13 जनवरी, 2017 को विश्व हिंदी सचिवालय ने शिक्षा व मानव संसाधन,
तृतीयक शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय तथा भारतीय उच्चायोग के
सौजन्य से इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, फ़ेनिक्स में विश्व
हिंदी दिवस का भव्य आयोजन किया।
मुख्य अतिथि, मॉरीशस गणराज्य के कार्यवाहक राष्ट्रपति, महामहिम श्री
परमशिवम पिल्ले वायापुरी, जी. ओ. एस. के. रहे। शिक्षा व मानव संसाधन,
तृतीयक शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री, माननीया श्रीमती लीला
देवी दुकन-लछुमन तथा कार्यवाहक भारतीय उच्चायुक्त, महामहिम श्री अशोक
कुमार तथा सार्वजनिक अवसंरचना एवं भूमि परिवहन मंत्री माननीय श्री
नन्दकुमार बोधा ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
सचिवालय ने इस वर्ष विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर पेकिंग विश्वविद्यालय,
बीजिंग, चीन में दक्षिण एशियाई विभाग के प्रोफ़ेसर व दक्षिण एशियाई
केंद्र के निदेशक, प्रो. जिंगकुई ज्यांग को हिंदी प्रेमियों के समक्ष
प्रस्तुत किया, जिन्होंने ‘हिंदी का वैश्विक परिप्रेक्ष्य : चीन के
विशेष संदर्भ में’ विषय पर वक्तव्य दिया।
महामहिम श्री परमशिवम पिल्ले वायापुरी ने मॉरीशस में हिंदी के इतिहास
पर चर्चा करते हुए कहा कि ‘‘गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस द्वारा
उपार्जित प्रेरणा से हिंदी हमारे पूर्वजों के संघर्षपूर्ण जीवन की भाषा
है, जिसके माध्यम से उन्होंने अपने मनोबल को बनाए रखा।’’
माननीया मंत्री श्रीमती लीला देवी दुकन-लछुमन ने सचिवालय के कार्यों की
सराहना की तथा सभी को विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि
‘‘हिंदी प्रेमियों के लिए आज हिंदी की उपलब्धियों को मनाने का दिवस
है।’’ अपने वक्तव्य में माननीया मंत्री ने हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता
तथा सूचना एवं प्रौद्योगिकी की उन्नत संभावनाओं को रेखांकित भी किया।
साथ ही उन्होंने सन् 2018 में होनेवाले विश्व हिंदी सम्मेलन में सभी
लोगों की सहायता की आशा की अपेक्षा करते हुए कहा कि ‘‘इस महायज्ञ में
आप सभी की आहुति की अपेक्षा करती हूँ।’’
महामहिम श्री अशोक कुमार, कार्यवाहक भारतीय उच्चायुक्त ने इस अवसर पर
भारत गणराज्य के प्रधान मंत्री, महामहिम श्री नरेंद्र मोदी का संदेश
पढ़कर सुनाया। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि ‘‘भारत और मॉरीशस
दोनों देश लम्बे समय से सांस्कृतिक और भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं
और इन संबंधों को मज़बूत करने में हिंदी ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
है।’’ उन्होंने विश्व हिंदी सचिवालय के कार्यों की प्रशंसा की तथा
शुभकामनाएँ दीं।
समारोह के आरंभ में सचिवालय के महासचिव, प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने
उपस्थित महानुभावों व सभी अतिथियों का स्वागत किया और सभी को विश्व
हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ दीं।
अंतरराष्ट्रीय हिंदी वाचन प्रतियोगिता
विश्व हिंदी दिवस 2017 के उपलक्ष्य में वर्ष 2016 में एक
‘अंतरराष्ट्रीय हिंदी वाचन प्रतियोगिता’ का आयोजन किया गया था।
प्रतियोगिता को पाँच भौगोलिक क्षेत्रों में बाँटा गया था - 1. अफ़्रीका
