सचिवालय द्वारा 11 फ़रवरी, 2008 को आधिकारिक रूप से कार्य आरम्भ किए जाने के सात वर्ष पूरे होने के अवसर पर 11 फ़रवरी, 2015 को विश्व हिंदी सचिवालय ने शिक्षा एवं मानव संसाधन, तृतीयक शिक्षा व वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय तथा भारतीय उच्चायोग के सौजन्य से अपना आधिकारिक कार्यारंभ दिवस समारोह मनाया। अवसर पर महात्मा गांधी संस्थान की वसंत पत्रिका के 'भानुमती नागदान व पूजानन्द नेमा विशेषांक' का लोकार्पण भी किया गया। समारोह का आयोजन मोका, मॉरीशस स्थित महात्मा गांधी संस्थान के सुब्रमण्यं भारती सभागार में सफ़लतापूर्वक संपन्न हुआ जिसके मुख्य अतिथि के रूप में मॉरीशस के कला एवं संस्कृति मंत्री, मननीय श्री सांताराम बाबू उपस्थित रहे। अवसर पर महात्मा गांधी संस्थान की वसंत पत्रिका के 'भानुमती नागदान व पूजानन्द नेमा विशेषांक' का लोकार्पण भी किया गया।
सचिवालय को भारत की प्रसिद्ध भारतीय लेखिका, स्तंभकार, पटकथाकार, अनुवादक नाटककार, चित्रकार, समाज सेवी व महिला लेखन की मूर्धन्य हस्ताक्षर श्रीमती मुद्गल को अतिथि वक्ता के रूप में स्वागत करने का अवसर प्राप्त हुआ। श्रीमती मुद्गल ने 'समकालीन हिंदी साहित्य और स्त्री विमर्श' पर अपना बीज वक्तव्य प्रस्तुत किया।
समारोह में भारतीय उच्चायोग का प्रतिनिधित्व करते हुए श्री मयंक सिंह, महात्मा गांधी संस्थान की महानिदेशिका श्रीमती सूर्या गयान व निदेशिका डॉ. श्रीमती कुंजल, विश्व हिंदी सचिवालय के शासी परिषद के सदस्य श्री अजामिल माताबदल, देश की विभिन्न हिंदी सेवी संस्थाओं के अध्यक्ष व प्रतिनिधिगण उपस्थित हुए।
कला व संस्कृति मंत्री, माननीय श्री सांताराम बाबू ने विश्व हिंदी सचिवालय की वर्षगांठ के लिए बधाई देते हुए यह आश्वासन दिया कि हिंदी तथा अन्य पूर्वजीय भाषाओं सहित कला व सृजनशीलता के प्रचार-प्रसार में संस्थाओं को मंत्रालय की ओर से पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा।
महात्मा गांधी संस्थान की महानिदेशिका श्रीमती गयान ने सचिवालय को शुभकामनाएँ देते हुए अपने वक्तव्य में हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में सृजनात्मकता की कमी को उभारा तथा युवा पीढ़ी को संबोधित करते हुए कहा कि सृजन से ही हिंदी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाया जा सकता है।
कार्यक्रम का आरंभ पुष्प गुच्छों तथा सचिवालय के कार्यवाहक महासचिव, श्री गंगाधरसिंह सुखलाल के स्वागत वक्तव्य से हुआ। अपने स्वागत वक्तव्य में श्री सुखलाल ने उपस्थित महानुभवों, गणमान्य अतिथियों, प्राध्यापकगण, शिक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधिगण, छात्रगण, हिंदी प्रेमियों तथा स्व. श्रीमती भानुमती नागदान व स्व. पूजानंद नेमा के परिवार का अभिवादन व धन्यवाद करते हुए छात्रों को अध्ययन साधना के साथ-साथ सृजन की ओर भी बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने याद दिलाया कि इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए श्रीमती चित्रा मुद्गल जैसी बहुमुखी प्रतिभा की धनी साहित्यकार को आमंत्रित किया गया।
