कार्यारंभ दिवस 2018
तथा
विचार-मंच : ‘काव्य-शिक्षण में गीतों का प्रयोग’
7 फ़रवरी, 2018 को विश्व हिंदी सचिवालय ने मॉरीशस के शिक्षा व मानव संसाधन,
तृतीयक शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय तथा भारतीय उच्चायोग, मॉरीशस के
तत्वावधान में महात्मा गांधी संस्थान के सुब्रमण्यम् भारती सभागार, मोका में
अपने कार्यारंभ दिवस की 10वीं वर्षगाँठ मनाई। इस उपलक्ष्य में सचिवालय ने अपने
त्रैमासिक कार्यक्रम विचार-मंच का भी आयोजन किया, जो‘काव्य-शिक्षण में गीतों का
प्रयोग’ विषय पर आधारित था।
प्रथम
सत्र में कार्यारंभ दिवस मनाया गया, जिसमें शिक्षा व मानव संसाधन, तृतीयक
शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री, माननीया श्रीमती लीला देवी दुकन-लछुमन
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। इस वर्ष महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय
हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, भारत से भाषा-केंद्र के निदेशक प्रो. वृषभ प्रसाद
जैन को बीज वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था। भारतीय उच्चायुक्त की
द्वितीय सचिव, डॉ. नूतन पाण्डेय, महात्मा गांधी संस्थान की महानिदेशिका श्रीमती
सूर्यकान्ति गयान तथा निदेशिका, डॉ. विद्योत्मा कुंजल, संस्थान के परिषद् के
अध्यक्ष, श्री जयनारायण मीतू व अन्य गण्यमान्य अतिथियों ने भी कार्यक्रम की
शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।
मुख्य अतिथि माननीया श्रीमती लीला देवी दुकन-लछुमन ने इस अवसर पर सभागार को
संबोधित करते हुए सचिवालय के आधिकारिक कार्यारंभ दिवस की 10वीं वर्षगाँठ की
बधाई के साथ उसकी उपलब्धियों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि ‘‘विश्व हिंदी
सचिवालय ने हिंदी को वैश्विक पहचान दिलाने में बड़ा योगदान दिया तथा अनेक देशों
की हिंदी संस्थाओं के साथ जुड़कर हिंदी के उत्थान का अभियान चलाया।’’ उन्होंने
कहा कि आगामी विश्व हिंदी सम्मेलन की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं और अब समय आ
गया है कि हिंदी को हमारे पूर्वजों की भाषा से आगे बढ़ाकर उद्योग और व्यापार की
भाषा बनाया जाए।
भारतीय
उच्चायोग की द्वितीय सचिव, डॉ. नूतन पाण्डेय ने सचिवालय के कार्यों की प्रशंसा
करते हुए कहा कि ‘‘विश्व हिंदी सचिवालय के प्रयत्नों से विश्व भर के हिंदी
प्रेमियों में न केवल साहित्य सृजन की ओर झुकाव आया है, बल्कि ज्ञान-विज्ञान की
भाषा के रूप में भी हिंदी को आगे आने का अवसर मिला है।’’
बीज वक्ता, प्रो. वृषभ प्रसाद जैन ने ‘वैश्विक हिंदी, भाषिक संपदा : विस्तार
एवं संभावनाएँ’ विषय पर वक्तव्य प्रस्तुत किया। प्रो. जैन ने हिंदी को प्रेम और
जुड़ाव की भाषा बताया और कहा कि हमें इस भाषा को सुरक्षित रखना चाहिए क्योंकि
भाषा नहीं तो पहचान नहीं तथा भाषा संसार और समाज को रूप भी देता है। उन्होंने
कहा कि ‘‘हिंदी को वैश्विक स्तर पर समृद्ध करना चाहिए तथा हिंदी के विश्व
परिवार को मज़बूत करने का संकल्प लेना होगा।’’
कार्यक्रम के आरंभ में सचिवालय के महासचिव, प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने
उपस्थित महानुभावों, गण्यमान्य अतिथियों, हिंदी प्रेमियों, शिक्षकों व छात्रों
का स्वागत किया।
सत्र का संचालन सचिवालय की उपमहासचिव डॉ. माधुरी रामधारी ने किया।
विचार-मंच : ‘काव्य-शिक्षण में गीतों का प्रयोग’
द्वितीय सत्र में ‘काव्य-शिक्षण में गीतों का प्रयोग’ विषय पर विचार-मंच का
आयोजन किया गया। प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि
‘‘विचार-मंच वो मंच है, जो केंद्र से परिधि की यात्रा कराता है इस पूरे गणराज्य
में।’’
डॉ. नूतन पाण्डेय ने अपने वक्तव्य में सचिवालय को बधाई देते हुए कहा कि
विचार-मंच यहाँ के शिक्षकों, अध्यापकों और छात्रों के लिए बहुत ही लाभदायक है।
उन्होंने कहा कि ‘‘मैं उम्मीद करती हूँ ऐसे ही विचार-मंच आगे बढ़ता रहेगा और
अपने विचारों को अभिव्यक्ति देता रहेगा और एक दूसरे के विचारों तक पहुँचने के
लिए हमें सहायता देता रहेगा।’’
समारोह
की अध्यक्षता प्रो. वृषभ प्रसाद जैन ने किया। उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में
काव्य-शिक्षण में गेयता की आवश्यकता का वर्णन करते हुए कहा कि ‘‘कविता पद्य तक
सीमित नहीं होती। कविता गद्य तक भी जाती है।…कविता के पाठ, उसके लय तथा उसकी
प्रकृति को समझकर पढ़ाना चाहिए।’’
इस अवसर पर महात्मा गांधी संस्थान के हिंदी विभाग की व्याख्याता डॉ. लक्ष्मी
झमन ने ‘मध्यकालीन काव्य-शिक्षण में गीतों का प्रयोग’ विषय पर प्रस्तुतिकरण
दिया। उन्होंने कहा कि ‘‘कविता को गेय बना दें तो कहते है वो याद रहते हैं,
क्योंकि शब्द छूट जाते हैं, शब्द हम भूल जाते हैं, पर जो शब्द गेय बनकर होंठों
को छू ले वो भूलाए नहीं भूलते।’’
मणिलाल डॉक्टर एस.एस.एस. के हिंदी शिक्षक श्री लेखराजसिंह पांडोही ने
‘आधुनिक काव्य-शिक्षण में गीतों का प्रयोग’ विषय पर प्रस्तुतिकरण दिया।
उन्होंने बताया कि काव्य को संगीतबद्ध करके अगर कक्षा भाव, रस, अभिनय और उमंग
के साथ प्रस्तुत किया जाए, तो काव्य में विद्यार्थियों की अरुचि का प्रश्न ही
नहीं उठेगा।
विचार-मंच के दौरान परिचर्चा-सत्र भी रखा गया था, जिसमें उपस्थित अतिथियों
ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
इस अवसर पर कई हिंदी प्रेमी, हिंदी प्राध्यापक, शिक्षक, छात्र तथा अकादमिक
उपस्थित थे। मंच-संचालन डॉ. माधुरी रामधारी तथा धन्यवाद-ज्ञापन प्रो. विनोद
कुमार मिश्र ने किया।
विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट
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