विश्व हिंदी सचिवालय, शिक्षा-संस्कृति एवं मानव संसाधन मंत्रालय, भारतीय उच्चायोग:
मॉरीशस, इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र और हिंदी संगठन के संयुक्त तत्वाधान
में विश्व हिंदी दिवस समारोह का आयोजन 10 जनवरी, 2010 को मॉरीशस के इंदिरा गांधी
भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के भव्य सभागार में किया गया । भारत के उच्चायुक्त
महामहिम श्री मधुसूदन गणपति, मॉरीशस के शिक्षा, संस्कृति एवं मानव संसाधन मंत्रालय
के कार्यवाहक मंत्री माननीय श्री राजेश्वर जीता, हंगरी से आमंत्रित मुख्य वक्ता डॉ.
मारिया न्यजैशी एवं विश्व हिंदी सचिवालय की शासी परिषद (गवर्निंग काउंसिल) के सदस्य
श्री अजामिल माताबदल, श्री सत्यदेव टेंगर की उपस्थिति में आयोजित इस भव्य समारोह के
मुख्य अतिथि थे मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम सर अनिरुद्ध जगन्नाथ ।
गणराज्य की प्रथम महिला श्रीमती सरोजनी जगन्नाथ ने भी अपनी उपस्थिति से समारोह को
गरिमा प्रदान की ।
सचिवालय की महासचिव डॉ. (श्रीमती) विनोदबाला अरुण के स्वागत भाषण के बाद महात्मा
गांधी संस्थान, मोका की प्राध्यापिका श्रीमती वर्षा रानी बिसेसर दुलुआ ने डॉ.
लक्ष्मीमल सिंघवी की कविता 'हिंदी हम सबकी परिभाषा' का सस्वर पाठ किया । कविता पाठ
के बाद हिंदी संगठन के प्रधान श्री अजामिल माताबदल ने मॉरीशस में हिंदी के
प्रचार-प्रसार के लिए संकल्पबद्ध हिंदी संगठन की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला
।
विश्व हिंदी दिवस समारोह के लिए मुख्य वक्ता के रूप में इत्वोस लोरांद
विश्वविद्यालय, बुदापैश्त, हंगरी के भारत विद्या अध्ययन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.
मारिया न्यजैशी को आमंत्रित किया गया था । उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि
बुदापैश्त में हिंदी अध्ययन-अध्यापन के दो ही केंद्र हैं: इत्वोस लोरांद
विश्वविद्यालय का भारोपीय अध्ययन विभाग तथा भारतीय राजदूतावास और इसी विभाग द्वारा
आयोजित हिंदी कोर्स । सन 1635 में स्थापित इत्वोस लोरांद विश्वविद्यालय के दर्शन
संकाय के अंतर्गत सन 1873 में 'भारोपीय अध्ययन विभाग' की स्थापना की गई थी । इसका
उद्देश्य भारोपीय तुलनात्मक भाषाविज्ञान का अध्ययन करना था । इसी विभाग में सन 1956
में भारतविद्या अध्ययन एक प्रमुख विषय के रूप में शामिल किया गया ।
मार्च, 2002 में हंगरी में प्रथम अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया थ
। उसके बाद वर्ष 2007 में भी हिंदी अध्ययन-अध्यापन के विषय में अंतर्राष्ट्रीय
सम्मेलन का आयोजन किया गया थ । अंतर्राष्ट्रीय भाषाएँ एकाधिक राष्ट्र के विभिन्न
भाषा-भाषियों में परस्पर संपर्क तथा वैचारिक आदान-प्रदान का आधार होती हैं ।
मॉरीशस में भारत के उच्चायुक्त महामहिम श्री मधुसूदन गणपति ने अपने भाषण में कहा कि
हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर स्थापित करने के लिए 'विश्व हिंदी दिवस' का आयोजन
एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है । भारत सरकार हिंदी के संवर्धन को अत्यंत महत्व देती है
तथा इसके उत्तरोत्तर विकास के लिए प्रतिबद्ध है । इस उद्देश्य को प्राप्त करने के
लिए भारत सरकार ने विश्व हिंदी सम्मेलनों का आयोजन किया है। प्रथम सम्मेलन 1975 में
नागपुर में तथा आठवाँ सम्मेलन 2007 में न्यूयॉर्क में आयोजित किया गया । इन
सम्मेलनों ने इस विश्वास को पुष्ट किया है कि हिंदी केवल अधिकांश प्रवासी भारतीयों
द्वारा ही नहीं बोली जाती है, अपितु बहुत से अन्य लोग भी हिंदी बोलते-लिखते हैं और
इसके प्रशंसक हैं ।
विश्व स्तर पर हिंदी का प्रचार-प्रसार भारत सरकार की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण
पहलू है । अपनी इस नीति के अंतर्गत सभी भारतीय मिशनों एवं दूतावासों से कहा गया है
कि वे हिंदी का अधिक प्रयोग करें तथा इसके प्रचार-प्रसार को बढ़ावा दें । इसके
अलावा, सन 2006 से प्रति वर्ष 10 जनवरी का दिन विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया
