भारत और मॉरीशस सरकार की द्विपक्षीय संस्था     A Bilateral Organization of the Government of India and the Government of Mauritius
World Hindi Secretariat


 
पाँचवां विश्व हिंदी सम्मेलन, त्रिनिदाद एवं टोबेगो
 

 

पंचम विश्व हिंदी सम्मेलन

पांचवें विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन हुआ त्रिनिदाद एवं टोबेगो की राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन में। तिथियां थीं- चार से आठ अप्रैल १९९६, और त्रिनिदाद एवं टोबेगो की आयोजक संस्था थी हिंदी निधि। सम्मेलन के प्रमुख संयोजक हिंदी निधि के अध्यक्ष श्री चंका सीताराम थे। भारत की ओर से इस सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधिमंडल के नेता अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री माता प्रसाद थे।

सम्मेलन का केंद्रीय विषय था- आप्रवासी भारतीय और हिंदी। जिन अन्य विषयों पर इसमें ध्यान केंद्रित किया गया, वे थे- हिंदी भाषा और साहित्य का विकास, कैरेबियाई द्वीपों में हिंदी की स्थिति, एवं कंप्यूटर युग में हिंदी की उपादेयता।

सम्मेलन में भारत से १७ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने हिस्सा लिया। अन्य देशों के २५७ अन्य प्रतिनिधियों ने भी इसमें भाग लिया।

पारित मंतव्य

·  यह सम्मेलन भारतवंशी समाज एवं हिंदी के बीच जीवंत समीकरण बनाने का प्रबल समर्थन करता है और यह आशा करता है कि विश्वव्यापी भारतवंशी समाज हिंदी को अपनी संपर्क भाषा के रूप में स्थापित करेगा एवं एक विश्व हिंदी मंच बनाने में सहायता करेगा।

·  सम्मेलन चिरकाल से अभिव्यक्त अपने मंतव्य की पुनः पुष्टि करता है कि विश्व हिंदी सम्मेलन को स्थाई सचिवालय की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। सम्मेलन के विगत मंतव्य के अनुसार यह सचिवालय मॉरिशस में स्थापित होना निर्णित है। इसके त्वरित कार्यान्वयन के लिए एक अंतर सरकारी समिति का गठन किया जाए। इस समिति का गठन मॉरीशस एवं भारत सरकार द्वारा किया जाना चाहिए। इस समिति में सरकारी प्रतिनिधियों के अलावा पर्याप्त संख्या में हिंदी के प्रति निष्ठावान साहित्यकारों को सम्मिलित किया जाए। यह समिति अन्य बातों के साथ-साथ सचिवालयी व्यवस्था के अनेकानेक पहलुओं पर विचार करते हुए एक सर्वांगीण कार्यक्रम योजना भारत तथा मॉरीशस की सरकारों को प्रस्तुत करेगी।

·  यह सम्मेलन सभी देशों, विशेषकर उन देशों जहाँ भारतीय मूल के लोग तथा आप्रवासी भारतीय बसते हैं की सरकारों से आग्रह करता है कि वे अपने देश में विभिन्न स्तरों पर हिंदी के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था करें।

·  यह सम्मेलन विश्व स्तर पर हिंदी भाषा को प्राप्त जनाधार और उसके प्रति जनभावना को देखते हुए सभी देशों, जहाँ भारतीय मूल तथा आप्रवासी भारतीय बसते हैं, वहाँ के हिंदी प्रचार-प्रसार में संलग्न स्वयं सेवी संस्थाओं/ हिंदी विद्वानों से आग्रह करता है कि वे अपनी-अपनी सरकारों से आग्रह करें कि वे हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाने के लिए राजनयिक योगदान तथा समर्थन दें।

·  यह सम्मेलन भारत सरकार द्वारा महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्व विद्यालय स्थापित करने के निर्णय का स्वागत करता है और आशा करता है कि इस विश्व विद्यालय की स्थापना से हिंदी को विश्वव्यापी बल मिलेगा।

 
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