विश्व हिंदी पत्रिका : 2010’ का सभी गणमान्य अतिथियों की
उपस्थिति में भव्य रूप से लोकार्पण हुआ। विश्व हिंदी पत्रिका में प्रथम अंक के
कार्य को आगे बढ़ाते हुए विश्व भर में हिंदी-शिक्षण एवं प्रचार-प्रसार की
गतिविधियों से संबंधित शोधपरक लेख प्रकाशित किए गए हैं साथ में प्रथम विश्व हिंदी
सम्मेलन, नागपुर के कुछ मॉरीशसीय प्रतिभागियों के रोचक संस्मरणों को भी सम्मिलित
किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता
विश्व हिंदी दिवस के ही संदर्भ में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता
के विजेताओं की घोषणा भी महासचिव डॉ.राजेंद्र प्रसाद मिश्र द्वारा की गई। इस
प्रतियोगिता के लिए विश्व भर के विद्वानों ने `हिंदी कैसे बने संयुक्त राष्ट्र संघ
की आधिकारिक भाषा' विषय पर गहन चिंतन करते हुए निबंध लिखे थे। प्रथम पुरस्कार श्री
नारायण कुमार, द्वितीय डॉ. जयप्रकाश कर्दम और तृतीय पुरस्कार मॉरीशस की श्रीमती
तीना जगू- मोहेश को प्राप्त हुआ।
विश्व हिंदी दिवस समारोह नृत्य और संगीत के अत्यंत मनमोहक दृश्यों व ध्वनियों से भी
सुसज्जित था। हिंदी की महानता और सुसंपन्नता को संगीतमय रूप से महात्मा गांधी
संस्थान के संगीत विभाग के शिक्षक एवं हिंदी की छात्राओं ने ‘हिंदी रसों का सागर’
के माध्यम से प्रस्तुत किया। यह गीत मॉरीशस के प्रसिद्ध कवि डॉ. ब्रजेंद्र कुमार
मंगर भगत `मधुकर' के हिंदी-प्रेमी हृदय का उद्गार है जिसे सुनकर सभागार मुग्ध हो
गया।
इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र द्वारा भारत की अनेक संगीत शैलियों के आधार
पर तबला तरंग कार्यक्रम में छात्रों ने जब तबला, ढोलक, ढोल की ध्वनियाँ छेड़ीं तब
सभागार में उपस्थित लोगों के हृदय की गति तीव्र हो गई और तबला तरंग के समाप्त होने
पर जैसे उसकी स्पर्धा में ही तालियों की ध्वनि गूँजी।
कार्यक्रम के अंत में इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की कथक शिक्षिका एवं
छात्राओं ने मंच को संगीत और रंगों से भर दिया । अमीर खुसरो की तीन रचनाओं को कथक
की बानगी में पिरोकर कलाकारों ने वातावरण को ज्योतिर्मय बना दिया ।
- विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट
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