मॉरीशस में ‘सृजनात्मक लेखन कार्यशाला’
11-12 दिसंबर, 2017 को विश्व हिंदी सचिवालय ने शिक्षा व मानव संसाधन,
तृतीयक शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय एवं भारतीय उच्चायोग, मॉरीशस के
तत्वावधान में इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, फ़ेनिक्स में दो दिवसीय
‘सृजनात्मक लेखन कार्यशाला’ का आयोजन किया। कार्यशाला हेतु यू.के. से श्री
तेजेन्द्र कुमार शर्मा, सचिव, कथा यू.के. तथा भारत से प्रो. आनंद वर्धन शर्मा,
प्रतिकुलपति, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय एवं मॉरीशस से डॉ.
हेमराज सुन्दर, वरिष्ठ व्याख्याता एवं प्रधान संपादक, महात्मा गांधी संस्थान तथा
श्री सूर्यदेव सिबोरत, वरिष्ठ हिंदी लेखक को विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित किया
गया।
उद्घाटन समारोह
11
दिसंबर, 2017 को कार्यशाला के उद्घाटन-समारोह का आयोजन किया गया जिसमें
मुख्य अतिथि कार्यवाहक भारतीय उच्चायुक्त, महामहिम श्री के. डी. देवल रहे
तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. उदय नारायण गंगू रहे। इस अवसर पर विश्व हिंदी
सचिवालय के महासचिव, प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने स्वागत्-भाषण देते हुए इस
कार्यशाला के आयोजन के उद्देश्य की चर्चा की। उन्होंने कहा कि ‘‘लेखन से
युवा वर्ग को जोड़े रखने, प्रेरित एवं उत्साहित करने के उद्देश्य से यह दो
दिवसीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है।’’ उन्होंने प्रत्येक अतिथि वक्ताओं
का परिचय भी दिया।
मुख्य अतिथि कार्यवाहक भारतीय उच्चायुक्त, महामहिम श्री के. डी. देवल ने
हिंदी के विकास के बारे में बात की - ‘‘बढ़ती बाज़ारवाद के कारण भारत एवं
विदेश में हिंदी का पिछले 50 सालों में विकास हुआ है।’’
विश्व हिंदी सचिवालय की शासी परिषद् के सदस्य डॉ. उदय नारायण गंगू ने
सचिवालय की स्थापना पर बात की तथा सभागार में सभी की उपस्थिति पर आभार
प्रकट करते हुए होनेवाले सत्रों की चर्चा की।
कथा यू.के. के सचिव श्री तेजेंद्र कुमार शर्मा ने ब्रिटेन तथा विश्व में
हिंदी की बढ़ती मान्यता को रेखांकित करते हुए कहा कि ‘‘ब्रिटेन में जितनी
कंपनियाँ हैं, उन सब के सी.ई.ओ. अपने कर्मचारियों व मेनेजरों को हिंदी की
वर्किंग नॉलिज लेकर भारत जाने के लिए प्रेरित करते हैं क्योंकि बिना हिंदी
के वहाँ उनका काम नहीं चल सकता। हम अपनी पहचान हिंदी के ज़रिए बनाते हैं
तथा हिंदी को शुद्धतावादी प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं है।’’
महात्मा
गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. आनंद वर्धन
शर्मा ने रचनाकार के लिए सृजनात्मक लेखन की विशेषताओं का उल्लेख किया।
उन्होंने सृजनात्मक लेखन को परिभाषित करते हुए तथा हिंदी की मान्यता पर बल
देते हुए कहा कि ‘‘वह लेखन जो स्वांत सुखाय अपने लिए लिखा गया है, वह अपने
लिए न होकर सब का हो जाए वही सब से बड़ा सृजनात्मक लेखन है।’’ इस सत्र का
संचालन डॉ. माधुरी रामधारी ने कि या।
द्वितीय सत्र - कहानी-लेखन
द्वितीय सत्र कहानी-लेखन पर आधारित रहा। इस सत्र के दौरान प्रो. आनंद
वर्धन शर्मा तथा श्री तेजेंद्र कुमार शर्मा ने कहानी लिखने की विधाओं पर
बात करते हुए अपनी कहानी का पाठ किया। श्रीमती उषा शर्मा तथा श्री धनराज
शम्भु ने कहानी-पाठ किया। डॉ. अलका धनपत तथा डॉ. आभा सिंह ने उन कहानियों
पर टिप्पणी करते हुए कहानी-लेखन पर अपने विचार व्यक्त किए। इस सत्र का
संचालन प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने किया।
तृतीय सत्र - गीत-लेखन
तृतीय
सत्र का विषय गीत-लेखन रहा। श्री तेजेंद्र शर्मा ने ‘हिंदी सिनेमा एवं
गीत-लेखन’ विषय पर बात करते हुए कहा कि ‘‘साहित्य को आम आदमी तक ले जाने के
लिए सिनेमा एक बहुत बड़ा माध्यम है।’’ श्री निखिल शिबनोत ने अपने गीत ‘तेरा
पता’ की रचना पर बात की। श्रीमती श्वेता बाबुलाल ने स्वरचित गीतों का गान
किया तथा गीत-लेखन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘‘एहसास, भाषा और
सृजनात्मकता के मिश्रण से गीत की रचना होती है।’’ इसी सत्र के दौरान श्री
महेश रामजियावन द्वारा लिखित व निर्देशित फ़िल्म ‘द लेजेंड ऑव महेश्वरनाथ
टेम्पल’ एवं श्री धननारायण जीऊत द्वारा लिखित व निर्देशित फ़िल्म ‘बोझ’ की
प्रस्तुति हुई। इसके उपरान्त श्री तेजेंद्र कुमार शर्मा तथा श्री आनंद
वर्धन ने पूरे सत्र पर अपनी टिप्पणी दी। इस सत्र का संचालन डॉ. माधुरी
रामधारी ने किया।
द्वितीय दिवस : मंगलवार, 12 दिसंबर 2017 – प्रथम सत्र –
क्षणिका-लेखन
दूसरे दिन के प्रथम सत्र का विषय क्षणिका-लेखन रहा। डॉ. हेमराज सुन्दर
ने क्षणिका-लेखन की विभिन्न पहलुओं को रेखांकित किया तथा उपस्थित श्रोताओं
को लिखने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि ‘‘क्षणिकाओं का विषय विस्तृत
होता है। उसमें बड़ी विविधता होती है। कम शब्दों में बड़ी बात कहने की
क्षमता क्षणिका में होनी चाहिए, उसकी कला होनी चाहिए।’’ इसके उपरान्त श्री
सोमदत्त काशीनाथ, श्री मानव बुधन, श्रीमती कल्पना लालजी, श्रीमती तीना जगू
मोहेश, श्री अरविंद सिंह नेकितसिंह, श्रीमती सविता तिवारी, श्रीमती अंजु
घरबरन, डॉ. अलका धनपत, श्रीमती सीता रामयाद ने अपनी क्षणिकाएँ सुनाईंं। डॉ.