व मध्य पूर्व, 2. अमेरिका, 3. एशिया व ऑस्ट्रेलिया (भारत के अतिरिक्त),
4. युरोप, 5. भारत। इस प्रतियोगिता को दो वर्गों में बाँटा गया था –
वर्ग 'अ' (18 वर्ष से कम) और वर्ग 'आ' (18 वर्ष से ज़्यादा), जिसमें
लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। समारोह में मॉरीशसीय विजेताओं (वर्ग
'अ' में प्रथम स्थान - सुश्री वंदना मल्होत्रा धनपत; वर्ग 'आ' में
प्रथम स्थान – श्रीमती तीना जगू-मोहेश और द्वितीय स्थान – श्री सोमदत्त
काशीनाथ) को पुरस्कृत किया गया।
लोकार्पण : विश्व हिंदी पत्रिका का 8वाँ अंक
इस वर्ष सचिवालय ने अपने वार्षिक प्रकाशन विश्व हिंदी पत्रिका के 8वें
अंक के मुद्रित व वेब प्रारूपों का लोकार्पण किया। इस अंक में विभिन्न
देशों से प्राप्त 44 लेख प्रस्तुत किए गए हैं। इस वर्ष की पत्रिका में
हिंदी के विविध आयामों को शोध-आलेख के रूप में प्रस्तुत किया गया। यह
अंक सचिवालय के वेबसाइट www.vishwahindi.com पर भी उपलब्ध है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
हिंदी गान एवं कथक नृत्य
कार्यक्रम के अंतर्गत इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के
कलाकारों द्वारा ‘हिंदी भाषा राष्ट्र की भाषा’ शीर्षक हिंदी गान तथा
कथक नृत्य की प्रस्तुति हुई।
संगीत शिक्षिका डॉ. वन्दना बहुगुणा तथा छात्र – अंजनी कुमार, हर्षिनी
गणेश, यश झरी, तुष्टि गजाधर तथा देशना जोगिया ने अपनी मधुर आवाज़ से सभी
को मंत्र-मुग्ध किया और हारमोनिका पर श्री जगदीशदत्त दुबरी, ओक्टोपैड
पर श्री सुबिराज लोलशा एवं कीबोर्ड पर श्री निलेश कुलमान ने उनका साथ
दिया।
श्री करण गंगानी के निर्देशन में आयुशी बिहारी, युथिका शर्मा, दिया
गोपी, अर्चिता गुप्ता, दिशाना दुखन, ताश्विना हीरामन, नैना कुमार,
नविष्टा हीरा, गोशिला मारोआम और लोर्शिनी पायदेगाडु ने नृत्य-प्रस्तुत
किया।
अंधेर नगरी चौपट राजा का मंचन
मॉरीशस अकादमी ऑव पर्फ़ोमिंग आर्ट्स द्वारा हरिश्चंद्र के ‘अंधेर नगरी
चौपट राजा’ नाटक का मंचन हुआ। यह नाटक भारतेंदु हरिश्चंद्र कृत
सर्वाधिक लोकप्रिय हास्य-व्यंग्य नाटक है, जिसमें हास्य द्वारा एक
गंभीर समस्या को दर्शाया गया है। श्री महेश रामजियावन के निर्देशन में
दिलीप बंगशी, अशेष रामजियावन, अनूप मोताय, लाला रघुबीर, माणिकचंद
दसोया, विनय कालीचर्ण, संगीता दुखिया, राजेन्द्रनाथ ठाकुरी, नीतेश
जिराखन, प्रवेश रामदेवर, बेनीप्रसाद सिंह देवनारायण, राजीव रामजियावन,
इंद्रसेन आनंद घनश्याम, ऋषि हुबेर तथा वन्दना रामदेवर ने प्रशंसनीय
नाट्य-प्रस्तुति की।
अन्य गतिविधियाँ
औपचारिक भेंट
13 जनवरी, 2017 को प्रो. जिंगकुई ज्यांग ने कार्यवाहक भारतीय
उच्चायुक्त, महामहिम श्री अशोक कुमार से तथा 16 जनवरी, 2017 को मॉरीशस
गणराज्य के कार्यवाहक राष्ट्रपति महामहिम श्री परमशिवम पिल्ले
वायापुरी, तत्कालीन प्रधान मंत्री, माननीय श्री अनिरुद्ध जगन्नाथ तथा
शिक्षा व मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री
माननीया श्रीमती लीला देवी दुकन-लछुमन के साथ औपचारिक भेंट की।
साहित्य संवाद, इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र,
फ़ेनिक्स
16 जनवरी, 2017 को 'साहित्य संवाद' द्वारा इंदिरा गांधी भारतीय
सांस्कृतिक केंद्र, फ़ेनिक्स में 'चीन के विश्वविद्यालयों में हिंदी का
अध्ययन-अध्यापन' विषय पर एक संवाद का आयोजन किया गया था, जिसमें प्रो.
