11 फ़रवरी, 2012 को महात्मा गांधी संस्थान के सुब्रमण्यम् भारती सभागार में विश्व हिंदी सचिवालय ने अपने आधिकारिक कार्यारंभ की चतुर्थ वर्षगाँठ मनाई । इस अवसर पर महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति श्री विभूति नारायण राय ने अतिथि-वक्ता के रूप में अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई । इस अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया जिसमें श्री राय ने `वैश्विक संदर्भ में हिंदी' विषय पर अपना बीज वक्तव्य प्रस्तुत किया ।
सचिवालय के उपमहासचिव श्री गंगाधरसिंह सुखलाल ने समारोह में उपस्थित सभी हिंदी विद्वानों, हिंदी प्रेमियों व हिंदी छात्रों का हार्दिक स्वागत करते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त की कि तूफ़ानी मौसम के बावजूद वे उपस्थित हो पाए, यह हिंदी के प्रति उनकी श्रद्धा है और प्रेम भी ।
यह न केवल सचिवालय के लिए बल्कि महात्मा गांधी संस्थान तथा अन्य हिंदी संस्थाओं, हिंदी विद्वानों, हिंदी प्रेमियों एवं छात्रों के लिए हर्ष व सौभाग्य की बात है कि श्री विभूति नारायण राय जैसे प्रतिभा-संपन्न, उच्च कोटि के विद्वान ने स्वयं मॉरीशस आकर अपने विचार, अपना ज्ञान बाँटा तथा हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाने के आयामों से सबको परिचित कराया ।
सचिवालय की महासचिव श्रीमती पूनम जुनेजा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि "2002 के अधिनियम व भारत और मॉरीशस सरकारों की साझेदारी के तहत विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना हुई और सचिवालय ने अपना औपचारिक कार्य 11 फरवरी 2008 को आरंभ किया था। सचिवालय का मुख्य कार्य हिंदी को एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और इसे संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने में सहयोग देना है। प्रति वर्ष उस दिन को स्थापना दिवस मनाने का औचित्य यह है कि उस दिन हम उन व्यक्तियों को भी श्रद्धा से याद करते हैं जिन्होंने इस संस्था की नींव रखी। डॉ. विनोदबाला अरुण, डॉ. राजेंद्र प्रसाद मिश्र ने अपनी मेहनत से इस पौधे को लगाया। हर संस्था का दायित्त्व होता है कि वह एक कार्यक्रम तैयार करे, पुराने तय किए गए कार्यक्रम पर नज़र डाले, जो अच्छी परंपराएँ थीं उन्हें आगे बढ़ाए, जो कारगर नहीं थी, उनमें आवश्यक संशोधन करे। कार्यक्रम को कार्यान्वित करे और समय-समय पर निष्पादित कार्य की वह शेष कार्य की समीक्षा करे और पुनः दीर्घकाल अथवा लघुकाल के लिए कार्य विधी तैयार करे। यही अच्छे प्रबंधन की नीति है।"
श्रीमती जुनेजा ने श्री विभूति नारायण राय जी का स्वागत करते हुए उनका संक्षिप्त परिचय भी दिया। "उनके परिचय में मुझे ये शब्द सही प्रतीत होते हैं कि वे आज के परशुराम हैं। क्षत्रिय और ब्राह्मण दोनों धर्म निभानेवाले, एक हाथ में तलवार और एक में कलम पकड़े हुए हैं आज के यह अद्भुत वक्ता हैं, श्री विभूती नारायण राय जी ।" श्री राय भारतीय पुलीस सेना के वरिष्ठतम अधिकारियों में स्थान पा चुके हैं और हिंदी साहित्य में भी विशेष स्थान रखते हैं । अपने उपन्यासों, व्यंग्य लेखों द्वारा उन्होंने हिंदी साहित्य जगत में सक्रिय योगदान दिया है। इसके अलावा वे "वर्तमान साहित्य" पत्रिका के संपादक भी रह चुके हैं और कई पत्र पत्रिकाओं में उनके लेख छपते रहते हैं । वर्तमान में वे महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति के रूप में कार्यरत हैं ।
भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए भारतीय उच्चायोग के द्वितीय सचिव (शिक्षा व भाषा), श्री मीमांसक ने विश्व हिंदी सचिवालय तथा महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि हिंदी का परिप्रेक्ष्य बहुत बड़ा हो गया है और पूरी दुनिया इस भाषा को विस्तृत होते देख रही है । महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय एक विद्यालय ही नहीं, यह एक संकल्पना है, हिंदी और उससे जुड़ी संस्कृति की संकल्पना । साथ ही विश्व हिंदी सचिवालय को सुचारू रूप से चलाने के लिए भारत सरकार अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है ताकि दोनों संस्थाएँ हिंदी के क्षेत्र में अपने सभी प्रयासों को कार्यान्वित कर सके ।