हेमराज सुन्दर एवं प्रो. आनंद वर्धम शर्मा ने विभिन्न प्रतिभागियों की
क्षणिकाओं पर अपनी टिप्पणियाँ दीं। इसके उपरान्त परिचर्चा सत्र हुआ, जिसमें
सभी लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस सत्र का संचालन श्रीमती
श्रद्धांजलि हजगैबी-बिहारी ने किया।
द्वितीय सत्र – लघुकथा-लेखन
द्वितीय
सत्र का विषय लघुकथा-लेखन रहा। श्री तेजेंद्र कुमार शर्मा ने लघुकथा लिखने
के तरीकों पर बल देते हुए कहा कि ‘‘लघुकथा ‘गागर में सागर’ भर देने वाली
विधा है।’’ उन्होंने आधुनिक समाज में लघुकथा-लेखन द्वारा अपने भावों की
अभिव्यक्ति की बात कही।
इसके पश्चात् श्रीमती समानता अजुबा, श्री मानव बुधन एवं श्रीमती
सविता तिवारी ने लघुकथा-पाठ किया, जिनपर श्री तेजेंद्र कुमार शर्मा तथा
प्रो. आनंद वर्धन ने टिप्पणी की।
डॉ. उदय नारायण गंगू तथा श्री रामदेव धुरंधर ने लघुलथा-लेखन पर
अपने-अपने विचार व्यक्त किए। इस सत्र का संचालन प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने
किया।
तृतीय सत्र – नाट्य-लेखन एवं रंगमंच
तृतीय सत्र का विषय नाटय़-लेखन एवं रंगमंच रहा। श्री सूर्यदेव सिबोरत ने
विषय पर बात करते हुए उसकी विभिन्न विधाओं का उल्लेख किया। साथ-साथ
उन्होंने मॉरीशसीय संदर्भ में लेखन के उद्देश्य पर भी बल दिया तथा पात्र,
संवाद, स्थिति आदि के माध्यम से विषय को श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया।
इसके उपरान्त श्रीमती सीता रामयाद, श्री रितेश मोहाबीर, सुश्री नंदिनी झुमक
तथा श्री आशेष रामजियावन द्वारा नाटय़ प्रस्तुति हुई। श्री सूर्यदेव सिबोरत
तथा श्री तेजेंद्र कुमार शर्मा ने नाटय़ प्रस्तुति के उपरान्त अपनी
टिप्पणियाँ दीं। इस सत्र का संचालन डॉ. माधुरी रामधारी ने किया।
समापन समारोह
तृतीय
सत्र के उपरान्त समापन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर इंदिरा गांधी
भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की निदेशिका, आचार्य प्रतिष्ठा ने भाषा की
उपयोगिता को रेखांकित करते हुए कहा कि ‘‘भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम
नहीं, ये संस्कृति के संरक्षण का माध्यम है।’’ प्रो. आनंद वर्धन शर्मा ने
अपने संदेश में इस कार्यशाला को एक मशाल कहा, जिससे लोगों की सर्जना
बढ़ेगी। इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों के हाथों डॉ. हेमराज सुन्दर कृत
‘हेमराज सुन्दर-व्यक्तित्व और कृतित्व’ तथा कविता-संग्रह ‘सच्ची खबर’ का
लोकार्पण किया गया। श्री धनराज शम्भु तथा नवोदित रचनाकार श्री विश्वानंद
पतिया ने टिप्पणी देते हुए इस कार्यशाला को सार्थक बताया। श्री तेजेंद्र
कुमार शर्मा ने अपने समापन भाषण में नवोदित लेखकों को लिखने की प्रेरणा दी।
समारोह में उपस्थित विभिन्न प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए।
प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने धन्यवाद-ज्ञापन किया तथा उन्होंने संयुक्त रूप
से डॉ. माधुरी रामधारी के साथ कार्यक्रम का संचालन किया।
विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट
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