जिंगकुई ने विस्तारपूर्वक हिंदी के संदर्भ में चीन के विश्वविद्यालयों
में हो रहे कार्यों का ब्योरा देते हुए यह स्पष्ट किया कि चीन में
हिंदी की स्थिति, उसके पठन-पाठन तथा दिशा-दशा में काफ़ी सुधार आया है।
विश्वविद्यालयों में हिंदी-छात्रों की बढ़ती संख्या इसका एक उपयुक्त
उदाहरण है।
शैक्षणिक सत्र, महात्मा गांधी संस्थान, मोका
17 जनवरी, 2017 को महात्मा गांधी संस्थान के सुब्रमण्यम् भारती सभागार
में शिक्षकों एवं छात्रों सहित हिंदी प्रेमियों के सान्निध्य में ‘चीन
में हिंदी भाषा-शिक्षण : दशा और दिशाएँ’ विषय पर एक शैक्षणिक सत्र का
आयोजन किया गया, जहाँ हिंदी विभागाध्यक्षा डॉ. संयुक्ता भवन-रामसाहा ने
स्वागत-भाषण देते हुए उपस्थित सभी महानुभावों, प्राध्यापकों, छात्रों
तथा हिंदी प्रेमियों को विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं।
तदुपरांत संस्थान के संगीत विभाग द्वारा एक हिंदी गान की प्रस्तुति
हुई।
संस्थान के अध्यक्ष श्री जयनारायण मीतू ने प्रो. जिंगकुई ज्यांग का
स्वागत करते हुए उनका परिचय दिया तथा एम.जी.आई. की पृष्ठभूमि की चर्चा
की। उन्होंने कहा कि वे एक वैश्वीकृत दुनिया पर विश्वास करते हैं। साथ
ही, उन्होंने एम.जी.आई. और पेकिंग विश्वविद्यालय के बीच एक समझौता
ज्ञापन की इच्छा व्यक्त की, जिससे विनिमय कार्यक्रम के तहत शैक्षणिक
अधिकारी एवं छात्र लाभांवित हो सके तथा ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का
प्रक्षेपण हो। इस कार्य को पूर्ण करने में उन्होंने प्रो. जिंगकुई की
सहायता की माँग की।
प्रो. जिंगकुई ने बताया कि उन्होंने औपचारिक रूप से हिंदी का पठन-पाठन
नहीं किया था। यह तो हिंदी के प्रति उनका प्रेम है, जिसके कारण वे
हिंदी में दक्ष हुए और आज हिंदी पढ़ा भी रहे हैं। उन्होंने कहा "जब मैं
भारत आया तब मुझे हिंदी की सौम्यता का आभास हुआ। चीनी और भारतीय सभ्यता
में ज़्यादा अंतर नहीं है।"
उन्होंने दुख भी प्रकट किया कि आधुनिक भौतिक संसार में 'अर्थ' सर्वोपरि
है। हिंदी से धन कमाने की कम संभावना है, इसलिए वैश्विक स्तर पर हिंदी
के अध्ययन-अध्यापन में क्षय हुआ। फिर भी स्थिति धीरे-धीरे सुधरती हुई
नज़र आ रही है। अभी चीन में 500 छात्र हिंदी सीख रहे हैं और पेकिंग
विश्वविद्यालय में हिंदी-अध्ययन कर रहे छात्रों को विश्व भर से आए
स्नातकोत्तर प्राध्यापक पढ़ा रहे हैं।
चीन में, जो काम अध्यापक गण न कर पाए, वह व्यापार ने कर दिखाया। अभी
चीन में हिंदी बाज़ार की भाषा बन गई है। चीनी कंपनियाँ हिंदी में प्रवीण
लोगों को काम दे रही हैं। प्रो. जिंगकुई ने यह विचार प्रकट किया कि
हिंदी 'राम' है और हिंदी की सेवा करने वाले 'हनुमान'; जिस तरह मॉरीशस
में हिंदी की सेवा हो रही है, उसी प्रकार चीन में हिंदी की सेवा हो,
यही आशा है।
सत्र के अंत में प्रो. जिंगकुई को चित्र, पत्रिकाएँ तथा पुस्तकें भेंट
कर सम्मानित किया गया और धन्यवाद-ज्ञापन मंच संचालक डॉ. लक्ष्मी झमन ने
किया।
- विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट
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