मॉरीशस सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए कला एवं संस्कृति मंत्रालय की वरिष्ठ संस्कृति अधिकारी, सुश्री अनुपमा चमन ने हिंदी के क्षेत्र में हो रहे कार्यों की सराहना की । उन्होंने कहा कि हिंदी केवल भारतीय मूल तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह भाषा यूरोप और दूसरे देशों तक भी फैल चुकी है । अतः हिंदी एक वैश्विक भाषा है, दुनिया के कोने-कोने में बोली और समझी जाती है ।
तत्पश्चात महात्मा गांधी संस्थान और रवींद्रनाथ ठाकुर संस्थान के अध्यक्ष श्री रवींद्रनाथ द्वारका ने सभी का हार्दिक स्वागत किया । उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी संस्थान की स्थापना पैत्रिक भाषाओं के प्रचार के लिए ही हुई थी । उनके शब्दों में "मुझे लगता है कि हिंदी का बहुत ही उज्जवल भविष्य है । किसी भी देश की प्रगति के लिए अर्थ और व्यापार महत्वपूर्ण होते हैं । आजकल व्यापार के क्षेत्र में हिंदी की माँग भी बढ़ गई है । उदाहरण के रूप में भारत की व्यापार मंडी, जिसमें हिंदी की बहुत बड़ी भूमिका है ।"
समारोह के अतिथि वक्ता श्री विभूति नारायण राय ने ‘वैश्विक संदर्भ में हिंदी’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कई पहलुओं को उभारा। उन्होंने सभी को यह स्मरण कराया कि 1975 में विश्व हिंदी सम्मेलन में महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय और विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना की परिकल्पना की गई थी। और 1997 में महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय तथा 2008 में विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना हुई । दोनों ही संस्थाओं का उद्देश्य एक है, हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाना ।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में हिंदी व्यापार, तकनीकी, कंप्यूटर, इंटरनेट, संपर्क की भाषा है। उन्होंने अपने अनुभवों को बाँटते हुए कहा कि महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में दुनिया के अलग-अलग देशों से, अलग-अलग धर्मों से छात्र आकर रुचि के साथ हिंदी की पढ़ाई करते हैं। उनके विश्वविद्यालय में चीनी विद्यार्थी भी हिंदी पढ़ते हैं। महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में किसी भी विषय के अध्ययन के लिए कंप्यूटर साक्षरता अनिवार्य है। हिंदी भाषा के अध्ययन में भी कंप्यूटर की अनिवार्यता पर बल दिया जाता है क्योंकि वर्तमान में यही वह माध्यम है जिससे हिंदी भाषा का प्रचार कम समय में अधिक से अधिक हो सकता है। उनका यह भी कहना है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक देशों में से एक है। और भारत में व्यापार करने के लिए, हिंदी भाषा संपर्क के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
श्री राय ने हिंदी के वैश्विक रूप को अधिक उभारते हुए कहा कि वर्तमान समाज में इंटरनेट पर हिंदी ब्लॉग्स के माध्यम से हिंदी का बहुत प्रचार हो रहा है, यह सराहनीय बात है । श्री राय के बीज वक्तव्य के बाद एक प्रश्नोत्तर सत्र भी रखा गया जिसमें उपस्थित हिंदी विद्वानों ने श्री राय के साथ तादात्म्य स्थापित करते हुए कई महत्वपूर्ण विचारों का आदान-प्रदान किया।
समारोह के अंत में महात्मा गांधी संस्थान के सृजनात्मक लेखन विभाग के अध्यक्ष तथा मॉरीशस के सुप्रसिद्ध कवि श्री हेमराज सुंदर ने श्री राय को संस्था की साहित्यिक पत्रिका वसंत और रिमझिम की प्रतियाँ भेंट की । सृजनात्मक लेखन विभाग के वरिष्ठ सहायक संपादक (वसंत/रिमझिम) श्री राज हीरामन ने श्री राय को दो पुस्तकें प्रदान की ।
समारोह में महात्मा गांधी संस्थान के स्कूल ऑफ़ इंडियन स्टडीज़ (School of Indian Studies) की अध्यक्ष डॉ. रेशमी रामदोनी, हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ. राजरानी गोबिन, संस्था के प्राध्यापक-गण श्रीमती माधुरी रामधारी, डॉ. जयचंद लालबिहारी, श्री विनय गुदारी, डॉ. कृष्ण कुमार झा, डी.ए.वी. डिग्री कॉलेज के निदेशक डॉ. उदय नारायण गंगू, एम.बी.सी. (Mauritius Broadcasting Corporation) की ओर से श्रीमती उमा मूरत गुरबिन, श्री दीपक नोबिन, स्थानीय साहित्यकार श्री रामदेव धुरंधर एवं श्री सूर्यदेव सिबोरथ सहित महात्मा गांधी संस्थान के विद्यार्थी गण उपस्थित थे ।
मंच का संचालन उपमहासचिव श्री गंगाधरसिंह सुखलाल ने किया ।
- विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्
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