जाता है । इस अवसर पर हिंदी के अनेक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जाती
है ।
भारत के प्रधानमंत्री माननीय डॉ. मनमोहन सिंह जी ने विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर
समस्त विश्व को अपनी शुभकामनाएँ और संदेश दिया । महामहिम भारतीय उच्चायुक्त ने भारत
के प्रधानमंत्री का संदेश पढ़कर सुनाया ।
मॉरीशस के शिक्षा, संस्कृति व मनव संसाधन मंत्रालय के कार्यवाहक मंत्री माननीय श्री
राजेश्वर जीता ने कहा कि "मुझे विश्वास है कि धीरे-धीरे 'विश्व हिंदी दिवस' की
जानकारी पूरे विश्व में फैलेगी और न केवल भारत एवं मॉरीशस में, बल्कि विश्व के कोने
में 10 जनवरी का दिन 'विश्व हिंदी दिवस' के रूप में खूब धूम-धाम से मनाया जाएगा ।"
मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम सर अनिरुद्ध जगन्नाथ ने विश्व हिंदी दिवस के
अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारकर हिंदी प्रेमियों का उत्साह बढ़ाया ।
उन्होंने अपने भाषण में कहा कि "मॉरीशस में हमारे पूर्वजों ने भाषा और संस्कृति की
रक्षा करके ही अपनी पहचान को बचाया था । आज़ादी के संघर्ष में भी हमारे नेताओं ने
हिंदी का उपयोग किया था । आज आज़ादी के बाद भी हम हिंदी की प्रगति के लिए काम कर
रहे हैं । यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हिंदी का प्रचार विश्व स्तर पर करने के
लिए विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना मॉरीशस में हुई है । इससे पता चलता है कि
मॉरीशस के दिल में हिंदी के लिए कितना गहरा प्रेम है । सन 1975 में आज के दिन भारत
के नागपुर शहर में हिंदी के विश्व रूप का दर्शन 'प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन' में
किया गया था । भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और मॉरीशस के
प्रधानमंत्री सर शिवसागर रामगुलाम ने अपनी उपस्थिति से इस सम्मेलन को ऐतिहासिक गौरव
प्रदान किया था । अब तक कुल आठ विश्व हिंदी सम्मेलन हो चुके हैं जिनमें दो 1976 और
1993 में मॉरीशस में हुए हैं । 1993 का सम्मेलन जब हुआ तब मैं प्रधानमंत्री था ।"
उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी बोलना कठिन नहीं है । हंगरी से आई प्रो. मारिया जी से
सबको प्रेरणा लेनी चाहिए ।
इस अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति जी ने सचिवालय द्वारा प्रकाशित 'विश्व हिंदी
पत्रिका' के प्रथम अंक का लोकार्पण भी किया ।
भारतीय उच्चायोग द्वारा इस वर्ष विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में मॉरीशस के
निवासियों के लिए 'हिंदी कविता प्रतियोगिता' का आयोजन किया गया, जिसमें मॉरीशस के
कवियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया । विश्व हिंदी दिवस समारोह के अवसर पर प्रतियोगिता
के प्रथम पुरस्कार विजेता श्री गुलशन सुखलाल, द्वितीय पुरस्कार विजेता श्रीमती राधा
माथुर एवं तृतीय पुरस्कार विजेता श्रीमती कल्पना लालजी ने अपनी-अपनी पुरस्कृत-कविता
का पाठ किया । समारोह में सभी पुरस्कार विजेताओं को नक़द पुरस्कार भी प्रदान किए गए
।
संस्कृति प्रभाग की वरिष्ठ संस्कृति अधिकारी सुश्री अनुपमा चमन ने मुख्य अतिथि
महामहिम सर अनिरुद्ध जगन्नाथ, श्रीमती सरोजनी जगन्नाथ, भारत के उच्चायुक्त महामहिम
श्री मधुसूदन गणपति, मॉरीशस के शिक्षा, संस्कृति एवं मानव संसाधन मंत्रालय के
कार्यवाहक मंत्री माननीय राजेश्वर जीता, हंगरी से आमंत्रित मुख्य वक्ता डॉ. मारिया
न्यजैशी, विश्व हिंदी सचिवालय की शासी परिषद के माननीय सदस्य श्री अजामिल माताबदल
और श्री सत्यदेव टेंगर, इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की निदेशक श्रीमती
अनिता अरोड़ा, एम.बी.सी. और प्रेस एवं सभी उपस्थित श्रोताओं को हार्दिक धन्यवाद
दिया ।
समारोह का संचालन डॉ. जय प्रकाश कर्दम और डॉ. राजेंद्र प्रसाद मिश्र ने किया ।
- विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट
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