अवसर पर महात्मा गांधी संस्थान के सृजनात्मक लेखन व प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित त्रैमासित पत्रिका 'वसंत' का भानुमती नागदान व पूजानन्द नेमा विशेषांक का लोकार्पण किया गया।
श्रीमती चित्रा मुद्गल को धन्यवाद स्वरूप विश्व हिंदी सचिवालय द्वारा एक स्मृति चिह्न भैंट की गई। समारोह में श्रीमती चित्रा मुद्गल के जीवन व कृतित्व का परिचय उन छात्रों द्वारा ही दिया गया जो एम.ए. पाठ्यक्रम के अंतर्गत लेखिका की कृतियों का अध्ययन करते हैं। प्रस्तुति के बाद श्रीमती चित्रा मुद्गल ने 'समकालीन हिंदी साहित्य और स्त्री विमर्श' पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि स्त्री विमर्श समाज विमर्श का ही एक अंग है। समकालीन हिंदी साहित्य में स्त्री विमर्श के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि जिस पितृसत्ता ने स्त्री को बंधन दिया उसे तोड़ने की पहल भी उसी ने की। विभिन्न साहित्यकारों का उल्लेख करते हुए उन्होंने यह अंतर स्पष्ट किया कि स्त्री विमर्श का सही अर्थ पुरुष को बाहर निकालना नहीं है। स्त्री की स्वायत्तता व आत्मनिर्भरता ही सही अर्थों में विमर्श है। श्रीमती मुद्गल का वक्तव्य इतिहास से लेकर समकालीनता तक तथा हिंदी, अन्य भारतीय भाषाओं व विश्व साहित्य के उदाहरणों से सजा हुआ उनके अपने साहित्य कर्म व समाज सेवा के असंख्य अनुभवों से सराबोर उपस्थित सभी श्रोताओं को घण्टों तक बाँधे रहा। डॉ. श्रीमती संयुक्ता भुवन-रामसारा, अध्यक्षा, हिंदी विभाग ने मंच संचालन किया। डॉ. श्रीमती माधुरी रामधारी, अध्यक्षा, सृजनात्मक लेखन व प्रकाशन विभाग द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही कार्यक्रम संपन्न हुआ।
सृजन: महिला लेखन, स्त्री विमर्श व सृजनात्मकता पर कार्य
आधिकारिक कार्यारंभ की वर्षगांठ के औपचारिक कार्यक्रम के पश्चात श्रीमती चित्रा मुद्गल के संचालन में महिला लेखन, स्त्री विमर्श व सृजनात्मकता पर कार्य सत्र हुए। इस सत्र को उन्होंने एक खुले मंच की तरह रखा तथा उपस्थित हिंदी प्रेमियों से अपने-अपने सवाल तथा जिज्ञासाओं को अभिव्यक्त करने का अवसर दिया।
श्रीमती चित्रा मुद्गल के सम्मान में आयोजित 'अभिनन्दन समारोह तथा लेखिका से भेंट'
आधिकारिक कार्यारंभ के मुख्य समारोह से पूर्व 9 फ़रवरी, 2015 को ऋषि दयानंद संस्थान के सभागर में श्रीमती चित्रा मुद्गल के सम्मान में एक 'अभिनन्दन समारोह तथा लेखिका से भेंट' का आयोजन किया गया था। इस आयोजन से शिक्षकों तथा छात्रों को श्रीमती चित्रा मुद्गल से भेंट करने का अवसर प्राप्त हुआ। संस्थान के डीन डॉ. उदय नारायण गंगू, श्री बालचंद तानाकूर, श्रीमती मिला धनुकचंद, संस्थान के प्राध्यापकगण, छात्र व संस्थान के अधिकारी व सदस्यों की उपस्थिति में श्रीमती मुद्गल द्वारा व्याख्यान उनके लिए अत्यंत लाभदायक रहा।
विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट
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