विश्व हिंदी सचिवालय ने मॉरीशस में प्रथम बार के लिए 17 जनवरी, 2009 को विश्व हिंदी
दिवस मनाया । समारोह का आयोजन सचिवालय और भारतीय उच्चायोग, मॉरीशस के संयुक्त
तत्वावधान में इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के सभागार में किया गया ।
शिक्षा, संस्कृति और मानव संसाधन मंत्री माननीय डॉ. वसंत कुमार बनवारी मुख्य अतिथि
के रूप में उपस्थित थे । भारतीय उच्चायुक्त, महामहिम श्री मधुसूदन गणपति जी ने भी
अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई ।
कार्यक्रम के आरंभ में विश्व हिंदी सचिवालय की महासचिव डॉ. (श्रीमती) विनोद बाला
अरुण ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा, " हमारे लिए यह गौरव की बात है कि आज हम
'विश्व हिंदी दिवस' सचिवालय और भारतीय उच्चायोग के संयुक्त तत्वावधान में मना रहे
हैं और इस अवसर पर शिक्षा, संस्कृति एवं मानव संसाधन मंत्री माननीय डॉ. वसंत कुमार
बनवारी और भारतीय उच्चायुक्त महामहिम श्री मधुसूदन गणपति उपस्थित हैं । इन दोनों
महानुभावों का एक साथ उपस्थित होना हिंसी की प्रगति के लिए मॉरीशस और भारत की
आंतरिक प्रतिबद्धता का जीवंत प्रतीक है । इन दोनों की उपस्थिति में हमारा विश्व
हिंदी दिवस मनाना बहुत ही सार्थक एवं उपयुक्त लग रहा है क्योंकि सचिवालय के संचालन
में भारत और मॉरीशस दोनों सरकारों की बराबर की भागीदारी है ।"
विश्व हिंदी दिवस के ऐतिहासिक संदर्भ को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, " विश्व
हिंदी दिवस का सबसे बड़ा महत्व यह है कि इसी दिन अर्थात 10 जनवरी सन 1975 को संसार
भर में फैले हिंदी प्रेमियों ने व्यावहारिक और ठोस रूप में अपने विराट रूप को देखा
और समझा था । इसीसे कालांतर में विश्व हिंदी सचिवालय का जन्म हुआ जिसका उद्देश्य है
– हिंदी का अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रचार-प्रसार करना और हिंदी को संयुक्त
राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दिलाने के कार्य को आगे बढ़ाना ।
इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए चिंतन मनन करना और बराबर कार्यरत रहना हर हिंदी
भाषी का प्रम कर्तव्य है ।"
महासचिव महोदया ने भारत और मॉरीशस दोनों सरकारों से अपील की कि वैश्विक हिंदी
समुदाय को जागरूक रखने और एक सूत्र में जोड़ने के लिए प्रतिवर्ष किसी न किसी रूप
में, किसी न किसी देश में विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित किया जाए । यह आयोजन प्रवासी
भारतीय दिवस की तरह ही सुचिंतित, सुनियोजित और नियमित हो जिससे हिंदी के वैश्विक
विस्तार को तीव्र गति प्राप्त हो सके ।
तत्पश्चात समारोह के मुख्य अतिथि, मॉरीशस के शिक्षा, संस्कृति एवं मानव संसाधन
मंत्री माननीय डॉ. वसंत कुमार बनवारी ने उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा,
" शिक्षा और संस्कृति मंत्री के रूप में इस वर्ष मैं विश्व हिंदी सचिवालय के
कार्यक्रम में ही पहली बार आया हूँ । इसका कारण यह है कि हिंदी मेरे दिल की भाषा है
और आप सभी मेरे परिवार के सदस्य हैं । मेरे माता-पिता ने मुझे बचपन से ही भाषा और
संस्कृति से प्रेम करना सिखाया था । उसका प्रभाव आज तक मेरे जीवन पर बना हुआ है ।
हिंदी कार्यक्रमों में जाना मुझे बहुत अच्छा लगता है । अभी तक मैं मॉरीशस की हिंदी
से जुड़ा हुआ था, आज इस कार्यक्रम में आकर मैं विश्व हिंदी से जुड़ गया हूँ ।"
उन्होंने अपने संदेश में यह भी कहा कि " हम मॉरीशस में भाषा और संस्कृति के विकास
के लिए हमेशा से कार्य कर रहे हैं । हमारे राष्ट्रपिता चाचा रामगुलाम ने भाषा और
संस्कृति को समाज की प्रगति के लिए बहुत आवश्यक माना । देश की सभी भाषाओं और
संस्कृति को उन्होंने फलने-फूलने का अवसर दिया । आज हमारे प्रधानमंत्री डॉ.
नवीनचंद्र रामगुलाम भी अपने पिता की तरह ही भाषा और संस्कृति को अपनी विकास नीति
में बहुत महत्व दे रहे हैं ।"
"मुझे आप सबको यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि आज हिंदी कमज़ोर भाषा नहीं है । आज
भारत एक महान शक्ति के रूप में उभर रहा है । हिंदी शक्तिमान भारत की वाणी है ।
विश्वभर में फैले प्रवासियों की परम्परा और संस्कृति की वाणी है । हिंदी आज
ज्ञान-विज्ञान की भाषा है । ऐसी सशक्त हिंदी आज करोड़ों स्वरों में विश्वभर में
गूँज रही है ।
हिंदी के प्रचार-प्रसार में मॉरीशस का योगदान हमेशा प्रवासी समाज के लिए प्रेरक रहा
है । मॉरीशस में समाज और सरकार दोनों साथ मिलकर हिंदी के लिए कार्य करते हैं ।"
विश्व हिंदी दिवस के इस महत्वपूर्ण अवसर पर 1975 के प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन में
भाग लेनेवाले हिंदी सेवकों के संस्मरण भी सुनाए गए । इससे हिंदी के इतिहास को जानने
का सुनेहरा अवसर प्राप्त हुआ ।
मॉरीशस में भारत के उच्चायुक्त महामहिम श्री मधुसूदन गणपति ने अपने उद्गार में कहा,
" वर्ष 2006 से भारत सरकार विश्व भर में स्थित हमारे सभी उच्चायोगों और दूतावासों
आदि के माध्यम से प्रति वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाती है । इस वर्ष भी
भारत सहित विश्व के अनेक देशों में 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस अत्यंत उत्साह और
हर्ष के साथ मनाया गया । भारतीय मिशनों के अलावा, हिंदी के प्रचार-प्रसार में लगी
विभिन्न देशों की अनेक संस्थाएँ भी विश्व हिंदी दिवस को धूमधाम से मनाती हैं ।"
इस अवसर पर भारतीय उच्चायुक्त ने भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का संदेश
पढ़कर सुनाया । उन्होंने भाषा और संस्कृति के महत्व को समझाया । सभी प्रवासी समुदाय
को भारत के साथ मिलकर हिंदी की प्रगति के लिए सक्रिय होने को कहा है । उनका संदेश
बहुत प्रेरक रहा ।
समारोह के अंत में सचिवालय के उप महसचिव डॉ. राजेंद्र प्रसाद मिश्र ने मुख्य अतिथि
माननीय डॉ. वसंत कुमार बनवारी, भारतीय उच्चायुक्त महामहिम श्री मधुसूदन गणपति,
भारतीय उप उच्चायुक्त श्री संजीव रंजन, विश्व हिंदी सचिवालय की शासी परिषद के
विद्वान सदस्य श्री अजामिल माताबदल एवं श्री सत्यदेव टेंगर, इंदिरा गांधी भारतीय
सांस्कृतिक केंद्र की निदेशक श्रीमती अनिता अरोड़ा तथा वहाँ के समस्त अधिकारियों,
प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन के संस्मरण सुनानेवाले सभी विद्वानों, एम.बी. सी. और
प्रेस तथा उपस्थित सभी सुधी श्रोताओं को हार्दिक धन्यवाद दिया ।
- विश्व हिंदी सचिवालय की रिपोर्ट
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